Bharatvarsh ki Unnati Kaise ho Sakta hai Class 11 Question Answer | Bharatvarsh ki Unnati Kaise ho Sakta hai Class 11 Question Answer | भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है प्रश्न उत्तर | भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है पाठ के प्रश्न उत्तर

0

Bharatvarsh ki Unnati Kaise ho Sakta hai Class 11 Question Answer | Bharatvarsh ki Unnati Kaise ho Sakta hai Class 11 Question Answer | भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है प्रश्न उत्तर | भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है पाठ के प्रश्न उत्तर 

प्रश्न 1. पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि ‘इस अभागे आलसी देश में जो कुछ हो जाए वही बहुत कुछ है?’ क्यों कहा गया है ?

उत्तर - लेखक ने यह शब्द इसलिए कहे हैं क्योंकि हमारे देश के लोग बहुत आलासी हैं। अंग्रेजों के राज्य में भारतवासियों को उन्नति करने के बहुत अवसर मिले थे। परंतु हम अपनी आलसी प्रवृत्ति के कारण कुछ नहीं कर सके। इसलिए उन दिनों जो कुछ भी थोड़ा-बहुत किसी ने किया था उसी को लेखक बहुत कुछ मानने के लिए कह रहा है। उसके अनुसार कुछ न करने तथा भाग्य भरोसे बैठे रहने से तो अच्छा यही है कि जो हो रहा है, वही बहुत कुछ है।


प्रश्न 2. ‘जहाँ रॉबर्ट साहब बहादुर जैसे कलेक्टर हों, वहाँ क्यों न ऐसा समाज हो’ वाक्य में लेखक ने किस प्रकार के समाज की कल्पना की है ?

उत्तर - रॉबर्ट साहब बहादुर कलेक्टर थे। लेखक ने अकबर के समाज के समान उनके समाज के बादशाह की कल्पना की थी। उनके वहाँ होने से बलिया का समस्त संभ्रांतवर्ग वहाँ एकत्र था। ऐसा लग रहा था मानो रॉबर्ट साहब बहादुर अकबर हैं तथा उनके मुंशी चुतर्भुज सहाय तथा बिहारीलाल अकबर के दरबारी अबुल फ़ज़ल और टोडरमल हैं। उसे यह समाज अत्यंत सभ्य, अनुशासित तथा श्रेष्ठ लग रहा था।


प्रश्न 3. ‘जिस प्रकार ट्रेन बिना इंजिन के नहीं चल सकती ठीक उसी प्रकार ‘हिंदुस्तानी लोगों को कोई चलानेवाला हो’ से लेखक ने अपने देश की खराबियों के मूल कारण खोजने के लिए क्यों कहा है ?

उत्तर - हिंदुस्तानी लोगों की रेल की गाड़ी से तुलना इसलिए की गई है क्योंकि जैसे रेल की गाड़ी को चलाने के लिए इंजन की आवश्यकता होती है वैसे ही हिंदुस्तानी लोग स्वयं काम करने के आदी नहीं होते। उनसे काम करवाने के लिए इंजन समान मुखिया की आवश्यकता होती है। इसलिए वह देशवासियों को उन मूल कारखानों को खोजने के लिए कहता है जिनसे देश में खराबियाँ पैदा हो गई हैं। इन कमियों को ढूँढ़कर इन्हें दूर करने से ही हम अपने देश की उन्नति में सहायक हो सकते हैं तथा बिना किसी मुखिया के आगे बढ़ सकते हैं।


प्रश्न 4. देश की सब प्रकार से उन्नति हो इसके लिए लेखक ने जो उपाय बताए हैं उनमें से किन्हीं चार का उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।

उत्तर - हर क्षेत्र में उन्नति करनी होगी, जैसे धर्म में, घर के काम में, रोजगार में, शिक्षा में और शारीरिक और मानसिक विकास में, समाज की सोच में, छोटे-बड़े में भेदभाव को दूर करने आदि, सब में उन्नति करनी होगी। ऐसी बातों और चीजों से दूर रहना होगा जो देश की उन्नति में बाधक हों। अपनी अंदर की कमियों को पहचान कर उसे पूरी आंतरिक शक्ति लगाकर दूर करना चाहिए। जिस प्रकार कोई दूसरा व्यक्ति घर में गलत विचार से घुस आता है उसे बाहर निकालने के लिए हम अपनी पूरी शक्ति लगाते हैं वैसे ही जो बातें उन्नति के मार्ग में काँटे बनती हों उन्हें जड़ से उखाड़कर फेंक देना चाहिए। इसके लिए कुछ लोग उन लोगों को जाति और धर्म का नाश करने वाले कहेंगे। कुछ लोग पागल और निकम्मा बताएँगे लेकिन उनकी बात को अनसुना करना है। केवल देश के हित के लिए सोचना है, तभी देश उन्नति कर सकेगा।


यह पेज आपको कैसा लगा ... कमेंट बॉक्स में फीडबैक जरूर दें...!!!


