Eidgah Class 11th Question Answer | Class 11th Idgah Chapter Question Answer | Class 11th Hindi Idgah Chapter Question Answer | Class 11 Hindi Sahitya Chapter 1 Idgah Question Answer | ईदगाह पाठ के प्रश्न उत्तर | ईदगाह पाठ के प्रश्न उत्तर कक्षा 11
उत्तर - कहानी का प्रारंभ ईंद के आने के उल्लास से होता है। प्रकृति भी ईंद के अवसर पर अत्यंत मनोरम हो गई है। बच्चे इंदगाह पर लगनेवाले ईद के मेले में जाने की तैयारी कर रहे हैं। वे अपने-अपने पैसों से खिलौने, मिठाई आदि खरीदने का हिसाब लगा रहे हैं। हामिद की दादी उसे तीन पैसे देकर मेले में अन्य बच्चों के साथ भेजती है। बच्चे हैसते-खेलते-दौड़ते हुए मेले में जा रहे हैं। मेले में खिलौने, हलवाई, मनियारी आदि की दुकानें लगी हैं। बच्चे अपनी पसंद की चीजें खरीदते हैं। पुलिस लाइन और ईदगाह में सामूहिक रूप से नमाज पढ़नेवालों का वर्णन किया गया है। हामिद् व्यर्थ की वस्तुओं में पैसे बरबाद न करके दादी के लिए चिमटा खरीदता है क्योंकि तवे से रोटी उतारते समय उसका हाथ जल जाता है। हामिद चिमटे के गुणों से सब बच्चों को हैरान कर देता है। अमीना सारी दोपहरी भूखा रहने पर हामिद को डाँटती है पर उसके लिए चिमटा लाने पर उसके प्रति अपार स्नेह से भर उठती है। इन सभी प्रसंगों में ईद के अवसर पर ग्रामीणों के उल्लास को व्यक्त किया गया है।
प्रश्न 2. ‘उसके अंदर प्रकाश है, बाहर आशा। विपत्ति अपना सारा दलबल लेकर आए, हामिद् की आनंद-भरी चितवन उसका विध्वंस कर देगी।’ इस कथन के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि आशा का प्रकाश मनुष्य को विपरीत परिस्थितियों में भी निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
उत्तर - यदि मनुष्य के मन में उत्साह, उमंग, कुछ करने की भावना तथा साहस हो तो वह कठिन-से-कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है क्योंकि उसे विश्वास होता है कि उसका परिश्रम असफल नहीं होगा, उसकी आशाएँ पूरी होंगी। आशावान व्यक्ति को सर्वत्र शुभ ही दिखाई देता है। वह कभी निराश नहीं होता।
प्रश्न 3. ‘उन्हें क्या खबर कि चौधरी आज आँखें बदल लें, तो यह सारी ईद मुहारम हो जाए।’ इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - बच्चे ईद के दिन बहुत प्रसन्न है। वे सुबह से ही ईंदगाह पर जाने की रट लगा रहे हैं। उन्हें इस बात की चिंता नहीं है कि ईद का खच्च कैसे चलेगा ? उनके पिता चौधरी के घर रुपयों के लिए दौड़ गए हैं क्योंक वे चौधरी से पैसे लेना चाहते हैं। यदि आज चौधरी ने उन्हें पैसे देने से मना कर दिया तो वे ईद नहीं मना पाएँगे और यह खुशियों से भरा ईद का त्योहार भी उनके लिए मातम मनाने वाला मुहरम बन जाएगा।
प्रश्न 4. ‘मानो भातृत्व का एक सूत्र इन समस्त आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है।’ इस कथन के संद्भ में स्पष्ट कीजिए कि ‘धर्म तोड़ता नहीं जोड़ता है’।
उत्तर - ईंद के मेले में गाँव के सभी बच्चे एक साथ मिलकर जा रहे हैं। उनमें अमीर-गरीब, ऊँच-नीच का कोई भेदभाव नहीं हैं। वे आपस में हैंसी-मजाक करते हुए इस प्रकार जा रहे हैं जैसे सभी एक ही परिवार के सदस्य हों। इस प्रकार ईद के इस पावन पर्व पर सभी मिल-जुलकर एक हो गए हैं। इससे स्पष्ट है कि धर्म तोड़ता नहीं जोड़ता है।
प्रश्न 5. ईदगाह कहानी के शीर्षक का औचित्य सिद्ध कीजिए। क्या इस कहानी को कोई और शीर्षक दिया जा सकता है ?
