Sandhya ke Baad Class 11 Important Question Answer | Class 11 Antra Sandhya ke Baad Important Question Answer | संध्या के बाद कक्षा 11 Important Questions Answer
प्रश्न 1. विधवाओं का अंतर-रोदन से कवि का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर - विधवाओं का अंतर-रोदन से कवि का तात्पर्य है कि भारतवर्ष में विधवाओं की स्थिति अत्यंत दयनीय एवम् पीड़ाजन्य है। विधवाओं का सारा जीवन संघर्ष और दुखों में ही व्यतीत होता है। संध्या समय विधवाएँ नदी के किनारे परमात्मा के ध्यान में मग्न हो रही हैं और कवि को ऐसा लगता है, मानो उनके मन की पीड़ा और स्दन दोनों अदृश्य होकर नदी की धीर-धीर धारा में बह रहे हैं।
प्रश्न 2. खेत, बाग, गृह, तरु इत्यादि निष्रभ विषाद में क्यों डूब रहे हैं ?
उत्तर - खेत, बाग, घर और वृक्ष आदि निष्रभ दुख में इसलिए डूबे हुए हैं क्योंकि संपूर्ण वातावरण में जाड़ों की सुनसान रात ने अपने आगोश में घेर लिया है। चारों ओर सन्नाटा है। ऐसे वातावरण में खेत, बाग, गृह और तरु इत्यादि की अन्य क्रियाएँ लगभग शिथिल पड़ गई हैं। इसी सन्नाटे और शिथिलता में ये सभी अपने दुख और विषाद में डूब जाते हैं।
प्रश्न 3. गोपन मन को भाषा देने से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर - सूर्य अभी उदय नहीं हुआ है। जल्दी सुबह अभी धुँधलका छाया हुआ है। बस्ती का व्यापारी अभी से यीन की ढिबरी जलाकर अपनी दुकान पर आ बैउा है। दुकान पर अभी कोई ग्राहक नहीं आया है। ऐसे वातावरण में उसका मन आर्थिक दुर्दशा के कारणों पर विचार करने लगता है। उसका मन इसी बेबसी के कारण मूक निराश और हददय में दुख क्रंदन लगने लगता है। ढिबरी के मद्धम प्रकाश में उसके मन में छिपे दुख एवं विषाद परिभाषित हो जाते हैं।
प्रश्न 4. कवि सभी के सुंदर अधिवास की कामना क्यों करता है ?
उत्तर - ग्रामीण परिवेश में कम आटा के कारण ग्रामीण लोग पूरा जीवन कार्य करके भी अपने लिए एक सुंदर और स्वच्छ घर नहीं बना सकते। वे झोंपड़ियों में निवास करते हैं। उनके घरों में अंधकार छाया रहता है। वे अपने संपूर्ण जीवन में दुखी, पीड़ित और भयग्रस्त रहते हैं। सुंदर घर को कवि मूलभूत आवश्यकता मानता है इसलिए कवि संसार के प्रत्येक प्राणी के लिए सुंदर अधिवास (घर) की कामना करता है।
प्रश्न 5. ‘पीला जल रजत जलद से बिंबित’ से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर - सूर्य जब अस्त हो रहा है तो उसकी स्वर्णिम किरणें जब नीले पानी की लहरों पर पड़ती है तो नदी का जल पीले रंग में परिवर्तित हो जाता है। यही बहता पीला जल ऐसा प्रतीत होता है मानो चाँदी जैसे बादलों की छाया पानी में दिखाई पड़ रही है।
प्रश्न 6. सिकता, सलिल-समीर किसके स्हेह-सूत्र में बँधे हुए हैं ?