प्रश्न 5. लेखक जनता से मत-मतांतर छोड़कर आपसी प्रेम बढ़ाने का आग्रह क्यों करता है ?

उत्तर - लेखक जनता से मत-मतांतर के भेदभावों को छोड़कर आपस में प्रेमभाव से मिल-जुलकर रहने का आग्रह करता है क्योंक इससे आपसी भाई-चारा बढ़ेगा। इससे हम जाति तथा वर्गगत संकीर्णता से मुक्त होकर देश की उन्नति के लिए मिल-जुलकर प्रयास करेंगे तो भारतवर्ष को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकेगा अतः एकता की शक्ति के सामने कोई भी टिक नहीं सकेगा।


प्रश्न 6. आज देश की आर्थिक स्थिति के संदर्भ में निम्नलिखित वाक्य को एक अनुच्छेद में स्पष्ट कीजिए। “जैसे हज्ञार धारा होकर गंगा समुद्र में मिली है, वैसे ही तुम्हारी लक्क्मी हज्ञार तरह से इंग्लैंड, फरांसीस, जर्मनी, अमेरिका को जाती है।”

उत्तर : आज हमारे देश में अनेक विदेशी कंपनियाँ अपना समान बेच रही हैं। चीन, अमेरिका, इंगलैंड, जर्मनी, जापान आदि देशों से विभिन्न प्रकार की ऐसी वस्तुएँ भी हमारे देश में बेची जा रही हैं, जिनका उत्पादन हम भी करते हैं। उदाहरण के लिए चीन से साइकिल, मूर्तियाँ, खिलौने आदि भारतीय बाजारों में भारतीय उत्पादों को मात दे रहे हैं। इससे हमारे देश का धन देश में न रहकर विदेश जा रहा है। इससे हमारी आर्थिक स्थिति तो कमज़ोर होगी ही हमारे उद्योग जगत पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा। इसलिए हमें अपनी लक्ष्मी को अपने ही देश में रोकने के उपाय करने चाहिए।


प्रश्न 7. (क) पाठ के आधार पर निम्नलिखित का कारण स्पष्ट कीजिए-

बलिया का मेला और स्नान

एकादशी का व्रत

गंगा जी का पानी पहले सिर पर चढ़ाना

दीवाली मनाना

होली मनाना

(ख) उक्त संदर्भ में क्यों कहा गया है कि ‘यही तिहवार ही तुम्हारी मानो म्युनिसिपलिटी है’ ?

उत्तर - (क) बलिया का मेला और स्नान-पर्व इसलिए मनाया जाता है कि साल में एक बार सब लोग एक स्थान पर मिल सके तथा एक-दूसरे का सुख-दुख जान सकें। मेले से घर गृहस्थी की वह वस्तुएँ भी खरीदी जा सकती हैं जो गाँव में नहीं मिलती हैं। एकादशी का व्रत इसलिए रखा जाता है कि शरीर शुद्ध हो जाए।  गंगा जी का पानी पहले सिर पर इसलिए चढ़ाया जाता है जिससे गंगा जी में पैर डालते हुए तलुए से गरमी सिर में चढ़कर विकार न उत्पन्न करे। दीवाली इसलिए मनाते हैं कि इस बहाने साल में एक बार घर की सफ़ाई हो जाती है। होली इसलिए जलाकर मनाई जाती है कि बसंत की बिगड़ी हवा स्वच्छ हो जाए।

(ख) उक्त संदर्भ में यह शब्द इसलिए कहे गए हैं क्योंकि जो कार्य म्युनिसिपैलिटी को करने होते है वे कार्य इन त्योहारों को मनाने से हो जाते है।


प्रश्न 8. आपके विचार से देश की उन्नति किस प्रकार संभव है ? कोई चार उदाहरण तर्क सहित दीजिए।

उत्तर - देश की उन्नति के लिए हमें आलस्य त्याग कर मिल-जुलकर काम करना होगा। जनता को शिक्षित करना होगा तथा स्वदेशी आंदोलन को बल प्रदान करना होगा। किसान खेत में परिश्रम करके ही अनाज उत्पन्न करता है। शिक्षित व्यक्ति योजना बनाकर कार्य करते हुए अपने व्यापार/कार्य में उन्नति करता है। इसी प्रकार से देश को समर्पित राजनेताओं के कायों से देश की उन्नति हो सकती है। टाटा, बिरला जैसे उद्योगपति देश में उद्योग स्थापित कर देश की उन्नति में योगदान देते हैं। विद्यार्थी मन लगाकर पड़-लिखकर भावी देश के अच्छे नागरिक बनकर देश को उन्नत कर सकते हैं, जैसे पूर्व राष्ट्रपति डॉ० ए० पौ० जे० अब्दुल कलाम ने वैज्ञानिक बनकर देश की मिसाइल तकनीक को इन्नत किया।


