Dusra Devdas Class 12 Hindi Question Answer | Class 12 Hindi Dusra Devdas Question Answer | दूसरा देवदास पाठ के Questions Answer

0

Dusra Devdas Class 12 Hindi Question Answer | Class 12 Hindi Dusra Devdas Question Answer | दूसरा देवदास पाठ के Questions Answer  


 प्रश्न 1. पाठ के आधार पर हर की पौड़ी पर होने वाली गंगाजी की आरती का भावपूर्ण वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर - हर की पौड़ी पर संध्या के समय जो गंगाजी की आरती होती है, उसका एक अलग ही रंग होता है। संध्या के समय गंगा-घाट पर भारी भीड़ एकत्रित हो जाती है। भक्त फूलों के एक रुपए वाले दोने दो रुपए में खरीदकर भी खुश होते हैं। गंगा-सभा के स्वयंसेवक खाकी वर्दी में मुस्तैदी से व्यवस्था देखते घूमते रहते हैं। भक्तगण सीढ़ियों पर शांत भाव से बैठते हैं। आरती शुरू होने का समय होते ही चारों ओर हलचल मच जाती है। लोग अपने मनोरथ सिद्धि के लिए स्पेशल आरती करवाते हैं। पाँच मंजिली पीतल की नीलांजलि (आरती का पात्र) में हजारों बत्तियाँ जल उठती हैं। औरतें गंगा में डुबकी लगाकर गीले वस्त्रों में ही आरती में शामिल होती हैं। स्त्री-पुरुषों के माथे पर पंडे-पुजारी तिलक लगाते हैं। पंडित हाथ में अंगोछा लपेट कर नीलांजलि को पकड़कर आरती उतारते हैं। लोग अपनी मनौतियों के दिए लिए हुए फूलों की छोटी-छोटी किश्तियाँ गंगा की लहरों में तैराते हैं। गंगापुत्र इन दोनों में से पैसे उठा लेते हैं। पुजारी समवेत स्वर में आरती गाते हैं। उनके स्वर में लता मंगेशकर का मधुर स्वर मिलकर ‘ओम जय ज्गदीश हरे’ की आरती से सारे वातावरण को गुंजायमान कर देता है।


प्रश्न 2. ‘गंगापुत्र के लिए गंगा मैया ही जीविका और जीवन है’-इसं कथन के आधार पर गंगा पुत्रों के जीवन-परिवेश की चर्चा कीजिए।

उत्तर - गंगा पुत्र वे हैं जो गंगा में गोता लगाकर लोगों द्वारा तैराए गए फूलों के दोने में रखे पैसों के उठाकर अपने मुँह में दबा लेते हैं। जैसे ही कोई भक्त दोना पानी में सरकाता है, वैसे ही गंगापुत्र उस पर लपकते हैं। वे दोने से पैसे उठा लेते हैं। यदि कभी दीपक की आग उनके लंगोट में लग जाती है तो वे झट से गंगाजी में बैठ जाते हैं। गंगा मैया ही उनकी जीविका और जीवन है। वे यहाँ से मिले पैसों से अपनी जीविका चलाते हैं। वे बीस-बीस चक्कर लगाते हैं और रेजगारी बटोरते हैं। गंगापुत्र की बीवी और बहन कुशाघाट पर रेजगारी बेचकर नोट कमाती हैं। वे एक रुपए के बदले 80-85 पैसे देती हैं। हम कह सकते हैं कि इन गंगा-पुत्रों का जीवन कष्टपूर्ण परिस्थितियों में बीतता होगा। इस काम से उन्हें सीमित ही आमदनी होती होगी। वे सामान्य परिवेश में अपना गुजर-बसर करते होंगे।


प्रश्न 3. पुजारी ने लड़की के ‘हम’ को युगल अर्थ में लेकर क्या आशीर्वाद दिया और पुजारी द्वारा आशीर्वाद देने के बाद लड़के और लड़की के व्यग्रहार में अटपटापन क्यों आ ग्या ?

उत्तर - जब लड़की हर की पौड़ी पर पहुँची तब आरती हो चुकी थी। पंडित ने तो अपने लालच में वहीं आरती कराने को कहा पर लड़की ने इंकार केरते हुए कहा- ‘हम कल आरती की बेला में आएँगे।’ उस समय एक लड़का संभव भी उसके पास खड़ा था, अतः पुजारी ने उन्हें पति-पत्नी समझ लिय!। उसने ‘हम’ को युगल के अर्थ में लिया और आशीर्वाद देते हुए कहा- “सुखी रहो, फूलो-फलो, जब भी आओ साथ ही आना, गंगा मैया मनोरथ पूरे करें।” पुज़ारी का ऐसा आशीर्वाद सुनकर लड़के-लड़की के व्यवहार में कुछ अटपटापन आ गया। दोनों को लगा कि यह गलतफहमी के कारण ही हुआ है। उन्होंने मुँह से तो कुछ नहीं कहा पर लगता था कि लड़का (संभव) कहना चाहता था- इसमें मेरी कोई गलती नहीं थी। पुजारी ने गलत अर्थ ले लिया।” लड़की भी कहना चाहती थी-“आपको इतना पास नहीं खड़ा होना चाहिए था।” दोनों एक-दूसरे से नजरें बचाने लगे।