उत्तर - इस कहानी का प्रमुख घटनास्थल ईदगाह है। इस कहानी की प्रमुख घटनाएँ- ईद के अवसर पर ईदगाह की चमक-दमक देखकर बच्चों का उत्साहित एवं प्रफुल्लित होना, ईदगाह जाने की तैयारियाँ, हामिद द्वारा चिमटा खरीदना, बच्चों द्वारा मेले में जकर खिलौने-मिठाई आदि खरीदना-सब ईदगाह मंं ही घटित हुई हैं। इसी आधार पर कहानी को ‘ईवगाह’ शीर्षक दिया गया होगा। हामिद द्वारा दादी के लिए चिमटा खरीदने तथा मेले में जाकर खिलौना, मिठाई आदि न खरीदने की घटना के आधार पर इस कहानी को अन्य शीर्षक दिया जा सकता है। इस घटना से हामिद के मन में अपनी दादी के प्रति आदर का भाव दिखाई देता है। वह खिलौना न खरीदकर दादी के लिए चिमटा इसलिए खरीदता है क्योंकि तवे से रोटी उतारते समय उसका हाथ जल जाता था। वह सारी दोपहरी भूखा रह लेता है परंतु मिठाई खरीदकर नहीं खाता। अन्य बच्चों को खिलौने लेते और मिठाई खाते देखकर हामिद का मन ललचाता अवश्य है परंतु दादी के कष्ट को याद कर वह सब कुछ भुलाकर उसके लिए चिमटा खरीदता है। इसलिए इस कहानी का शीर्षक ‘बालक का बड़पन’ भी हो सकता है।
प्रश्न 6. निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
(क) कई बार यही क्रिया होती है ……… आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है।
(ख) बुढ़िया का क्रोध ……… स्वाद से भरा हुआ।
उत्तर - इस पाठ का ‘सप्रसंग व्याख्या’ वाला भाग देखिए।
प्रश्न 7. हामिद ने चिमटे की उपयोगिता को सिद्ध करते हुए क्या-क्या तर्क दिए ?
उत्तर - हामिद का चिमटा देखकर उसके सभी ग्रामीण साथियों ने उसकी हैसी उड़ाई पर उसने तर्क के बल पर सभी को पराजित कर दिया। सम्मी ने अपनी खँँरी की प्रशंसा की तो हामिद ने कहा-मेरा चिमटा चाहे तो तुम्हारी खँंजरी का पेट फाड़ डाले। मेरा बहादुर चिमटा आग में, पानी में, आँधी में तुफान में बराबर डटा रहेगा। कंधे पर रखने से यह बंदूक तथा हाथ में लेने से यह फकीरों का चिमटा बन जाएगा। यह मंजीर का काम भी दे सकता है।
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प्रश्न 8. गाँव से शहर जानेवाले रास्ते के मध्य पड़नेवाले स्थलों का ऐसा वर्णन प्रेमचंद ने किया है मानों आँखों के सामने चित्र उपस्थित हो रहा हो। अपने घर और विद्यालय के मध्य पड़नेवाले स्थानों का अपने शब्दों में वर्णंन कीजिए।
उत्तर - मेरा घर शहर के अंदर के रामनगर क्षेत्र में है। यहाँ से मेरा विद्यालय चार किलोमीटर दूर खुले प्राकृतिक वातावरण में है। मैं घर से विद्यालय की बस में विद्यालय जाती हूँ। हमारी बस हमारे क्षेत्र से चलकर मुख्य बाज़ार से निकलती है। बाज़ार में वस्तों, मिठाई, किरयाना, मनियारी आदि के सामान की अनेक टुकानें हैं। बाज़ार के बाद सिनेमाघर हैं। जहाँ दिखाई जाने वाली फिल्म के पोस्टर लगे होते हैं। वहाँ से बस हमारे नगर के महाविद्यालय के मुख्य द्वार के सामने से निकलती है। महाविद्यालय बहुत विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ है। इसके साथ ही सार्वजनिक चिकित्सालय है। अंत में हमारा विद्यालय आ जाता है। हमारे विद्यालय के चारों ओर हरियाली है तथा मनोरम वातावरण है।
