Sapno ke Se Din Important Questions | Class 10 Hindi Sapno ke Se Din Important Questions | Sapno ke Se Din Most Important Question | सपनों के से दिन Class 10 Question Answer

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Sapno ke Se Din Important Questions | Class 10 Hindi Sapno ke Se Din Important Questions | Sapno ke Se Din Most Important Question | सपनों के से दिन Class 10 Question Answer 

 प्रश्न 1. पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए |

 उत्तर - पाठ का नाम -सपनों के-से दिन तथा लेखक का नाम गुरदयाल सिंह है |


प्रश्न 2. गर्मी की छुट्टियों में लेखक कहाँ जाते थे ?

उत्तर - गर्मी की छुट्टियों में लेखक अपने ननिहाल जाया करते थे |


प्रश्न 3. स्काउट परेड करते समय लेखक अपने आप को क्या समझने लगते थे ?

उत्तर - स्काउट परेड करते समय लेखक खुद को महत्त्वपूर्ण व्यक्ति फ़ौजी जवान समझने लगते थे|


प्रश्न 4. कोई भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं बनती – पाठ के किस अंश से यह सिद्ध होता है?

उत्तर - पाठ के शुरु में लेखक ने अपने उन दोस्तों का जिक्र किया है जो राजस्थान से आए थे। लेखक को उनकी भाषा समझ में नहीं आती थी लेकिन खेलते समय सभी एक दूसरे की भाषा आसानी से समझ लेते थे। इस प्रकरण से पता चलता है कि भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं बनती।


प्रश्न 5. लेखक के साथ खेलने वाले बच्चों का हाल कैसा हुआ करता था?

उत्तर - लेखक के साथ खेलने वाले बच्चों के बाल बिखरे हुआ करते थे | वे मैली -फटी हुई कच्छी और टूटे बटनों वाले कुरते पहन कर, नंगे पाँव रेत-मिटटी में भागते हुए ,चोट लगने पर भी घरवालों से पिटते थे,परन्तु खेलना नहीं छोड़ते थे|


प्रश्न 6. नई श्रेणी में जाने और नई कापियों और पुरानी किताबों से आती विशेष गंध से लेखक का बालमन क्यों उदास हो उठता था?

उत्तर - नई श्रेणी में जाने पर लेखक के लिए नई कापियाँ और पुरानी किताबें खरीदी जाती थीं। नई श्रेणी में जाने पर अधिक मुश्किल पढ़ाई का भय और कुछ नए शिक्षकों की पिटाई का भय लेखक के मन मे बना रहता था इसलिए नई श्रेणी में जाने पर लेखक के लिए नई कापियाँ और पुरानी किताबों से आती विशेष गंध से लेखक का बालमन उदास हो उठता था।


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प्रश्न 7. लेखक ने बच्चों के मनोविज्ञान को कब समझा?

उत्तर - लेखक ने बड़े होकर जब अध्यापक बनने की ट्रेनिंग ली और वहां बाल-विज्ञान का विषय पढ़ा,तब यह बात उन्हें समझ आई कि बच्चों को खेलना इतना अच्छा क्यों लगता है? इसके पश्चात ही वे यह समझ पाए कि माता-पिता से पिटने के बाद भी बच्चे खेलने क्यों चले आते थे |


प्रश्न 8. लेखक के अनुसार उन्हें स्कूल खुशी से भागे जाने की जगह न लगने पर भी कब और क्यों उन्हें स्कूल जाना अच्छा लगने लगा?

उत्तर - लेखक को स्कूल जाना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता था, लेकिन जब पीटी साहब उन्हें परेड में शाबाशी देते तो उन्हें बहुत अच्छा लगता था। स्काउट की परेड में जब उन्हें धुले हुए साफ कपड़े और गले में दोरंगी रुमाल के साथ परेड करने को मिलता तो भी उन्हें मजा आता था। परेड के दौरान उनके बूटों की ठक-ठक उनके कानों में मधुर संगीत की तरह लगती थी। इन सब कारणों से लेखक को स्कूल जाना अच्छा लगने लगा था।


प्रश्न 9. सपनों के-से दिन’ पाठ के आधार पर बताइए कि अभिभावकों को बच्चों की पढ़ाई में रूचि क्यों नहीं थी?

उत्तर - लेखक के अधिकतर पड़ोसी व्यवसाय से परचूनिए,आढ़तिए और छोटा-मोटा काम-धंधा करने वाले लोग थे| वे अपने बच्चों को स्कूल भेजना जरुरी नहीं समझते थे |वे चाहते थे कि पंडित घनश्याम दास से हिसाब-किताब लिखने,बही-खाता जाँचने और मुनीमी का काम सिखा कर बच्चों को दुकान पर बैठा दिया जाए|किताब-कॉपियों का खर्च उठाना भी अभिभावकों को अच्छा नहीं लगता था इसलिए अभिभावकों को बच्चों की पढ़ाई के प्रति रूचि नहीं थी |


प्रश्न 10. विद्यार्थियों को अनुशासन में रखने के लिए पाठ में अपनाई गई युक्तियों और वर्तमान में स्वीकृत मान्यताओं के संबंध में अपने विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर- विद्यार्थियों को अनुशासन में रखने के लिए पाठ में अपनाई गई युक्तियाँ बड़ी ही क्रूर लगती हैं। आज हर विशेषज्ञ का मानना है कि शारीरिक यातना देकर बच्चों को नहीं सुधारा जा सकता है। आज के शिक्षाविदों का मानना है कि बच्चों को प्यार और स्नेह से ही सही तरीके से सिखाया जा सकता है। गुजरे जमाने के स्कूली जीवन के बारे में तो सोचकर ही रूह काँप जाती है।पाठ में वर्णित ओमा जैसे बालकों के साथ आज मनोवैज्ञानिक युक्तियाँ ही अपनाई जाती हैं,समय -समय पर विशेषज्ञ ऐसे छात्रों से मिलते रहते हैं |उन्हें सही राह पर लाने के अन्य प्रयास किए जाते हैं जो शारीरिक दंड नहीं होता है |इन युक्तियों का प्रभाव धीरे-धीरे ही सही,लेकिन स्थाई रूप से होता है|


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