Class 10th Manushyata Important Question | Manushyata Important Questions Class 10 | मनुष्यता class 10 Question Answer
प्रश्न 1. मनुष्य मात्र बंधूँ है से क्या तात्पर्य है?
उत्तर - सभी मनुष्य एक दूसरे के मित्र और बंधु हैं और सब के माता पिता परम परमेश्वर हैं। कोई काम बड़ा या छोटा ऐसा केवल बाहर से प्रतीत होता है।
प्रश्न 2. कविता एवं कवि का नाम लिखिए?
उत्तर - इस कविता का नाम है ‘मनुष्यता’ और इसके कवि हैं ‘मैथलीशरण गुप्त’।
प्रश्न 3. सुमृत्यु किसे कहते हैं?
उत्तर : मानव जीवन तभी सार्थक होता है जब वह दूसरों के काम आये और ऐसे इंसान की मृत्यु को भी सुमृत्यु माना जाता है जो मानवता की राह में परोपकार करते हुए आती है । ऐसे मनुष्य को भी लोग उसकी मृत्यु के पश्चात श्रद्धा से याद करते हैं ।
प्रश्न 4. महापुरुषों जैसे कर्ण, दधीचि, सीबी ने मनुष्यता को क्या सन्देश दिया है इस कविता में?
उत्तर : विरासत में मिली चीज़ें हमें हमारे पूर्वज की, पूर्व अनुभवों की और पुरानी परम्पराओं की याद दिलाती है | नई पीढ़ी उनके बारे में जाने, उनके अनुभव से कुछ सीखे और उनकी बनाई हुई श्रेष्ठ परम्पराओं का पालन करें इसी उद्देश्य से विरासत में मिली चीज़ों को संभाल-संभाल कर रखा जाता है।
प्रश्न 5. किन पंक्तियों से पता चलता है ही हमें गर्व रहित जीवन जीना चाहिए?
उत्तर : रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में, सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
प्रश्न 6. अनंत अंतरिक्ष में अनंत देव हैं खड़े,
समक्ष ही स्वबाहु जो बढ़ा रहे बड़े-बड़े।
परस्परावलंब से उठो तथा बढ़ो सभी।
उत्तर - जिस तरह से ब्रह्माण्ड में अनंत देवी देवता जनहित के लिए एक दूसरे के साथ परस्पर एकसाथ काम करते हैं, उसी तरह इंसान को भी आपसी भाईचारे से काम करना चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि किसी से किसी और का काम न चले, बल्कि सभी एक दूसरे के काम आएँ।
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प्रश्न 7. यह कविता व्यक्ति को किस प्रकार जीवन जीने की प्रेरणा देता है?
उत्तर - हमें दूसरों के लिए कुछ ऐसे काम करने चाहिए कि मरने के बाद भी लोग हमें याद रखें। इंसान को आपसी भाईचारे से काम करना चाहिए। मानव जीवन तभी सार्थक होता है जब वह दूसरों के काम आए ऐसा नहीं होना चाहिए कि किसी से किसी और का काम न चले।
प्रश्न 8. चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए, विपत्ति, विघ्न जो पड़ें उन्हें ढ़केलते हुए घटे न हेलमेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी ।
उत्तर - हमें अपने लक्ष्य की ओर हँसते हुए और रास्ते की बाधाओं को हटाते हुए चलते रहना चाहिए। जो रास्ता आपने चुना है उसपर बिना किसी बहस के पूरी निष्ठा से चलना चाहिए। इसमें भेदभाव बढ़ने की कोई जगह नहीं होनी चाहिए, बल्कि भाईचारा जितना बढ़े उतना ही अच्छा है। वही समर्थ है जो खुद तो पार हो ही और दूसरों की नैया को भी पार लगाए।
प्रश्न 9. अनाथ कौन है यहाँ? त्रिलोकनाथ साथ हैं,दयालु दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ हैं।
अतीव भाग्यहीन है अधीर भाव जो करे ,वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे ।
उत्तर - यहाँ पर कोई भी अनाथ नहीं है सब सनाथ हैं । भगवान के हाथ इतने बड़े हैं कि उनका हाथ सब के सिर पर होता है। इसलिए यह सोचकर कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए कि तुम्हारे पास बहुत संपत्ति या यश है। ऐसा अधीर व्यक्ति बहुत बड़ा भाग्यहीन होता है।
प्रश्न 10. इस कविता का क्या सन्देश है?
उत्तर - इस कविता के माध्यम से कवि हमें मानवता, सद्भावना, भाईचारा उदारता, करुणा और एकता का सन्देश देते हैं। कवि कहना चाहते हैं की हर मनुष्य पूरे संसार में अपनेपन की अनुभूति करें ।वह जरूरतमंदों के लिए बड़े से बड़ा त्याग करने में भी पीछे न हटे। उनके लिए करुणा का भाव जगाये | वह अभिमान, अधीरता और लालच का त्याग करें। एक दूसरे का साथ देकर देवत्व को प्राप्त करें | वह सुख का जीवन जिए और मेलजोल बढ़ाने का प्रयास करें । कवि ने प्रेरणा लेने के लिए रतिदेव, क्षितीश, कर्ण और कई महानुभावों के उदाहरण दे कर उनके अतुल्य त्याग के बारे में बताया है ।
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Thnak you sir....
ReplyDeleteLove u sir jiiiiiiiiii 😘😘😘😘😘
ReplyDeleteJjjj
ReplyDeleteThank you so much sir for the answers
ReplyDeleteaapki hasmukhta mujhe bahot acchi aur prabhavshali lgti hai... aur apne jo yah website banai hai isse kaam atyadhik asaan ho chuka hai
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