प्रश्न 9. भाषण की किन्हीं चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। उदाहरण देकर सिद्ध कीजिए कि पाठ ‘भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है’ एक भाषण है।

उत्तर - भाषण की प्रमुख चार विशेषताएँ निम्नलिखित है –

(क) रोचकता – अच्छा भाषण वही कहलाता है जो अपने भीतर रोचकता का गुण छिपाए हुए हों। उसमें श्रोता को अपने साथ बाँध लेने का गुण होना चाहिए। भाषण ऐसा होना चाहिए कि श्रोता का ध्यान पूरी तरह से भाषण देने वाले की ओर लगा रहे। रोचकता को बढ़ाने के लिए भाषण में काव्यांशों, चुटकलों, उदाहरणों, चटपटी बातों आदि का स्थान-स्थान पर प्रयोग किया जाना चाहिए।

(ख) स्पष्टता – भाषण में भाव, विषय और भाषा की स्पष्टता होनी चाहिए। भाषण देने वाले को पूर्ण रूप से पता होना चाहिए उससे कहाँ और क्या बोलना है। पहले से ही उसके मन में विचारों की व्यवस्था होनी चाहिए। उसे अपने विषय पर पूर्ण रूप से अधिकार होना चाहिए। उसकी भाषा में सरलता और स्पष्टता निश्चित रूप से होनी चाहिए।

(ग) ओज पूर्ण – वक्ता को भाषण देते समय उत्साह और ओज का परिचय देना चाहिए। उसकी वाणी ऐसी होनी चाहिए जो श्रोताओं की नस-नस में मनचाहा जोश भर दे। उसके भाषण में ऐसे भाव भरे होने चाहिए जिससे श्रोताओं को लगे कि वे वही तो सुनना चाहते थे जो वक्ता कर रहा है।

(घ) पूर्णता – भाषण में पूर्णता का गुण होना चाहिए। श्रोता को सदा ऐसा लगना चाहिए कि वक्ता के द्वारा कही जानेवाली बात पूर्ण है और उसमें किसी प्रकार का कोई अधूरापन नहीं है। वक्ता को किसी भी निश्चित उद्देश्य की पूर्ति की ओर स्पष्ट संकेत करना चाहिए। उपरोक्त विशेषताओं के आधार पर हम कह सकते है कि ‘भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है’ पाठ एक भाषण है। इसमें सर्वत्र रोचकता बनी रहती है। वक्ता ने उदाहरणों के द्वारा अपने भाषण में रोचकता बनाए रखी है। वक्ता की भाषा सहज, सरल तथा अवसरानुकूल है, जैसे-‘ हम कुएँ के मेंछक, काठ के उल्लू, पिंजडे के गंगाराम ही रहे तो हमारी कमबखत कमबख्ती फिर कमबख्ती है।’ वक्ता का यह भाषण ओजपूर्ण है जो तत्कालीन हाथ-में भारतवासियों में कुछ करने का जोश भर देता है। वक्ता जो भी बात कहता है वह स्पष्ट और अपने में पूर्ण है।


प्रश्न 10. ‘अपने देश में अपनी भाषा की उन्नति करो’ से लेखक का क्या तात्पर्य है ? वर्तमान संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर - लेखक के इस कथन का यह तात्पर्य है कि हम अपनी भाषा में अपने विचारों को अच्छी प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं इसलिए हमें अपने देश की पहचान बनाने के लिए अपनी भाषा की भी उन्नति करनी चाहिए। अपनी भाषा अपनी राष्ट्रीयता के विकास में सहायक होती है। आज हिंदी को देश की राष्ट्रभाषा बनाया गया है। देश के अधिकांश भागों तथा अनेक विदेशी देशों में हिंदी पढ़ी, लिखी, बोली और समझी जाती है इसलिए इसे अपने शासन, दैनिक कार्य-व्यवहार की भाषा के रूप में अपनाना चाहिए क्योंक ‘निज भाषा उन्नति अहे, सब उन्नति को मूल।’


प्रश्न 11. पाठ में कई वर्ष पुरानी हिंदी भाषा का प्रयोग है इसलिए चाहें, फैलावैं, सकैगा आदि शब्दों का प्रयोग हुआ है जो आज की हिंदी में चाहे, फैलाएँ, सकेगा आदि लिखे जाते हैं। निम्नलिखित शब्दों को आज की हिंदी में लिखिए। जैसे-मिहनत, छिन-प्रतिछ्छि, तिहवार। इसी प्रकार पाठ में से अन्य दस शब्द छाँटकर लिखिए।

उत्तर - मिहनत – मेहनत

तिहवार – त्योहार

करें – करें

सुधरैगा – सुधरेगा

बढ़ती – बढ़ोतरी

कहैंगे – कहेंगे

फैलावैं – फैलावें

छिन-प्रतिछिन – क्षण-प्रतिक्षण

पहिनकर – पहनकर

पहिले – पहले

छोड़ – छोड़े

अबकी – इस बार की

मुझको – मुझे

मिहनत- मेहनत


यह पेज आपको कैसा लगा ... कमेंट बॉक्स में फीडबैक जरूर दें...!!!


