Jyotiba Phule Class 11 Hindi Important Question Answer | Class 11th Hindi Jyotiba Phule Important Question | ज्योतिबा फुले Class 11 Important Questions

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Jyotiba Phule Class 11 Hindi Important Question Answer | Class 11th Hindi Jyotiba Phule Important Question | ज्योतिबा फुले Class 11 Important Questions



प्रश्न 1. महात्मा ज्योतिबा फुले का नाम पाँच समाज-सुधारकों की सूची में क्यों नहीं आता ?

उत्तर - महात्मा ज्योतिबा फुले ब्राह्मण होते हुए भी ब्राह्मणत्व और सामाजिक मूल्यों को कायम रखने वाली शिक्षा के विरुद्ध थे। उन्होंने अपने क्रांतिकारी साहित्य से पूँजीवादी और पुरोहितवादी मानसिकता पर हल्ला बोल दिया था। उनका संभ्रांत समाज के प्रति ऐसा विरोध प्रतिष्ठित समाज को पसंद नहीं आया था। इसीलिए उस समय के महान समाज सुधारक ज्योतिबा फुले का नाम पाँच समाज-सुधारकों की सूची में नहीं आता।


प्रश्न 2. महात्मा ज्योतिबा फुले के मौलिक विच्चार कौन-कौन-सी पुस्तकों में संग्रहीत हैं ?

उत्तर - महात्मा ज्योतिबा फुले के मॉलिक विचार ‘गुलामगिरी ‘, ‘शेतकरयांचा आसूड’ (किसानों का प्रतिशोध), ‘सार्वजनिक सत्यधर्म’ आदि पुस्तकों में संग्रहीत हैं।


प्रश्न 3. पाठ में आई सावित्री बाई के बचपन की घटना का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर - सावित्री बाई की बचपन से शिक्षा में रुचि थी। उनके सीखने की शक्ति बहुत तेज़ थी। एक दिन सावित्री अकेली शिखल गाँव के बाजार में गई थी। रास्ते में कुछ खरीदकर खाते-खाते चल रही थी। वहाँ वह कुछ मिशनरी पुरुर्षों और स्त्रियों को गाते हुए सुनने लगी। एक लाट साहब ने रास्ते में उन्हें खाते देखा तो कहने लगे कि रास्ते में चलते हुए खाना अच्छी बात नहीं है। यह सुनकर सावित्री ने हाथ का शेष खाने का सामान फेंक दिया। लाट साहब ने उसकी इस बात से खुश होकर एक किताब दी और घर जाकर देखने के लिए कहा। उसने यह किताब घर जाकर पिता को दिखाई। पिता किताब देखकर बहुत क्रोधित हुए और कहने लगे कि ईसाइयों से चीज़ लेकर केवल तेरा ही नाश नहीं होगा, अपितु उनके पूरे कुल का नाश हो जाएगा। यह कहकर पुस्तक कूड़े के ढेर पर फेंक दी, पर सावित्री बाई ने वह पुस्तक उठाकर घर के कोने में छिपाकर रख ली थी।


प्रश्न 4. ‘शेतकर्यांचा आसूड’ (किसानों का प्रतिशोध) पुस्तक के उपोद्यात की पंक्तियाँ दोहराइए और उनका आशय लिखिए।

उत्तर - ज्योतिबा फुले ने ब्राह्मवादी मानसिकता की असलियत को प्रकट करते हुए अपने बहुचचिंत ग्रंथ-‘ शेतकर्यांचा आसूड’ (किसानों का प्रतिशोध) के उपदद्घात में लिखा है-

