Hastakshep Class 11 Question Answer | Hastakshep Class 11 Exercise Question Answer | हस्तक्षेप के प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. मगध के माध्यम से ‘हस्तक्षेप’ कविता किस व्यवस्था की ओर इशारा कर रही है ?
उत्तर : हस्तक्षेप कविता मगध के बहाने जनतांत्रिक प्रणाली में सत्तासीन लोगों की आम जनता के प्रति क्रूरता और तानाशाही के विरोध का संकेत करती है। कविता में कवि यही कहता है कि आम जंनता केवल आँख मूँदकर जनतांत्रिक व्यवस्था स्वीकार न करे, बल्कि इस व्यवस्था में गलत निर्णयों के विस्द्ध आवाज भी उठाए।
प्रश्न 2. व्यवस्था को ‘निरंकुश’ प्रवृत्ति से बचाए रखने के लिए उसमें ‘हस्तक्षेप’ ज़रूरी है-कविता को दृष्टि में रखते हुए अपना मत दीजिए।
उत्तर : व्यवस्था को निरकुश प्रवृत्ति से बचाए रखने के लिए यह ज़रूरी है कि जब भी व्यवस्था आम आदमी की आवाज्ञ दबाने लगे तथा अपने स्वार्थ के लिए उनका शोषण करने लगे तो व्यवस्था के गलत निर्णयों के विर्द्ध सबको एक-जुट होकर अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए, क्योंकि एकता में बल होता है। आम आदमी अपनी एकता की शक्ति के द्वारा व्यवस्था को भी पलट सकता है। व्यवस्था की निरंकुशता को आँख मूँसकत स्वीकार नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 3. मगध निवासी किसी भी प्रकार से शासन-व्यवस्था में हस्तक्षेप से क्यों कतराते हैं ?
उत्तर : मगध निवासी हस्तक्षेप से इसलिए कतराते हैं क्योंक उन्हें यह आशंका लगातार बनी रहती है कि कहीं इस व्यवस्था के विरुद्ध आवाज़ उठाने में अकेला न रह जाए और राजनेताओं की आँखों की किरकिरी न बन जाए। अगर आम व्यक्ति ने उसका साथ नहीं दिया तो उसे इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
प्रश्न 4. ‘मगध अब कहने का मगध है, रहने को नहीं’ के आधार पर मगध की स्थिति का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर : ‘मगध’ को कवि ने जनतांत्रिक व्यवस्था का प्रतीक बनाया है। भारतीय जनतांत्रिक व्यवस्था में अमीर-गरीब, ऊँच-नीच, सभी धर्मों के लिए सुख और सुरक्षा की व्यवस्था की गई, परंतु धीरे-धीरे यह जनतांत्रिक व्यवस्था राजनेताओं के गलत निर्णयों के कारण निरकुशता में परिवर्तित हो गई है। आम आदमी खुली हबा में साँस लेने की जगह दमघोंटू वातावरण में जीवनयापन करता है। आम जनता के ऊपर गलत नीतियाँ थोप दी जाती हैं। ये गलत निर्णय आम जनता के लिए दुख के कारण बनते हैं। कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है कि आम आदमी इन सत्ताधारियों के विरुद्ध आवाज़ उठाने की स्थिति में भी नहीं होता। इसी स्थिति और वातावरण में आम आदमी का जीना दूभर हो आता है। भारतवर्ष में भी कुछ विलासी और निरकुश शासकों के कारण यही स्थिति पैदा हो जाती है। इसी अव्यवस्था पर व्यंग्य करते हुए कवि कहता है कि ‘मगध’ अब कहने का मगध है, रहने का नहीं अर्थात जनतांत्रिक ख्यवस्था तो केवल कहने के लिए है, उसमें जीवन जीना आसान नहीं है।