प्रश्न 9. ‘बच्चे हामिद ने बूट्डे हामिद का पार्ट खेला था। बुढ़िया अमीना बालिका बन गई ।’ इस कथन में ‘बूड़े हामिद’ और ‘ बालिका अमीना’ से लेखक का क्या आशय है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - हामिद मेले में जाकर भी मिठाई आदि कुछ नहीं खाता। वह सुबइ घर से गया था और दोपहर के समय घर लौटा है। इस बीच उसने कुछ भी नहीं खाया-पिया था। दादी के दिए पैसों से वह दादी के लिए चिमटा लेकर आया है क्योंकि रोटी उतारते समय तवे से दादी की उँगलियाँ जल जाती थीं। हामिद भूखा-प्यासा रहकर दादी के लिए चिमटा लाया यह सोचकर दादी का मन भर आया और वह बालिका के समान रोने लगी कि इतना छोटा बच्चा कैसे उसका ध्यान रख रहा है और उसे आशीवर्वद देने लगी। उसे हामिद एक बुजुर्ग लग रहा था और वह उसके सामने बालिका बन गई थी।
प्रश्न 10. ‘दामन फैलाकर हामिद को दुआएँ देती जाती थी और आँसू की बड़ी-बड़ी बूँदें गिराती जाती थी। हामिद इसका रहस्य क्या समझता।’ लेखक के अनुसार हामिद अमीना की दुआओं और आँसुओं के रहस्य को क्यों नहीं समझ पाया ? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - मुंशी प्रेमचंद ने यहाँ इस रहस्य की ओर संकेत किया है कि किस भावना के वशीभूत होकर हामिद की दादी एक बालिका के समान रोती जा रही है और साथ ही दामन फैलाकर उसे आशीर्वाद भी दे रही है। वह दादी के मन में छुपे हुए इस भेद को नहीं समझ पा रहा था क्योंकि वह नादान बालक था।
प्रश्न 11. हामिद के चरित्र की कोई तीन विशेषताएँ बताइए।
उत्तर - हामिद के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(क) निडर-हामिद एक निडर बालक है। उसकी दादी को चिंता है कि वह ईद के मेले में अकेला कैसे जाएगा ? उसे डर है कि मेले की भीड़-भाड़ में हामिद कहीं खो न जाए। उसके पास जूते भी नहीं हैं। वह नंगे पाँव इतनी दूर कैसा जा पाएगा ? इसपर हामिद दादी को समझाता है कि तुम छरना नहीं अम्मा, मैं सबसे पहले आऊँगा। बिल्कुल न डरना। इस प्रकार दादी को समझाकर वह गाँव के अन्य बच्चों के साथ मेले में जाता है।
(ख) समझदार-हामिद बहुत समझदार है। उसकी दादी उसे मेले में खर्च करने के लिए तीन पैसे देती है। वह वहाँ यिटाई अथवा खिलाँने लेने के स्थान पर दादी के लिए चिमटा खरीदता है क्योंकि तवे पर रोटियाँ सेकते समय दादी की उँगलियाँ जल जाती थीं। यह हामिद की समझदारी का ही प्रमाण है।
(ग) सहनशील-हामिद की सहनशीलता देखते ही बनती है। मोहसिन, सम्मी, महमूद आदि उसके खिलौना अथवा मिठाई न खरीदने पर उसका मज़ाक उड़ाते हैं। मोहसिन उसे रेवड़ी देने का दिखावा करके स्वर्य खा लेता है। इन सब बातों से हामिद क्रोधित नहीं होता बल्कि चुपचाप सब कुछ सहन कर लेता है।
(घ) तर्कशील-हामिद अपनी बात को तर्क दूबारा सिद्ध कर देता है। चिमटे को अन्य बच्चों के खिलौने से श्रेष्ठ बताने के लिए वह चिमटे को बंदूक, मंजीरा आदि बताकर प्रभावित करता है और बच्चे भी अपने खिलौने से बदलकर उसका चिमटा लेना चाहते हैं परंतु हामिद उनें नहीं देता है।
अपनी इन्ही विशेषताओं के कारण हामिद हमें सर्वाधिक प्रभावित करता है।
प्रश्न 12. हामिद के अतिरिक्त इस कहानी के किस पात्र ने आपको सर्राधिक प्रभावित किया और क्यों ?
