Gandhi Nehru aur Yasser Arafat Class 12 Important Question Answer | Class 12 Hindi Gandhi Nehru aur Yasser Arafat Important Question Answer | गांधी नेहरू और यास्सेर अराफात Class 12 Important Questions
प्रश्न 1.लेखक वर्धा स्टेशन से सेवाग्राम तक कैसे पहुँचा ?
उत्तर :रेलगाड़ी वर्धा स्टेशन पर रुकती थी। लेखक वर्धा स्टेशन पर रेलगाड़ी से उतर गया। वहाँ से लगभग पाँच मील दूर सेवाग्राम तक का फासला उसने इक्के या ताँगे में बैठकर तय किया। वह देर रात सेवाग्राम पहुँचा। एक तो सड़क कच्ची थी, इस पर घुप्प अँधेरा था। उन दिनों सड़क पर कोई रोशनी नहीं हुआ करती थी।
प्रश्न 2.गाँधी जी की बातचीत का तरीका कैसा था?
उत्तर :गाँधी जी बातचीत के बीच में हैसते हुए कुछ कहते थे। वे धीमी आवाज में बोलते थे। ऐसा लगता था मानो वे अपने आपसे बातें कर रहे हैं। स्वयं से ही बातों का आदान-प्रदान कर रहे हैं। उनकी इस तरीके में उनकी विनम्रता, सरलता, सहनशीलता आदि के दर्शन हो रहे थे।
प्रश्न 3.सेवाग्राम में लेखक को क्या अनुभव मिले?
उत्तर :लेखक सेवाग्राम में लगभग तीन सप्ताह तक रहा। अक्सर ही प्रात: टोली के साथ हो लेता। शाम को प्रार्थना सभा में जा पहुँचता, जहाँ सभी आश्रमवासी तथा कस्तूरबा एक ओर को पालथी मारे और दोनों हाथ गोद में रखे बैठी होतीं और बिल्कुल माँ जैसी लगतीं। वह वहाँ जाने-माने देशभक्तों से भी मिला। उन्हीं देशभक्तों में से एक पृथ्वी सिंह आजाद का अनुभव सुना कि किस तरह वे हथकड़ी सहित अंग्रेज़ों की कैद से सुरक्षित भाग निकले और अंग्रेज़ों से बचने के लिए ही गुमनाम रहकर अध्यापन कार्य करते।
प्रश्न 4.जापानी ‘भिक्षु’ आश्रम में अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति कैसे करता था?
उत्तर :उन दिनों एक जापानी ‘भिक्षु’ अपने चीवर वस्त्रों में गाँधी जी के आश्रम की प्रदक्षिणा करता। लगभग मील भर के घेरे में, बार-बार अपना ‘गाँग’ बजाता हुआ आगे बढ़ता जाता। गाँग की आवाज़ हमें दिन में अनेक बार, कभी एक ओर से तो कभी दूसरी ओर से सुनाई देती रहती। उसकी प्रदक्षिणा प्रार्थना के वक्त समाप्त होती, वह प्रार्थना-स्थल पर पहुँचकर बड़े आदरभाव से गाँधी जी को प्रणाम करता और एक ओर को बैठ जाता। इस प्रकार भिक्षु आश्रम में अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति किया करता था।
प्रश्न 5.पृथ्वीसिंह आज़ाद कौन थे ?
उत्तर :पृथ्वीसिंह आज़ाद एक क्रांतिकारी थे। वे बहुत शक्तिशाली थे। उन्हें एक बार अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें हथकड़ी लगाकर अन्यत्र ले जाया जा रहा था। मौका देखकर पृथ्वीसिंह आज़ाद हथकड़ी समेत रास्ते में रेलगाड़ी से कूद गए। वे भाग निकलने में सफल रहे। वहाँ से चलकर वे वर्षों तक गुमनामी की जिंदगी जीते रहे। इसी दौरान उन्होंने यह अध्यापन कार्य भी किया। वे गाँधीजी के सेवाग्राम आश्रम में भी गए थे। वहीं उन्होंने अपने बारे में सबको बताया। लेखक भी उन दिनों वहीं आश्रम में थे। उसने पृथ्वीसिंह के मुँह से ही उसकी वीरता के कारनामे सुने।
प्रश्न 6.ट्यूनीसिया में क्या होने जा रहा था? लेखक को ट्यूनीशिया जाने का अवसर कैसे मिला?
