Khanabadosh Class 11 Hindi Question Answer | Khanabadosh Class 11 Hindi Question Answer | खानाबदोश पाठ के प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. जसदेव की पिटाई के बाद मज़दूरों का समूचा दिन कैसे बीता ?
उत्तर - जसदेव की पिटाई के बाद मज़दूरों का समूचा दिन अदृश्य भय और दहशत में बीता था। मजदूरों को यह डर लग रहा था कि सूबे सिंह किसी भी वक्त लौटकर आ सकता है।
प्रश्न 2. ‘ईटों को जोड़कर बनाए चूल्हे में जलती लड़कियों की चिट-पिट जैसे मन में पसरी दुशिचिंताओं और तकलीफ़ों की प्रतिध्वनियाँ थीं जहाँ सब कुछ अनिश्चित था।’ यह वाक्य मानो की किस मनोस्थिति को उजागर करता है ?
उत्तर - इस कथन से यह ज्ञात होता है कि मानो इस भट्टे पर आकर खुश नहीं है। उसका मन अनेक चिंताओं से घिरा रहता है। उसे यहाँ के वातावरण में रहते हुए एक अनजाना भय लगा रहता है तथा वह अपने भविष्य के प्रति बहुत आशंकित रहती है कि कल न जाने क्या होगा ? इस प्रकार उसकी मानसिक स्थिति अत्यंत व्यथा से संतप्त रहती है।
प्रश्न 3. मानो अभी तक भट्ठे की ज्तिद्यी से तालमेल क्यों नहीं बैठा पाई थी ?
उत्तर - भद्ठा शहर से दूर खेतों में था जहाँ यातायात की उचित व्यवस्था नही थी और न ही मनोरंजन का कोई साधन था। दिन के समय भट्ठे पर बहुत भीड़-भाड़ रहती थी। भट्ठे का संपूर्ण वातावरण हलचल से भरा रहता था। मज़दूर और मालिक सभी अपना काम करते हुए भविष्य के सपने बुनते हैं लेकिन जैसे ही शाम होती है भट्ठे का वातावरण सुनसान हो जाता है, मालिक शहर लौट जाते है और दिनभर की मेहनत से थके हुए लोग अपने-अपने झोंपड़ों में चले जाते हैं जहाँ वे दिनभर की थकावट उतारते हैं। भट्ठा सुनसान जगह खेतों में होने के कारण यह डर लगा रहता है कि कही अँधेरे में साँप-बिच्छू जैसे जंगली जानवर न निकल आए। मानो को रात के समय ऐसा लगता था जैसे आसपास का पूरा जंगल सिमट कर उसकी झोंपड़ी के आगे आ गया हो। ऐसे सुनसान वातावरण में उसका मन घवराने लगता था। उसने सुकिया से कई बार वापस गाँव जाने के लिए कहा लेकिन सुकिया ने उसकी बात नहीं मानी। मानो सुकिया को समझाती कि अपने गाँव में तो वह तंगी में भी गुजारा करके खुश रह सकती है क्योंकि वहाँ के सभी लोग अपनी जान-पहचान के हैं जिनके साथ सुख-दुख बाँटा जा सकता है। यहाँ भह्ठे पर तो कहने को भी अपना कोई नहीं है सभी पराए लोग है। इसलिए मानो अभी तक भट्ठे की जिंद्री से तालमेल नहीं बिठा पाई थी।
प्रश्न 4. ‘खुद के हाथ पंथी ईंटों का रंग ही बदल गया था। उस दिन ईंटों को देखते-देखते मानो के मन में बिजली की तरह एक खयाल काँधा था।’ वह खयाल क्या था जो मानो के मन में बिजली की तरह काँधा ? इस संदर्भ में सुकिया के साथ हुए उसके वार्तालाप को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर - मानो और सुकिया भट्ठे पर काम करते थे। दोनों जिस गाँव से आए थे, वहाँ अधिकतर कच्चे मकान थे। मानो ने जब अपने हाथ से पथी इंटों को भट्ठे में तपने के बाद बदले हुए रंग में देखा तो उसे विश्वास नहीं हुआ। वह बहुत देर तक ईंटों का लाल रंग को देखती रही। इंटों के बदले हुए रंग ने मानो के अंदर एक तीव्र आकांक्षा को जन्म दे दिया था। वह इंटों से बने अपने छोटे-से घर का सपना देखने लगी थी। उसने सुकिया से भी घर बनाने की इच्छा प्रकट की लेकिन सुकिया उसकी बात टाल गया। मानो उस रात जितना सोने की कोशिश करती थी, उतनी ही नींद आँखों से दूर होती गई थी क्योंकि उसके दिलो-दिमाग में इंटों का लाल रंग छा गया था। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए वह कमर तोड़ मेहनत करने को तैयार थी।
प्रश्न 5. असगर ठेकेदार के साथ जसदेव को आता देखकर सूबे सिंह क्यों बिफ़ पड़ा और जसदेव को मारने का क्या कारण था ?