उत्तर - ‘ईदगाह’ कहानी में हामिद के अतिरिक्त उसकी दादी अमीना हमें बहुत प्रभावित करती है। वह अपने पुत्र और पुत्रवध की मृत्यु के बाद पौत्र हामिद की परवरिश करती है। उसे हर समय हामिद् की चिंता लगी रहती है। वह उसे ईंद के मेले में भेजते समय तीन पैसे देती है। उसे उसके पाँव में जूतों के न होने तथा तीन कोस तक पैदल चल कर मेले में जाने की भी चिंता है। मेले में हामिद कुछ खाता-पीता नहीं बल्कि दादी के लिए चिमटा ले आता है। दादी उसके कुछ खाने-पीने के स्थान पर चिमटा लाने पर पहले तो उसे डाँटती है, बाद में हामिद को अपनी चिंता करते देख कि रोटी बनाते समय उसके हाथों को जलने से बचाने के लिए वह चिमटा लाया है, उसपर न्योछावर हो जाती है। इस प्रकार ममता की मूर्ति दादी हमें बहुत प्रभावित करती है।
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प्रश्न 13. ‘बच्चों में लालच एवं एक-दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ के साथ-साथ निश्छलता भी मौजूद होती है’ -कहानी से कोई दो प्रसंग चुनकर इस मत की पुष्टि कीजिए।
उत्तर - पहला प्रसंग उस समय का है जब बच्चे मिठाई खरीदकर खा रहे होते है। कोई रेवड़ी, कोई गुलाबजामुन तो कोई सोहन हलवा खरीदता है। हामिद कुछ नही खरीदता। मोहसिन हामिद को रेवड़ी देने का दिखावा करके रेवड़ी अपने मुँह में डाल लेता है तो हामिद खिसिया जाता है और सब उसका मजाक उड़ाते हैं। जैसे ही मोहसिन को अपनी गलती का अहसास होता है वह अल्ला कसम कहकर हामिद को रेवड़ी लेने के लिए कहता है। महमूद भी उसे गुलाब-जामुन देना चाहता है। दूसरा प्रसंग हामिद के द्वारा चिमटा खरीदने का है। सब बच्चे चिमटा अपने हाथ में लेकर देखना चाहते हैं। पहले कोई बच्चा अपने खिलौना हामिद को नहीं दिखाता था परंतु अब सभी बारी-बारी से अपना खिलौना हामिद को दिखा रहे थे और उसका चिमटा अपने हाथ में लेकर देख रहे थे। इन दोनों प्रसंगों से स्पष्ट है कि बच्चों में होड़ के साथ-साथ निश्लता भी होती है।
प्रश्न 14. ‘प्रेमचंद की भाषा बहुत सजीव, मुहावरेदार और बोलचाल के निकट है।’ कहानी के आधार पर इस कथन की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - ‘ईदगाह’ कहानी भाषा-शैली की दृष्टि से मुंशी प्रेमचंद की उच्चकोटि की रचना है। भाषा पूर्णत: पात्रानुकूल है। कहानी के प्रारंभ में लेखक ने काव्यात्मक भाषा के प्रयोग से ईद के त्योहार का खुशनुमा वातावारण प्रस्तुत किया है। “रमज्ञान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आई है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभात है। वृक्षों पर कुछ अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना शीवल है मानो संसार को ईद की बधाई दे रहा है।” लेखक ने सामान्य बोल-चाल के शब्दों के साथ-साथ तत्सम शब्दावली के प्रयोजन, सामग्री, शास्त्रार्थ, आघात, आतंकित, मोहित, परास्त जैसे शब्दों का भरपूर प्रयोग किया गया है। पात्रों की दृष्टि से गाँव में प्रचलित शब्दों जैसे-अब्बाजान, अम्मीजान, अल्लाह मियाँ, नियामतें, अठन्नी, जिन्नात, कानिसटिबिल, जाजिम, सिजदे, हिंडोला, घुड़कियाँ का प्रयोग यथास्थान उचित रूप से किया गया है। गाँव से मेले में जाने के लिए अब लोग निकलते हैं तो उनके साथ चल रहे बच्चों की हरकतों का लेखक ने बाल मनोविज्ञान के अनुसार सहज चित्रण किया है।” गाँव से मेला चला। और बच्चों के साथ हामिद भी जा रहा था। कभी सब-के-सब दौड़कर आगे निकल जाते। फिर किसी पेड़ के नीचे खड़े होकर साथवालों का इंतज़ार करते। यह लोग क्यों इतना धीरे-धीरे चल रहे हैं। हामिद् के पैरों में तो जैसे पर लग गए हैं। वह कभी थक सकता है। कहानी की शैली मुख्य रूप से वर्णनात्मक है किंतु संवादों के द्वारा कहानी में रोचकता तथा गति का समावेश हो गया है। संवाद संक्षिप्त, चुस्त, पात्रानुकूल तथा सहज हैं- जैसे दुकानदार और हामिद का यह वार्तालाप- “हामिद ने दुकानदार से पूछा-यह चिमटा कितने का है ? दुकानदार ने उसकी ओर देखा और कोई आदमी साथ न देखकर कहा-तुम्हारे काम का नहीं है जी । ‘बिकाऊ है कि नहीं ?’ ‘बिकाऊ क्यों नहीं है। और यहाँ क्यों लाद लाए हैं? ‘तो बताते क्यों नहीं, कै पैसे का है ?’ ‘छह पैसे लगेंगे।’ हामिद का दिल बैठ गया। ‘ठीक-ठीक बताओ!’ ‘ठीक-ठीक पाँच पैसे लगेंगे, लेना हो लो, नहीं चलते बनो।’ हामिद ने कलेजा मज़बूत करके कहा- ‘तीन पैसे लोगे ?’ इस प्रकार स्पष्ट है कि ‘ईदगाह’ कहानी की भाषा-शैली अत्यंत सहज, भावपूर्ण तथा प्रवाहमयी है।
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