प्रश्न 12. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-

(क) राजे-महाराजों को अपनी पूजा, भोजन, झूठी गप से छुद्टी नहीं।

(ख) सबके जी में यही है कि पाला हर्मी पहले छू लें।

(ग) हमको पेट के धंधे के मारे छुट्टी ही नहीं रहती बाबा, हम क्या उन्नति करें।

(घ) यह तो वही मसल हुई कि एक बेफ़िकरे मँगनी का कपड़ा पहिनकर महफ़िल में गए।

उत्तर - (क) लेखक का इस पंक्ति से यह आशय है कि भारत पर ब्रिटिश सरकार का शासन था। उस समय देश की स्थिति बहुत दयनीय थी। सरकारी अधिकारी हिंदुस्तानियों के विषय में नहीं सोचते थे। हिंदुस्तानियों को भी यह आदत पड़ी हुई थी कि जब तक कोई उन्हें उनकी शक्ति का अहसास नहीं करवाता वह आगे बढ़कर कार्य नहीं करते। उस समय राजेमहाराजों के पास इतना समय नहीं था कि वे अपनी प्रजा के हित के लिए सोचें। वे लोग तो ब्रिटिश सरकार द्वारा की जा रही झूठी प्रशंसा में डूबे हुए थे। उनका पेट भर गया तो प्रजा का पेट भी भरा समझते थे। राजा-महाराजा झूठे दिखावे पसंद जीवन के आदी हो चुके थे। इसलिए प्रजा ने भी अपना हित सोचना छोड़ दिया था।

(ख) लेखक का इस पंक्ति से आशय है कि उस समय भारत पर ब्रिटिश सरकार का शासन था। उस समय लोगों के पास उन्नति के अवसर थे। नए-नए यंत्रों का निर्माण हो रहा था। पुस्तके नवीन ज्ञान से भरी हुई थी। सभी दूसरे देश उस अवसर का लाभ उठाकर उन्नति की घुड़-दौड़ में शामिल थे। सब के दिल में यही इच्छा थी कि उनका देश उन्नति करने में दूसरे देशों से पिछड़ न जाए। यहाँ तक कि जापानी भी उस समय अपने-आपको देश की उन्नति के लिए तैयार कर चुके थे। केवल हिंदुस्तानियों के दिल में उन्नति की सोच उत्पन्न नहीं हुई थी।

(ग) इस पंक्ति से लेखक का आशय है कि हिंदुस्तान में लोग उन्नति करने का अर्थ ही नहीं जानते हैं। उनके लिए उन्नति करना सिर्फ़ बातें करना है। यदि किसी को देश की उन्नति करने के लिए प्रेरित किया जाए तो वह कहेगा कि हम उन्नति कैसे कर सकते हैं हमें तो अभी अपने और परिवार का पटे भरने से ही फुरसत नहीं हैं यह काम उन लोगों का है जिनका पेट-भरा हुआ है।

(घ) इस पंक्ति से लेखक का आशय है कि हमारे देश में रोज़गार के अपार साधन हैं लेकिन हम काम नहीं करना चाहते। हमारे देश का रुपया बाहर के देशों में जा रहा है और वहाँ का बना हुआ सामान हमारे देश में आ रहा है। छोटी-से-छोटी वस्तु भी बाहर से मँगवाई जा रही है। प्रतिदिन की जरूरतों का सामान भी बाहर से आ रहा है। पहनने के लिए कपड़ा, बालों के लिए कंघी, रोशनी करने के लिए बत्ती आदि सभी सामान बाहर से आ रहा है, इसलिए लेखक यह उदाहरण दे रहा है कि हम लोग दूसरों से सामान माँगकर स्वयं को सजा रहे हैं।


प्रश्न 13. निम्नलिखित गद्यांशों की व्याख्या कीजिए –

(क) सास के अनुमोदन से ……….परदेस चला जाएगा।

(ख) दरिद्र कुटुंबी इस ……… हिंदुस्तान की है।

(ग) वास्तविक धर्म तो ……… बदले जा सकते हैं।

उत्तर - उत्तर के लिए सप्रसंग व्याख्या भाग देखिए।



आपकी स्टडी से संबंधित और क्या चाहते हो? ... कमेंट करना मत भूलना...!!!





Post a Comment

0Comments

If you have any doubts, Please let me know

Post a Comment (0)