Class 12th Hindi Banaras Question Answer | Banaras 12th Class Hindi Chapter | बनारस Questions Answer | Disha Class 12 Hindi Question Answer | Class 12th Hindi Disha Question Answer | दिशा कक्षा 12 Questions Answer
बनारस –
प्रश्न 1. बनारस में वसंत का आगमन कैसे होता है और उसका क्या प्रभाव इस शहर पर पड़ता है ?
उत्तर - बनारस में वसंत का आगमन अचानक होता है। उसके आगमन के समय बनारस के मुहल्लों में धूल का बवंडर उठता प्रतीत होता है। लोगों की जीभ पर धूल की किरकिराहट का अनुभव होने लगता है। यह वसंत उस वसंत से भिन्न प्रकार का होता है जैसा वसंत के बारे में माना जाता है। यहाँ वह बहार नहीं आती है जो वसंत के साथ जुड़ी है। बनारस में तो गंगा, गंगा के घाट तथा मंदिरों और घाटों के किनारे बैठे भिखारियों के कटोरों में वसंत उतरता प्रतीत होता है। इन स्थानों पर भीड़ बढ़ जाती है। भिखारियों को ज्यादा भीख मिलने लगती है।
प्रश्न 2. ‘खाली कटोरों में वसंत का उतरना’ से क्या आशय है ?
उत्तर - ‘खाली कटोरों में वसंत का उतरना’ से यह आशय है कि जो भिखारी अब तक मंदिरों और घाटों पर खाली कटोरों को लिए बैठे हुए थे अब उनमें लोगों द्वारा पैसे डालने शुरू हो जाते हैं। इससे भिखारियों की आँखों में चमक आ जाती है। उनके कटोरों में गिरते सिक्के उन्हें वसंत के आगमन की सूचना दे देते हैं। लगता है उनके कटोरों में वसंत उतर आया है।
प्रश्न 3. बनारस की पूर्णता और रिक्तता को कवि ने किस प्रकार दिखाया है ?
उत्तर - कवि के अनुसार बनारस शहर की पूर्णता और रिक्तता की स्थिति बड़ी अजीब है। पूर्णता और रिक्तता का यह सिलसिला निरंतर चलता रहता है। भले ही यह सिलसिला धीमी गति से चलता है, पर इसमें निरतंरता बनी रहती है। यहाँ रोज़ लोग जन्म लेते और मरते रहते हैं। पूर्णता : बनारस की पूर्णता को कवि ने वसंत आने पर लोगों के मन में आए उल्लास के रूप में दर्शाया है। कवि ने दर्शाया है इस ऋतु में लोगों में, पेड़-पौधों में, पशु-पक्षियों में जीवन के प्रति आशा का संचार जाग जाता है। बनारस का जीवन उल्लास से परिपूर्ण हो जाता है। रिक्तता : बनारस की रिक्तता को कवि ने शहर की अंधेरी गलियों से गंगा की ओर ले जाने वाले शवों के चित्रण के माध्यम से दर्शाया है। कवि दर्शाता है कि मनुष्य की नश्वरता के कारण ही यह शहर रिक्त होता जाता है। पुराने की समाप्ति बनारस शहर को खाली करती रहती है।
प्रश्न 4. बनारस में धीरे-धीरे क्या होता है ? ‘धीरे-धीरे’ से कवि इस शहर के बारे में क्या कहना चाहता है ?
उत्तर - कवि बनारस शहर की धीमी गति के बारे में कई बातें बताता है :
बनारस शहर में धूल धीरे-धीरे उड़ती है। बनारस के लोग धीरे-धीरे चलते हैं। बनारस के सभी काम धीरे-धीरे होते हैं। यहाँ मंदिरों और घाटों पर घंटे भी धीरे-धीरे बजते हैं। बनारस में शाम भी धीरे-धीरे उतरती है। बनारस में हर गतिविधि का धीरे-धीरे होना एक सामूहिक लय है। शहर में हर कार्य अपनी ही ‘रौ’ में धीरे-धीरे होता है। धीरे-धीरे से कवि यह कहना चाहता है कि ‘धीरे-धीरे’ होना बनारस शहर की पहचान है। इस सामूहिक गति ने ही इस शहर को दृढ़ता से बाँधे रखा है। बनारस के ‘धीरे-धीरे’ के चरित्र के कारण ही यहाँ की प्राचीन संस्कृति, आध्यात्मिक आस्था, विश्वास, श्रद्धा, भक्ति आदि की विरासत अभी तक सुरक्षित है। इनकी दृढ़ता के कारण यहाँ से न कुछ हिलता है, न गिरता है, सभी कुछ यथावत बना रहता है। यही स्थिरता बनारस की विशेषता है।
यह पेज आपको कैसा लगा ... कमेंट बॉक्स में फीडबैक जरूर दें...!!!