‘विद्या बिना मति गई

मति बिना नीति गई

नीति बिना गति गई

गति बिना वित्त गया

वित्त बिना शुद्र गए।

इतने अनर्थ एक अविद्या ने किए।’ ब्राहमण समाज ने किसी विशेष वर्ग को विद्या का अधिकार इसलिए नहीं दिया था क्योंकि उन्हें डर था कि असहाय पढ़-लिखकर उनके बराबर आ जाएँगे तो वे वह किस पर शासन करेंगे। इसीलिए उन्होंने अपने ग्रंथ में इन पंक्तियों के माध्यम से याह बताया है कि विद्या प्राप्त नहीं करने से व्यक्ति कभी भी ऊँचा नहीं उठ सकता। सभी बुराइयों की जड़ अशिक्षा है। विद्या से ही मनुष्य ऐसी बुद्धि प्राप्त कर सकता है जिससे वह अपना अच्छा-बुरा सोच सके। शिक्षा के बिना बुद्धि का विकास संभव नहीं है। बुद्धि के विकास के बिना मनुष्य अपना और दूसरों का भला नहीं कर सकता। दूसरों का भला तभी हो सकता है जब उसमें अच्छे-बुरे का ज्ञान हो। बुद्धि के विकास के बिना मनुष्य में नैतिक मूल्यों का संचार नहीं हो सकता। नैतिक ज्ञान के बिना मनुष्य समाज में उन्नति नहीं कर सकता अर्थात् अपना तथा अपने परिवार का भला नहीं कर सकता। अच्छे-बुरे के ज्ञान के बिना वह कोई भी काम ठीक ढंग से नहीं कर सकता। समाज में रहकर जीवन जीने के लिए धन की आवश्यकता होती है और वह बिना काम के संभव नहीं। बिना काम करे कोई कुछ नर्हीं देता। यदि धन नहीं है तो मनुष्य का जीवन अंधकारमय है अर्थात मनुष्य गरीब हो जाता है। गरीब व्यक्ति से समाज में असहायों जैसा व्यवहार किया जाता है। इन सबका कारण है। यही सारे विवाद का कारण है, इसलिए मनुष्य का शिक्षित होना अनिवार्य है। मनुष्य चाहे असहाय हो या स्त्री हो उसे अपने अधिकार प्राप्त करने के लिए शिक्षित अवश्य होना चाहिए। ज्योतिबा फुले इन पंक्तियों के माध्यम से शिक्षा के महत्व को बताना चाहते थे।


प्रश्न 5. असहायों के उत्थान के लिए ज्योतिबा ने क्या उपाय किए ?

उत्तर - असहायों के उत्थान के लिए ज्योतिबा ने उन्हें शिक्षा प्राप्त करने पर बल दिया। शिक्षा के द्वारा ही वे अच्छे-बुरे को समझ सकते हैं और स्वयं को ऊँचे समाज में स्थापित कर सकते हैं। असहायों। को उनका अधिकार दिलाने के लिए ज्योतिबा ने ज्राहमणों और राजसत्ता के विरुद्ध आंदोलन शुरू कर दिया। उन्होंने अपने क्रांतिकारी विचारों से पारंपरिक रूढ़ियों में जकड़ी मानसिकता पर प्रहार किया। असहाय लोग एक घूँट पानी पीकर प्यास बुझाने को विवश थे। उन्होंने अपने घर की पानी की टंकी सभी के लिए खोल दी।


प्रश्न 6. सावित्री बाई के प्रमुख कार्य क्या थे ?

उत्तर - सावित्री बाई ज्योतिबा फुले की पत्नी थीं। वह भी अपने पति की तरह ही असहाय और स्त्रियों के उत्थान के लिए कार्य करती थी। सावित्री बाई लड़कियों की पाठशाला में पढ़ाने जाती थीं, लोगों जिसके लिए उन्हें प्रतिष्ठित समाज से तरह-तरह के आरोप सहन करने पड़े। मिशनरी महिलाओं की तरह किसानों और असहाय के घरों में जाकर लड़कियों को पाठशाला भेजने का आग्रह करना, बालहत्या को रोकना, अनाथ बच्चों और विधवाओं को समाज में फिर से जीवन जीने के लायक बनाना, विधवाओं के नवजात बच्चों की देखभाल करना और दलितें को अपने घर से पीने के लिए पानी देना आदि सावित्री बाई के प्रमुख कार्य थे।


प्रश्न 7. ज्योतिबा फुले ने किस प्रकार से सर्वांगीण समाज की कल्पना की है ?