प्रश्न 4. उस छोटी-सी मुलाकात ने संभव के मन में क्या हलचल उत्पन्न कर दी? इसका सूक्ष्म विवेचन कीजिए।

उत्तर - पारों के साथ हुई उस छोटी सी मुलाकात ने संभव के मन को झिंझोड़ डाला। संभव का मन बेचैन हो गया। उसने उसे देखने के लिए अनेक गलियों में चक्कर लगाए पर सफलता न मिली। संभव को रात को भी ठीक से नींद नहीं आई। अगले दिन वह शाम होने की प्रतीक्षा करता रहा क्योंकि वह शाम की आरती में शामिल होने की बात कहकर गई थी। संभव की आँखों में उस लड़को की छवि पूरी तरह से बस गई थी। वह उसी की एक झलक देखना चाह रहा था। वह मन ही मन यह सोच रहा था कि यदि वह मिल गई तो उससे क्या-क्या प्रश्न करेगा।


प्रश्न 5. मंसा देवी जाने के लिए केबिल कार में बैठे हुए संभव के मन में जो कल्पनाएँ उठ रही थीं, उनका वर्णन कीजिए।

उत्तर - मंसा देवी जाने के लिए संभव एक गुलाबी केबिल कार में बैठ गया। जब उसने उस लड़की को गुलाबी वस्त्रों में देखा था तब से गुलाबी के सिवाय कोई और रंग अच्छा ही नहीं लग रहा था। उसके मन में उस लड़की के दिखाई देने की कल्पनाएँ उठ रही थीं। यद्यपि संभव पूजा-पाठ में विश्वास नहीं करता था, पर अब उसका मन इसमें इसलिए लग रहा था ताकि किसी प्रकार उसकी भेंट अपने मन में बसी लड़की के साथ हो जाए। इसीलिए उसने मंसादेवी के मंदिर में चढ़ावे के लिए एक थैली भी खरीदी। उसने लाल-पीले धागे भी खरीदे। संभव ने भी पूरी श्रद्धा के साथ गाँठ लगाई, फिर सिर झुकाया, नैवेद्य चढ़ाया। जब उसने पीली केबिल कार में उस लड़की को बैठे देखा तब वह बेचैन हो गया। उसका मन हुआ कि वह पंछी की तरह उड़कर पीली केबिल कार में पहुँच जाए।


प्रश्न 6. “पारो बुआ, पारो बुआ इनका नाम है” ‘उसे भी मनोकामना का पीला-लाल धागा और उसमें पड़ी गिठान का मधुर स्परण हो आया।” कथन के आधार पर कहानी के संकेत पूर्ण आशय पर टिप्पणी लिखिए।

उत्तर - जब लड़के ने अपनी बुआ का नाम ‘पारो’ बताया तब संभव को लगा कि उसकी मनोकामना का पीला-लाल धागा बाँधना सार्थक हो गया। उसने इसी लड़की को देखने-मिलने की मनोकामना को लेकर गिठान लगाई थी। पारो को देखकर उसे गिठान का मधुर स्मरण हो आया। वह स्वयं को देवदास समझने लगा। उसे लगने लगा कि अब पारो उसकी हो जाएगी। कहानी का संकेत यही कहता है।


प्रश्न 7. ‘मनोकामना की गाँठ भी अद्भुत अनूठी है, इधर बाँधो उधर लग जाती है।’ कथन के आधार पर पारो की मनोदशा का वर्णन दीजिए।

उत्तर - लड़की मंसा देवी पर एक और चुनरी चढ़ाने का संकल्प लेती है अर्थात् वह भी मन-ही-मन संभव से प्रेम कर बैठती है। उसके मन में भी प्रेम का स्फुरण होने लगता है। इस कथन के आधार पर कहा जा सकता है कि पारो के मन में भी संभव के प्रति प्रेम का अंकुर फूट पड़ता है। उसका लाज से गुलाबी होते हुए मंसादेवी पर एक और चुनरी चढ़ाने का संकल्प उसकी इसी प्रेमातुर मनोदशा का सूचक है। वह प्रश्नवाचक नजरों से संभव की ओर देखती भी है। वह संभव का नाम भी जानना चाहती है। पारो को लगता है कि यह गाँठ कितनी अनूठी है, कितनी अद्भुत है, कितनी आश्चर्यजनक है। अभी बाँधी, अभी फल की प्राप्ति हो गई। देवी माँ ने उसकी मनोकामना शीय्र पूरी कर दी।


यह पेज आपको कैसा लगा ... कमेंट बॉक्स में फीडबैक जरूर दें...!!!