प्रश्न 5. मुर्दे का हस्तक्षेप क्या प्रश्न खड़ा करता है ? प्रश्न की सार्थकता को कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : कविता के अंत में कवि यह कहता है कि जब जनतांत्रिक व्यवस्था में सत्तासीन लोगों द्वारा गलत निर्णय लिए जाते हैं और जनता द्वारा आँख मूँदकर स्वीकार कर लिए जाते है, तब यही गलत निर्णय आम आदमी के लिए पीड़ाजन्य सिद्ध होते हैं। उसका इस व्यवस्था में जीना दूभर हो जाता है। इसलिए सभी इन निर्णयों को स्वीकार कर लेते हैं परंतु मुर्दा इस व्यवस्था के प्रति प्रश्न उठाता है तथा इस अव्यवस्था का विरोध करता है। उसका कहना है कि जब वह मुर्दा होकर भी इस अव्यवस्था का विरोध कर सक्ता है तो जो सजीव प्राणी इस अव्यवस्था का विरोध क्यों नहीं करते ? उन्हें भी इस अव्यवस्था के विरुद्ध एकजुट होकर उसकी अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए।
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प्रश्न 6. ‘मगध को बनाए रखना है, तो मगध में शांति रहनी ही चाहिए’ – भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : प्रस्तुत पंक्ति में कवि श्रीकांत वर्मा मानते है कि जनतांत्रिक व्यवस्था में तानाशाही और गलत निर्णयों के कारण आम आदमी दुखी एवं पीड़त है। आम आदमी को राजनेताओं द्वारा गुमराह कर दिया जाता है कि वह सत्तासीन व्यक्तियों और उनकी सत्ता के विरोध में एक शब्द भी न कहे। यदि कहीं से भी कोई आवाज्र आई, तो यह जनतांत्रिक व्यवस्था के लिए अशांति का कारण बन जाएगी। इस जनतांत्रिक व्यवस्था में ही उन्हें जीवन जीना है। इसी व्यवस्था में उनका जीवन एवं भविष्य सुरक्षित है। फलस्वरूप आम आदमी इन सत्ताधारियों के खिलाफ़ न होकर बल्कि इनके द्वारा लिए गए गलत निर्णययों को भी स्वीकार कर लेता है और ये सत्ताधारी ऐश्वर्यपूर्ण जीवन जीते है। इस व्यवस्था पर व्यंग्य करते हुए कवि कहता है कि ‘मगध को बनाए रखना है, तो मगध में शांति रहनी ही चाहिए।
प्रश्न 7. ‘हस्तक्षेप’ कविता सत्ता की कूरता और उसके कारण पैदा होने वाले प्रतिरोध ही कविता है’ – स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : जनतांत्रिक व्यवस्था में सत्ताधारियों के अत्याचारों और क्रूरता के कारण आम आदमी दुखी एवं पीड़ित है। वह इन सत्ताधारियों द्वारा भ्रमित एवं गुमराह कर दिया गया है। सत्तासीन लोग अपने ऐश्वर्य एवम् विलासिता के लिए आम जनता पर गलत निर्णय थोपते रहते हैं। आम आदमी इन गलत निर्णयों से भयभीत है परंतु वह अपने अंद्र इतनी शक्ति नहीं जुटा पाता कि वह इस अव्यवस्था के विरोध में आवाज़ बुलंद कर सके बस, औँख मूंदकर इस व्यवस्था को स्वीकार करना और दुख सहना ही उसकी नियति है। इसी पीड़ाजन्य सामाजिक अव्यवस्था को ही वह अपना भाग्य समझ बैठा है। फलस्वरूप वह इस दमघोंटू वातावरण में जीवन जीने के लिए अभिशप्त है तथा एक दिन इसी वातावरण में दम तोड़ देता है। कवि आम आदमी को अपनी एकता के बल के प्रयोग करने की सलाह देते हुए कहता है कि यदि वे सब इस अव्यवस्था के विर्द्ध मिलकर आवाज बुलंद करें, तो वे इस अन्यायपूर्ण सत्ता को पलटकर व्यवस्थित शासन व्यवस्था स्थापित कर सकते हैं।
प्रश्न 8. निम्नलिखित लाक्षणिक प्रयोगों को स्पष्ट कीजिए :
(क) कोई छींकता तक नहीं,
(ख) कोई चीखता तक नहीं,