उत्तर - ज्योतिबा फुले ब्राह्मण परिवार से थे। ज्योतिबा फुले के विचार ब्राह्मण समाज को बढ़ावा देनेवाले नही थे। उनके विचार तो अपने समय से बहुत आगे थे। उस समय के समाज में असहायों और स्त्रियों के अधिकारों के लिए सोचना भी पाप समझा जाता था। ज्योतिबा फुले समाज का सवांगीण विकास चाहते थे। वह असहायों और स्त्रियों के उद्धार के बिना अधूरा था। उन्होंने अपने विचारों से असहायों और स्त्रियों को पूँजीवादी और धर्मसत्ता के विरुद्ध आंदोलन के लिए प्रेरित किया। उनके समाज में सभी को शिक्षा, समानता और स्वतंत्रता का अधिकार मिलना चाहिए। उनके अनुसार आधुनिक शिक्षा पर अधिकार केवल ऊँचे लोगों का न होकर है। असहायों और स्त्रियों को भी प्राप्त होनी चाहिए, क्योंकि शिक्षों के साधनों में गरीबों से प्राप्त ‘कर’ भी लगा होता है। समाज तभी विकसित हो सकता है जब परिवार के सभी सदस्य आदर्श हों। उनकी कल्पना के अनुसार आदर्श परिवार वह है, जिसमें “पिता बौद्ध, माता ईसाई, बेटी मुसलमान और बेटा सत्यधमीं हो” सभी को जीवन जीने के समान अवसर मिलें। किसी से छोटा समझकर बुरा व्यवहार न किया जाए। विधवा अपने घर में घुट-घुटकर जीवित न रहे और उनके बच्चे अनाथों की तरह न पलें। इन सबके लिए उस समय के पारंपरिक और रुढ़िवादी समाज का विरोध करने का साहस चाहिए था। ज्योतिबा ने समाज को पुराने विचारों से बाहर निकालने के लिए सभी प्रकार का विरोध सहा और समाज को नया रूप दिया। अन्य लोगों को भी नए समाज के लिए प्रेरित किया, जहाँ सभी को समानता और स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त हो।


प्रश्न 8. ज्योतिबा फुले स्त्री-पुरुष के बीच किस प्रकार के संबंध चाहते थे ?

उत्तर - पुराने समय में स्त्री को समाज में वही स्थान प्राप्त था जो स्थान असहायों को प्राप्त था। ब्राह्मण समाज में स्त्री होना बुरे कर्म का फल माना जाता था। स्त्री केवल आमोद-प्रमोद की वस्तु मानी जाती थी। ऐसे में ज्योतिबा फुले ने स्ती को समाज में स्वतंत्रता और समानता का अधिकार देने की बात कही। उन्होंने कहा कि स्त्रियाँ भी पुरुषों की तरह इनसान हैं। उन्हें भी खुली हवा में साँस लेने का अधिकार है और पुरुष के समान ही शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। पुरुषों और स्त्रियों में पक्षपात नहीं होना चाहिए। ज्योतिबा ने पुरुष समाज में स्त्री समानता को प्रतिष्ठित करने के लिए नई विवाह विधि की रचना की, जिसमें स्त्री पुरुष से समानता और स्वतंत्रता का अधिकार माँग सके। इससे दोनों में एक-दूसरे के प्रति समर्पण भाव जागृत होगा। वे लोग समाज के उद्धार में अपना सहयोग दे सकेंगे। यदि पुरुष स्त्री को समाज में उचित स्थान देगा तो बह उसके साथ-मिलकर, हर प्रकार का विरोध सहकर, कठिन-से-कठिन परिस्थिति में उसका साथ देगी। इस प्रकार स्त्री-पुरुष दोनों में प्यार, समर्पण, त्याग और विश्वास की भावना उत्पन्न होगी। ज्योतिबा फुले स्त्री-पुरुष में मधुर एवं आदर्श संबंध देखना चाहते थे जिससे समाज में स्त्री-पुरुष संबंधों का आदर्श स्थापित हो सके।


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प्रश्न 9. ज्योतिबा ने स्त्री-शिक्षा का व्यावहारिक उदाहरण किस प्रकार प्रस्तुत किया ?