प्रश्न 8. निम्नलिखित वाक्यों का आशय स्पष्ट कीजिए :

(क) ‘तुझे तो तैरना भी न आवे। कहीं पैर फिसल जाता तो मैं तेरी माँ को कौन मुँह दिखाती।’

(ख) ‘उसके चेहरे पर इतना विभोर विनीत भाव था मानो उसने अपना सारा अहम् त्याग दिया है, उसके अंदर स्व से जनित कोई-कुंठा शेष नहीं है, वह शुद्ध रूप से चेतन स्वरूप, आत्माराम और निर्मलानंद है।’

(ग) ‘एकदम अंदर के प्रकोष्ठ में चामुंडा रूप धारिणी मंसादेवी स्थापित थी। व्यापार यहाँ भी था।

उत्तर - (क) यह कथन संभव की नानी का है। संभव गंगा तट से बहुत देर से लौटा तो नानी को चिंता सवार हो गई। अगर संभव का पैर फिसल जाता और वह गंगा में डूब जाता तो नानी उसकी माँ अर्थात् अपनी बेटी को कैसे मुँह दिखा पाती। (यहाँ निहितार्थ है-प्रेम में कच्चा, प्रेम-सागर में फिसलना)

(ख) संभव ने देखा कि गंगा की जलधारा के बीच एक आदमी सूर्य की ओर उन्मुख हाथ जोड़े खड़ा था। उसके चेहरे को देखकर लगता था कि उसने सारे अहम् भाव को त्याग दिया है। वह भाव-विभोर था और विनीत भाव से पूजा-अर्चना कर रहा था। उसे देखकर ऐसा प्रतीत होता था कि उसके मन में स्व (Igo) से उत्पन्न कोई कुंठा नहीं रह गई है। वह साक्षात् परमात्मा का रूप दिखाई दे रहा था। उसमें बस चेतना, आत्मा है जो अत्यंत निर्मल है। वह ‘स्व’ से ऊपर उठ चुका था और परमात्मा में लीन हो चुका था।

(ग) मंसा देवी के मंदिर में जाकर संभव ने देखा कि एक कमरे में चामुंडा रूप धारण किए मंसादेवी की मूर्ति स्थापित थीं। उसके सामने भी व्यापारिक गतिविधियाँ जारी थीं। वहाँ लाल-पीले धागे बिक रहे थे, रुद्राक्ष बिक रहे थे। अर्थात् मंदिर में भी व्यापार चल रहा था। सर्वत्र व्यापार का बोलबाला है।

प्रश्न 9. ‘दूसरा देवदास’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर - इस कहानी का शीर्षक ‘दूसरा देवदास’ पूरी तरह से सार्थक है। पहला देवदास भी अपनी पारो के प्रति इतना ही आसक्त था जितना यह दूसरा देवदास (संभव) था। इस दूसरे देवदास के मन में भी अपनी इस पारो (यह नाम अंत में पता चलता है) को देखने, मिलने की उत्तनी ही ललक थी। उसका अपना परिचय देते हुए स्वयं को ‘संभव देवदास’ बताना भी इसी ओर संकेत करता है। दोनों के हृदयों में अनजाने ही प्रेम का स्फुरण हो जाना शीर्षक को रूमानियत और सार्थकता दे जाता है। यह शीर्षक प्रतीकात्मक भी है क्योंकि देवदास उसे कहा जाता है जो अपनी प्रेमिका के प्यार में पागलपन की स्थिति तक पहुँच जाए। संभव की भी यही दशा होती है।

प्रश्न 10. ‘हे ईश्वर! उसने कब सोचा था कि मनोकामना का मौन उद्गार इतनी शीघ्र शुभ परिणाम दिखाएगा।’

उत्तर - जब संभव ने अपनी मनचाही लड़की को अगले दिन ही अपने सामने देख लिया तो उसके मुँह से उपर्युक्त वाक्य निकला। उसने ईश्वर के समक्ष ऐसी कामना तो अवश्य की थी, पर वह यह नहीं जानता था कि उसकी मनोकामना इतनी जल्दी पूरी हो जाएगी। उसकी मनोकामना मौन अवश्य थी पर उसका सुखद परिणाम शीघ्र निकल आया। उम्मीद से बढ़कर प्राप्ति हुई थी।


आपकी स्टडी से संबंधित और क्या चाहते हो? ... कमेंट करना मत भूलना...!!!


Post a Comment

0Comments

If you have any doubts, Please let me know

Post a Comment (0)