(ग) कोई टोकता तक नहीं।
उत्तर : (क) ‘कोई छींकता तक नहीं में कवि ने लाक्षणिक प्रयोग किया है कि छीकना अव्यवस्था के विरोध में उठती एक चिंगारी है। अगर यह चिंगारी एक बार सुलग गई तो इस अव्यवस्था के प्रति खतरा साबित होगा।
(ख) ‘कोई चीखता तक नहीं’ में कवि कहता हैं कि प्राय: लोग सत्तासीन लोगों द्वारा लिए गए गलत निर्णयों के विरुद्ध आवाज नहीं उठाते अर्थात् इन गलत निर्णयों के कारण वे दु:खी एवं पीड़ित हैं परंतु उसे केवल सहन करते रहते हैं, परंतु चीखने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।
(ग) ‘कोई टोकता तक नहीं’ में कवि ने लाक्षणिकता का प्रयोग करते हुए संकेत किया है कि आम जनता केवल गलत निर्णयों को सहन करती है, दुख झेलती है परंतु इन गलत निर्णयों को थोपने वाले राजनेताओं को टोकने का साहस नही करती। बस उसे आँख मूँदकर स्वीकार करती रहती है।
प्रश्न 9. निम्नलिखित पद्यांशों की व्याख्या कीजिए –
(क) मगध को बनाए रखना है, तो …………. मगध है, तो शांति है।
(ख) मगध में व्यवस्था रहनी चाहिए क्या कहेंगे लोग ?
(ग) जब कोई नहीं करता …………….. मनुष्य क्यों मरता है?
उत्तर : (क) मगध को बनाए रखना है, तो…………मगध है, तो शांति है।
प्रस्तुत पक्तियों में कवि श्रीकांत वर्मा जनतांत्रिक अव्यवस्था पर व्यंग्य करते हुए कहते हैं कि सत्ताधारियों की क्रूरता और अत्याचारों से आम जनता इतनी भयभीत है कि वह इनके सामने छींकने तक का भी साहस नहीं जुय पाती। आम जनता जनतंत्र (मगध) की शांति को भंग न कर दे, इसलिए ये सत्ताधारी आम जनता को भ्रमित कर देते हैं। सत्ताधारी उसे इस तरह गुमराह करते हैं कि आम व्यक्ति यह मानने लगता है कि जनतंत्र बनाए रखने के लिए शांति जरूीी है अर्थात् जनतांत्रिक व्यवस्था के विरोध में कुछ भी नहीं कहना है।
(ख) मगध में व्यवस्था रहनी ही चाहिए……क्या कहेंगे लोग ?
कवि जनतांत्रिक अव्यवस्था पर व्यंग्य करते हुए एक बार फिर कहता हैं कि अगर जनतंत्र की व्यवस्था अव्यवस्थित हो गई तो यह विश्व हमें क्या कहेगा। भारत वर्ष विश्व में सबसे बड़ा जनतंत्रिक देश माना जाता है। आम व्यक्ति के सामने यही प्रश्न खड़ा कर दिया गया है कि कम-से-कम मेरे कारण तो इस व्यवस्था में कोई विरोध पैदा न हो, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति आँख मूँदकर इस अव्यवस्था को स्वीकार कर लेता है और दुखपूर्ण जीवन जीने के लिए विवश है।
(ग) जब कोई नहीं करता……….मनुष्य क्यों मरता है ?
कवि का मानना है कि जब सभी आँख मूँदकर सत्तासीन लोगों के अत्याचारों और क्रूरता को सहन करते रहेंगे तब व्यवस्था और भी बिगड़ जाएगी। और में आम आदमी का जीना दूभर हो जाएगा। परंतु आज उनमें इतनी शक्ति नहीं है कि वह इस अव्यवस्था के विस्द्ध आवाज़ बुलंद कर सके। कवि संपूर्ण समाज पर व्यंग्य करते हुए कहता हैं कि जब सारा समाज इस अव्यवस्था के विर्द्ध आवाज़ नहीं उठाएगा और दिन प्रतिदिन मनुष्य मरता रहेगा तब मुर्दा खड़ा होकर इस अव्यवस्था के विर्द्ध आवाज् बुलंद करेगा और प्रश्न उठाएगा कि आखिर आम आदमी इस व्यवस्था के कारण कब तक मरता रहेगा।
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