प्रश्न 5. धीरे-धीरे होने की सामूहिक लय में क्या-क्या बँधा है?
उत्तर - धीरे-धीरे होने की सामूहिक लय में सारा शहर दृढ़ता के साथ बँधा है। जो चीजें जहाँ थीं वे वहीं पर मौजूद हैं। नाव वहीं बँधी है अर्थात् गंगा से संबंधित परंपराएँ उसी रूप में विद्यमान हैं। तुलसीदास की खड़ाऊँ भी सैकड़ों वर्षों से वहीं रखी है। तात्पर्य यह है कि वहाँ का धार्मिक और ऐतिहासिक वातावरण वैसा ही बना हुआ है। गंगा के साथ लोगों की आस्था और मोक्ष की अवधारणा जुड़ी हुई है।
प्रश्न 6. ‘सई-साँइ’ में घुसने पर बनारस की किन-किन विशेषताओं का पता चलता है ?
उत्तर - सई-साँझ में घुसने पर बनारस की विशेषताओं का पता चलता है कि इस शहर की बनावट अजीब किस्म की है। यह शहर आधा जल के अंदर और आधा बाहर दिखाई देता है। यहाँ गंगा-तट पर शव जलाए भी जाते हैं और पानी में बहाए भी जाते हैं। फूल और शंख भी दिखाई देते हैं। बनारस में जहाँ एक ओर अति प्राचीनता, आध्यात्मिकता है वहीं आधुनिकता का समाहार है। यह शहर पुराने रहस्यों को खोलता जान पड़ता है।
प्रश्न 7. बनारस शहर के लिए जो मानवीय क्रियाएँ इस कविता में आई हैं, उनका व्यंजनार्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - इस कविता में बनारस शहर के लिए निम्नलिखित मानवीय क्रियाएँ आई हुई हैं :
इस पुराने शहर की जीभ किरकिराने लगती है। इस पंक्ति का व्यंजनार्थ है कि धूलभरी आँधियाँ चलने से शहरों की सड़कों पर धूल एकत्रित हो जाती है और वह किरकिराहट पैदा करती है। यह हर जगह महसूस होती है। अपनी एक टाँग पर खड़ा है यह शहर अपनी दूसरी टाँग से बेखबर।
इन पंक्तियों का व्यंजनार्थ यह है कि बनारस शहर अपनी घोर आध्यात्मिकता में इस कदर खोया हुआ है कि उसे दूसरे पक्ष का ध्यान ही नहीं रहता। एक टाँग और दूसरी टाँग के माध्यम से यह स्थिति स्पष्ट नहीं है।
प्रश्न 8. शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए :
(क) यह धीरे-धीरे होना ……. समूचे शहर को।
(ख) अगर ध्यान से देखो …… और आधा नहीं है।
(ग) अपनी एक टाँग पर ………. बेखबर।
उत्तर - (क) इन पंक्तियों में बनारस के जन-जीवन की धीमी गति को रेखांकित किया गया है। यह धीमापन समस्त समाज का प्राण है। इसी धीमेपन ने सारे शहर को मजबूती से बाँध रखा है। ‘धीरे-धीरे’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। भाषा में लाक्षणिकता का समावेश है।
(ख) कवि इन पंक्तियों में बनारस शहर की विचित्रता पर प्रकाश डालता है। यहाँ संपूर्णता के दर्शन नहीं होते। लगता है आधा है और आधा नहीं है। ‘आधा’ शब्द में चमत्कार है। प्रतीकात्मकता का समावेश है।
(ग) बनारस एक टाँग पर खड़ा शहर प्रतीत होता है। यह शहर स्वयं में व्यस्त और मस्त रहता है। इसे दूसरों का कोई पता ही नहीं रहता। ‘एक टाँग पर खड़ा होना’ मुहावरे का सटीक प्रयोग है। लाक्षणिकता एवं प्रतीकात्मकता है।
यह पेज आपको कैसा लगा ... कमेंट बॉक्स में फीडबैक जरूर दें...!!!
दिशा –
प्रश्न 1. ‘बच्चे का उधर-उधर कहना’-क्या प्रकट करता है ?
उत्तर - बच्चे का उधर-उधर कहना यह प्रकट करता है कि वह केवल एक ही दिशा को जानता है और वह दिशा है उसके पतंग की दिशा। बच्चे के लिए वही सब कुछ है।
प्रश्न 2. ‘मैं स्वीकार करूँ, मैंने पहली बार जाना हिमालय किधर है ‘-प्रस्तुत पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - इन पंक्तियों का भाव यह है कि कवि पहली बार हिमालय की दिशा को बच्चे के संकेतानुसार जानता है। वह इसे स्वीकार करे या न करे, उसके सामने यह द्विविधा है। हर व्यक्ति का यथार्थ अपने अनुसार होता है।
If you have any doubts, Please let me know