उत्तर - सूबे सिंह ने अपने दफ्तर में मानो को बुलाया था। सुकिया और जसदेव जानते थे कि सूबे सिंह अनैतिक कार्य के लिए मानो को बुला रहा है। इसलिए असगर ठेकेदार के साथ मानो के स्थान पर जसदेव चला गया। मानो के स्थान पर जसदेव को आता देखकर सूबे सिंह बिफर पड़ा और उसे गालियाँ देकर मारने लगा कि वह मानो के स्थान पर क्यों आया है।
यह पेज आपको कैसा लगा ... कमेंट बॉक्स में फीडबैक जरूर दें...!!!
प्रश्न 6. ‘सुकिया ने मानो की ऑखों से बहते तेज़ अधड़ों को देखा और उनकी किरकिराहटट अपने अंतर्मन में महसूस की। सपनों के टूट जाने की आवाज्त उसके कानों को फाड़ देती थी।’ प्रस्तुत पंक्तियों का संदर्भ बताते हुए आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - मानो की थापी हुई इटों को किसी ने तोड़ दिया था। असगर ठेकेदार ने साफ़-साफ़ कह दिया था कि टूटी-फूटी इँटों का कोई पैसा नहीं दिया जाएगा। इससे मानो को लगा कि जैसे उसका पक्की ईंटों का घर ही धराशायी हो गया हो। सुकिया भी शोर सुनकर वहाँ आ जाता है और मानो की आँखों से बहते हुए आँसुओं को देखकर उसका मन भी रो पड़ता है। उसे लगता है कि उन्होंने जो सपने देखे थे वे सभी चूर-चूर हो गए हैं। उसे लग रहा था कि अब तो उन्है यह भट्ठा छोड़ना ही पड़ेगा क्योंकि सूबे सिंह मानो के न मिलने से उनसे खार खाए बैठा है।
प्रश्न 7. ‘खानाबदोश’ कहानी में आज के समाज की किन-किन समस्याओं को रेखांकित किया गया है ? इन समस्याओं के प्रति कहानीकार के दुष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - लेखक ने ‘खानाबदोश’ कहानी में मालिक-मज़दर के अंतर से उत्पन्न होनेवाली समस्या, जात-पाँत की समस्या को उठाया है। मजदूर की मेहनत और ईमानदारी से भट्ठे के मालिक खूय पैसा कमा रहे हैं लेकिन उनकी सुविधा के लिए कोई भी साधन उपलब्ध नहीं कराते हैं। मज़दूरों शहर से दूर भट्ठों पर ही दबड़ेनुमा झोंपड़ियाँ बनाकर रहते है जिसमें आदमी हंग से खड़ा नहीं हो पाता है। बीमार पड़ने या चोट लगने पर दवाई की सुविधा नहीं है। सूबे सिंह जैसे मालिक लोग मजदूर स्त्रियों के आत्म-सम्मान को चोट पहुँचाते हैं। उनका कहना न मानने पर उन्हें तंग करके काम छोड़ने को मजबूर कर देते हैं। लेखक ने कहानी में जात-पाँत की समस्या को उठाया है मज़दूरों होकर भी आपस में काम करनेवाले जात-पाँत को मानते हैं। जसदेव ब्राह्मण होने के कारण मानो के हाथ की बनी रोटी नहीं खाता है। असगर ठेकेदार के यह कहने पर कि वह ब्राहमण है क्यों इन मज़दूर के चक्कर में पड़ता है जब से जसदेव सुकिया और मानो से दूर-दूर रहने लगता है। लेखक ने कहानी में यह दिखाने का प्रयास किया है कि मज़दूर वर्ग को सपने देखने का अधिकार नहीं है। वह मेहनत और ईमानदारी का जीवन व्यतीत नहीं कर सकते हैं। दिन-रात की मेहनत-मज़दूरी के बाद उन्हें इतने पैसे भी नही मिलते कि वह अपने लिए अच्छे खाने और रहने का इंतजाम कर सकें। मानो के माध्यम से ब्राहमण मानसिकता पर चोट की है, “फिर तुम तो दिन-रात साथ काम करते हो… मेरी खातिर पिटे… फिर यह बयान म्हारे बीच कहाँ से आ गया… ?’