उत्तर - ज्योतिबा फुले के विचार अपने समय से बहुत आगे थे। उनके विचारों ने समाज को नई दिशा प्रदान की। उनकी कथनी एवं करनी में कोई भेदभाव नहीं था। उन्होंने समाज में स्त्री को स्वतंत्रता और समानता के अधिकार देने को कहा। स्त्री स्वतंत्रता और समानता का अधिकार तभी प्राप्त कर सकती है जब वह शिक्षित हो। इस क्रांतिकारी आंदोलन का आरंभ उन्होंने अपने घर से किया। सबसे पहले अपनी पत्नी को शिक्षित किया। उन्हें मराठी भाषा ही नहीं, अंग्रेज़ी में भी पढ़ना-लिखना सिखाया। सावित्री बाई की भी पढ़ाई में रुचि थी। उन्हैं अपने पिता के घर पढ़ने नही दिया गया था। उनके पिता के अनुसार पढ़-लिखकर स्त्रियों की बुद्धि खराब हो जाती है। सावित्री बाई को शिक्षित करने के उपरांत उन्होंने पुणे में 14 जनवरी, 1848 में पहली कन्या पाठशाला खोली। भारत के 3000 सालों के इतिहास में ऐसा पहले कभी नही हुआ था कि स्त्रियों के लिए अलग पाठशाला हो। इस कार्य में उन्हें परिवार और समाज दोनों का कड़ा विरोध सहन करना पड़ा। ब्राह्मण समाज जिस स्त्री को तुच्छ समझकर घर के एक कोने में रखना चाहता था, उसे फुले के प्रयासों ने घर के कोने से निकालकर समाज में आदरणीय स्थान प्रदान किया। इस कार्य के लिए ब्राहमण समाज ने उनका बहिष्कार कर दिया। धर्म के बँधनों में जकड़े उनके पिता ने भी ब्राह्मण समाज से डरकर ज्योतिबा फुले और सावित्री देवी को घर से निकाल दिया। इस प्रकार स्त्री-शिक्षा के लिए उन्हें समाज का कड़ा विरोध सहन करना पड़ा। सावित्री बाई को शिक्षित करके उन्होंने समाज के अन्य लोगों के समक्ष उदाहरण प्रस्तुत किया और साबित्री बाई ने भी शिक्षित होने के पश्चात् पति के कायों को बढ़-चढ़कर आगे बढ़ाया।


प्रश्न 10. ज्योतिबा और सावित्री कैसे एक और एक मिलकर ग्यारह हो गए ?

उत्तर - ज्योतिबा और सावित्री बाई समाज के लिए एक आदर्श दंपति थे। ज्योतिबा ने स्त्रियाँ की शिक्षा, स्वतंत्रता और समानता के जो विचार समाज के समक्ष रखे, इन विचारों पर सबसे पहले अमल भी उन्होंने ही किया। अपनी पत्नी को शिक्षित करके स्वतंत्रता और समानता का अधिकार दिया। उनकी पत्नी ने भी शिक्षित होकर अपने पति के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर समाज उद्धार के प्रत्येक कार्य में पूरा सहयोग दिया। स्त्रियों और असहायों को समाज में स्थान दिलाने के लिए उन्होंने ब्राह्मण समाज से टक्कर ली। सावित्री देवी ने अपने पति ज्योतिबा फुले के समाज-बदलाव के क्रांतिकारी आंदोलनों में पूरा साथ दिया। उन्हें कभी भी अकेला नहीं होने दिया। कन्या पाठशाला में पढ़ाने जाते हुए सावित्री देवी को कई तरह से अपमानित किया गया लेकिन वे पीछे नहीं हटी। विधवाओं को फिर से जीवन शुरु करने के लिए अवसर दिए और नबजात बच्चों की देखभाल स्वयं की। किसानों और असहायों के घरों में जाकर उनकी कन्याओं को पढ़ने के लिए आग्रह करते थे। असहायों का एक घूँट पानी पीकर प्यास बुझाने की विवशता देखकर उनके लिए अपने घर की हौद के दरवाज्जे खोल दिए। उन दोनों ने समाज में फैली कुरीतियों, अंधविश्वासों और पारंपरिक अनीतिपूर्ण विचारों का डटकर मुकाबला किया और स्त्रियों और असहायों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। ज्योतिबा और सावित्री बाई ने प्रत्येक कार्य खुले रूप से किया है। दोनों का आदर्श दांपत्य सभी के लिए एक मिसाल है।


प्रश्न 11. लेखिका ने अपने निबंध में किन-किनके कार्यों को प्रतिपादित किया है ?