उत्तर :ट्यूनीसिया की राजधानी ट्यूनिस में अफ्रो-एशियाई लेखक संघ का सम्मेलन होने जा रहा था। भारत से जाने वाले प्रतिनिधि मंडल में सर्वश्री कमलेश्वर, जोगिंदरपाल, बालू राब, अब्दुल बिस्मिल्लाह आदि थे। कार्यकारी महामंत्री के नाते लेखक अपनी पत्नी के साथ कुछ दिन पहले पहुँच गया था। ट्यूनिस में ही उन दिनों लेखक संघ की पत्रिका ‘लोटस’ का संपादकीय कार्यालय हुआ करता था।
प्रश्न 7.‘आस्था और अद्धा प्रकट करने के लिए धनी होना आवश्यक नहीं है’ पाठ में आए ‘बाजीगर’ प्रसंग के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :पेरिस में क्रिसमस के दिन एक अत्यंत गरीब बाजीगर भी माता मरियम के चरणों की अभ्यर्थना करना चाहता था, पर उसके पास उपहार खरीदने के लिए न तो धन था, और न गिरजे में जाने योग्य वस्त्र। ऐसे में उसने अपने कला-कौशल के बल पर माता के सम्मुख अपने करतब दिखाकर अभ्यर्थना का निर्णय लिया और सबके चले जाने पर माता के सम्मुख ऐसा ही किया। माता मरियम ने उसका करतब देख उसके सिर पर हाथ फेरा। इस प्रसंग से स्पष्ट हो जाता है कि आस्था और श्रद्धा प्रकट करने के लिए धनी होना आवश्यक नहीं है, बस मन में सच्ची लगन और अभिलाषा होनी चाहिए।
यह पेज आपको कैसा लगा ... कमेंट बॉक्स में फीडबैक जरूर दें...!!!
प्रश्न 8.बाजीगर कैसे गिरजे में घुसा ? वहाँ उसने क्या किया ? पादरी ने वहाँ क्या दृश्य देखा ?
उत्तर :जब श्रद्धालु चले गए और गिरजा खाली हो गया तो बाजीगर चुपके से अंदर घुस गया। वह कपड़े उतारकर पूरे उत्साह के साथ अपने करतब दिखाने लगा। गिरजे में अँधेरा था श्रद्धालु जा चुके थे। दरवाजे बंद थे। कभी सिर के बल खड़े होकर, कभी तरह-तरह अंगचालन करते हुए बड़ी तन्भयता के साथ, एक के बाद एक करतब दिखाता रहा यहाँ तक कि हाँफने लगा। उसके हाँफने की आवाज कहीं बड़े पादरी के कान में पड़ गई और वह यह समझकर कि कोई जानवर गिरजे के अंदर घुस आया है और गिरजे को दूषित कर रहा है, भागता हुआ गिरजे के अंदर आया। उस वक्त बाजीगर, सिर के बल खड़ा अपना सबसे चहेता करतब बड़ी तन्मयता से दिखा रहा था। यह दृश्य देखते ही बड़ा पादरी तिलमिला उठा। माता मरियम का इससे बड़ा अपमान क्या होगा ? आगबबूला, वह नट की ओर बढ़ा ताकि उसे लात जमाकर गिरजे के बाहर निकाल दे। वह नट की ओर गुस्से से बढ़ ही रहा है तो क्या देखता है कि माता मरियम की मूर्ति अपनी जगह से हिली, माता मरियम अपने मंच पर से उतर आई और धीरे-धीरे आगे बढ़ती हुई नट के पास जा पहुँची और अपने आँचल से हाँफते नट के माथे का पसीना पोंछती उसके सिर को सहलाने लगी।
प्रश्न 9.सेवाग्राम में ठहरा जापानी बौद्ध क्या किया करता था ?
उत्तर :उन दिनों आश्रम में एक जापानी ‘भिक्षु’ अपने .चीवर वस्त्रों में गाँधीजी के आश्रम की प्रदक्षिणा करता था। लगभग मील-भर के घेरे में, बार-बार अपना ‘गाँग’ बजाता हुआ आगे बढ़ता जाता। गाँग की आवाज दिन में अनेक बार, कभी एक ओर से तो कभी दूसरी ओर से सुनाई देती रहती। उसकी प्रदक्षिणा प्रार्थना के वक्त समाप्त होती, जब वह प्रार्थना स्थल पर पहुँचकर बड़े आदरभाव से गाँधीजी को प्रणाम करता और एक और को बैठ जाता।
If you have any doubts, Please let me know