उत्तर - साँझ के समय सूर्य की स्वर्णिम किरणें नदी के किनारे पड़ी सपों के आकार की रेत और पानी में नीले रंग की लहरों पर भी पड़ती हैं। रेत पर सर्पांकार और पानी नीले रंग की लहरियाँ बनाने में बहती हवा ही बड़ा कारण है। इस प्रकार सिकता (रेत) सलिल (पानी) और समीर (हवा) तीनों ही साँझ के स्नेह-सूत्र में बँधे हुए हैं।
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प्रश्न 7. ‘संध्या के बाद’ कविता में चित्रित संध्या का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर - ‘संध्या के बाद’ शीर्षक कविता में पंत जी ने संध्याकालीन ग्राम्य प्रकृति की शोभा का चित्र खींचा है। अस्त होते हुए सूर्य की किरणें वृक्षों की चोटियों पर नृत्य करती हैं। पीपल के पत्तों से छन-छनकर आने वाली किरणें ऐसी लगती हैं, मानो ताँबे के पत्तों से सोने के सौ-सौ झरने फूट पड़े हों। प्रकाश एवं छाया के संयोग से गंगा की जल-धारा साँप की चितकबरी केंचुली के समान लगती है। मंदिरों में शंख तथा घंटें की ध्वनियाँ गूँजती हैं। गंगा-तट पर जप-ध्यान में लीन वृद्धाएँ बगुलों की-सी लगती हैं। पक्षियों का स्वर वातावरण में संगीत भर देता है। किसान तथा व्यापारी थके-हारे वापस लौटते है। सूर्य के डूबते ही सारा ग्राम प्रदेश निराशा तथा उदासी से भर जाता है।
प्रश्न 8. इस कविता में कवि ने विधवाओं के अंतर-रोदन को अदृश्य क्यों कहा है ?
उत्तर - भारतीय समाज में विधवा का जीवन बड़ा दुखपूर्ण तथा शोचनीय होता है। वह खुलकर रो भी नहीं सकती। वह अपने पति की याद को हदय से सँजोए घुटनभरा जीवन व्यतीत करती रहती है। उसके दुख को बाँटनेवाला भी कोई नहीं। वह मन-ही-मन रोती है। उसके आँसू प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं देते, इसलिए कवि ने विधवाओं के अंतररोदन को अदृश्य कहा है।
प्रश्न 9. गाँव का साहूकार अपने जीवन से असंतुष्ट क्यों है ?
उत्तर - गाँव का साहूकार अपने जीवन से असंतुष्ट इसलिए है क्योंकि उसको धंधे से कुछ लाभ नहीं होता। शहर के बनियों की तुलना में वह अपने आपको अत्यंत तुच्छ समझता है। उसका जीवन निर्धनता और विवशता में बीतता है। वह झूठ का भी सहारा लेता है, कम भी तोलता है, फिर भी वह अपने परिवार का भरण-पोषण अच्छी तरह नहीं कर सकता। न तो अच्छे कपड़े जुटा सकता है और न रहने के लिए अच्छे भवन का निर्माण कर सकता है। उसके पास अपने धंधे को आगे बढ़ाने के भी साधन नह्ही –
शहरी बनियों-सा वह भी उठ, क्यों बन जाता नहीं महाजन ?
रोक दिए हैं किसने उसकी, जीवन उन्नति के सब साधन ?
इस तरह, अभावग्रस्त जीवन के कारण ही गाँव का साहूकार अपने जीवन से असंतुष्ट है।
प्रश्न 10. सामाजिक विषमता को दूर करने के लिए कविता में क्या विचार व्यक्त किए गए हैं ?
उत्तर - हमारे समाज में ऊँच-नीच तथा अमीर-गरीब के बीच गहरी खाई का कारण अर्थ (धन) का अनुचित विभाजन है। सारी पूँजी पर पूँजीपतियों का अधिकार है। शोषक ऐश्वर्य का जीवन जीता है जबकि निर्धन शोषण की चक्की में पिस रहा है। समाजवाद के उदय द्वारा ही इस विषमता को समाप्त किया जा सकता है। समाजवाद उस सामाजिक व्यवस्था को कहते हैं जिसमें सबको जीवनोपयोगी वस्तुएँ सरलता से प्राप्त हो जाती हैं। गाँव के लाला के माध्यम से कवि ने यही कामना की है –
जन का श्रम जन में बँट जाए, प्रजा सुखी हो देश-देश की।
प्रश्न 11. देश में समाजवाद लाने में हमारी कथनी और करनी का अंतर किस प्रकार बाधक होता है?
उत्तर - समाजवाद के द्वारा समाज में समता का उदय होता है। इससे ऊँच-नीच का, छोटे-बड़े का तथा अमीर-गरीब का अंतर समाप्त हो जाता है। सभी को अपने श्रम का उचित फल मिलता है। लेकिन व्यक्तिगत लाभ तथा स्वार्थ का मोह समाजवाद में बाधा उपस्थित करता है। गाँव का लाला भी समाजवाद का सपना देखता है, पर अवसर मिलते ही वह इस सपने का गला घोंट देता है और ठगी का सहारा लेता है। इस प्रकार कथनी और करनी का अंतर समाजवाद में बाधा उपस्थित करता है।
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