उत्तर - लेखिका सुधा अरोड़ा मूलत: कथाकार है। उनके यहाँ स्त्री-विमर्श का रूप आक्रामक न होकर सहज और संयत है। लेखिका ने ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी द्वारा समाज में किए गए शिक्षा और समाज-सुधार संबंधी कायों का महत्व बताया है कि किस प्रकार उन्होंने सामाजिक और धार्मिक रूढ़ियों का विरोध कर दलितों, शोषितों और स्त्रियों की समानता के हक की लड़ाई लड़ी। इसके कारण समाज का व्यापक विरोध भी उन्हें झेलना पड़ा।


प्रश्न 12. आदर्श परिवार के बारे में ज्योतिबा फुले के क्या विचार थे ?

उत्तर - ज्योतिबा फुले के विचार उनके समय से बहुत आगे थे। आदर्श परिवार के बारे में उनकी अवधारणा थी कि जिस परिवार में पिता बौद्ध, माता ईसाई, बेटी मुसलमान और बेटा सत्यधर्मी हो, वह परिवार आदर्श परिवार है।


प्रश्न 13. आधुनिक शिक्षा के बारे में ज्योतिबा फुले के क्या विचार थे ?

उत्तर - आधुनिक शिक्षा के बारे में ज्योतिबा फुले के विचार थे कि यदि आधुनिक शिक्षा का लाभ सिर्फ उच्च वर्ग को ही मिलता है, तो उसमें निम्न वर्ग को क्या लाभ होगा ? गरीबों से कर जमा करना और उसे उच्चवर्गीय लोगों के बच्चों की शिक्षा पर खर्च करना उचित नहीं है।


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प्रश्न 14. ज्योतिबा की सबसे बड़ी विशेषता क्या थी ?

उत्तर - ज्योतिबा की सबसे बड़ी विशेषता उनकी कथनी और करनी में अंतर का न होना है। उनके विचार अपने समय से बहुत आगे थे। उनके विचारों ने समाज को नई दिशा प्रदान की। उन्होंने असहायों और स्तिर्यों के उत्थान के लिए अनगिनत कार्य किए। वे अक्सर भाईचारे, सौहार्द एवं सिद्धांतों की बातें करते थे। उन्होंने पहली कन्याशाला की स्थापना भी की। ज्योतिबा फुले समाज का सवांगीण विकास चाहते थे।


प्रश्न 15. जब ज्योतिबा को ‘महात्मा’ की उपाधि से सम्मानित किया गया, तो उनके विचार क्या थे ?

उत्तर - सन् 1888 में जब ज्योतिबा फुले को ‘महात्मा’ की उपाधि से सम्मानित किया गया, तो उन्होंने कहा, ‘मुझे ‘महात्मा’ कहकर मेरे संघर्ष को पूर्णविराम मत दीजिए। जब व्यक्ति मठाधीश बन जाता है तब वह संघर्ष नहीं कर सकता। इसलिए आप सब मुझे साधारण जन ही रहने दें। मुझे अपने बीच से अलग न करें।”


प्रश्न 16. पाठ में वर्णित पात्र सावित्री कौन है ? आप उसके बारे में क्या जानते हैं ?

उत्तर - पाठ में वर्णित पात्र सावित्री ज्योतिबा फुले की पत्नी थी। वह पति द्वारा किए जानेवाले समाज-सुधार के कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेती है। सावित्री देवी की बचपन से ही शिक्षा में रुचि थी। वह एक निडर तथा साहसी महिला थी। वह लड़कियों की पाठशाला में पढ़ाने जाती थी। सन 1840 में इनका विवाह ज्योतिबा फुले से हो गया। 14 जनवरी, सन 1848 को पुणे में सावित्री ने अपने पति ज्योतिबा फुले की सहायता से प्रथम कन्या पाठशाला की स्थापना की।


प्रश्न 17. सावित्री देवी को पाठशाला में जाने से रोकने के लिए लोगों ने क्या किया ?

उत्तर - सावित्री देवी को पाठशाला में जाने से रोकने के लिए लोगों ने उनपर थूक फेंका, पत्थर मारे, गोबर उछाला, आते-जाते ताने-कसे, लेकिन सावित्री ने अपना धैर्य नहीं होड़ा अपितु सभी प्रकार के विरोधों का डटकर मुकाबला किया। उन्हें ब्राह्मण समाज से भी बाहर निकाल दिया गया। ज्योतिबा के पिता ने भी उसे पुरोहितों और रिश्तेदारों के भय से अपने घर से निकाल दिया।


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