प्रश्न 8. ‘चल ! यो लोग महारा घर ना बणने देंगे।’ सुकिया के इस कथन के आधार पर कहानी की मूल संवेदना स्पष्ट डालिए।
उत्तर - ‘खानाबदोश’ कहानी में लेखक ने मज़दूर वर्ग का पूँजीपति वर्ग द्वारा किए जा रहे शोषण को चित्रित किया है। मज्ञदूर वर्ग यदि ईमानदारी से मेहनत मज़ूरी करके इस्ज़त के साथ जीवन बिताना चाहता है, तो सूबे सिंह जैसे समृद्ध और ताकतवर लोग उन्हें जीने नहीं देते हैं। सुकिया और मानो गाँव छोड़कर शहर से दूर भट्ठे पर, अपना ईंटों का घर बनाने का सपना पूरा करने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं। दोनों जमा किए पैसों को देख-देखकर खुश होते हैं। सूबे सिंह अपनी दौलत से मानो को खरीदना चाहता है लेकिन मानो अपने घर में, अपने परिवार के साथ इक्जत की ज़िंद्गी बिताना चाहती है इसलिए अपने पति सुकिया के साथ मिलकर सूबे सिंह की ज़्यादतियों का सामना करती हुई मेहनत से काम करती है। एक दिन मानो द्वारा बनाई गई ईटें रात को कोई तोड़ जाता है जिससे उसके सपने भी टूट जाते हैं। वे दोनों अपने टूटे सपनों को साथ लेकर, बाकी सब छोड़कर खानाबदोशों की तरह अगले पड़ाव के लिए चल पड़ते हैं। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने मज़दूरों पर होनेवाले अत्याचारों तथा शोषण को दिखाया है कि किस प्रकार पूँजीपति मजदूरों की मेहनत से अपने को अमीर बनाता है फिर उसी पूँजी से उनका शोषण करता है। उनके जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं करता है। मज़दूर एक बार अपनी जमीन से उखड़कर, सपने पूरे करने की आस लेकर शहर आते हैं, लेकिन वे जिंदगीभर सूबे सिंह जैसे लोगों के कारण जमीन से जुड़ नहीं पाते हैं। उम्रभर खानाबदोश ही रहते हैं।
यह पेज आपको कैसा लगा ... कमेंट बॉक्स में फीडबैक जरूर दें...!!!
प्रश्न 9. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) अपने देस की सूखी रोटी भी परदेस के पकवानों से अच्छी होती है।
(ख) इत्ते छेर-से नोट लगे हैं घर बणाने में। गाँठ में नहीं है पैसा चले हाथी खरीदने।
(ग) उसे एक घर चाहिए था पक्की इंटों का। जहाँ वह अपनी गृहस्थी और परिवार के सपने देखती थी।
(घ) फिर तुम तो दिन-रात साथ कम करते हो….मेरी खातिर पिटे…फिर यह बामन महारे बीच कहाँ से आया…. ?
(ङ) सपनों के काँच उसकी आँख में किरकिरा रहे थे।
उत्तर - (क) मानो सुकिया के साथ गाँव छोड़कर भट्ठे पर काम करने आ जाती है लेकिन भट्ठे के माहौल में उसका दिल नहीं लगता। वह सुकिया से गाँव वापस चलने के लिए कहती है लेकिन सुकिया वापस गाँव में जाकर नर्क की जिंदगी नहीं बिताना चाहता है। मानो उससे कहती है कि गाँव में सभी लोग अपने हैं। अपनों के बीच सुख-दुख उठाते हुए हम कम खाकर भी खुश रह सकते हैं। यहाँ परदेश में अपना कोई नहीं है यदि हम यहाँ सुख-सुविधाओं में रहें तो उसका क्या लाभ ! हमारा सुख-दुख बाँटने वाला तो अपना कोई नही है, सभी पराए हैं।
(ख) भट्वे में पकी लाल इंटों को देखकर मानो के दिल में अपना पक्का घर बनाने की इच्छा जन्म लेती है। वह सुकिया को अपनी इच्छा बताती है। सुकिया उसे समझाता है कि उसकी यह इच्छा पूरी नही हो सकती है क्योंकि हम मज़दूर है। घर बनाने में केवल इंटे ही नहीं लगती, उसमें अन्य सामान रेत, सीमेंट, लकड़ी, लोहा आदि लगता है। घर दो-चार रुपयों में नहीं बनता है उसके लिए बहुत सारे रुपए चाहिए जो हमारे पास नहीं हैं। हम मेहनत मज्ञदूरी करनेवाले लोग पक्के घर का सपना देख सकते हैं। उसे पूरा करने की ताकत हमारे पास नहीं है।
(ग) सूबे सिंह मानो को किसनी की तरह अपने जाल में फँसाना चाहता था लेकिन मानो के स्वाभिमान के कारण उसे फैसा नहीं पाता। मानो में इक्ज़त से जिंदगी जीने की इच्छा बहुत अधिक थी इसलिए वह सूबे सिंह के पास नही जाती। मानो भट्ठे पर रहते हुए एक पक्के घर का सपना देखती है जहाँ वह अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी रहना चाहती है। वह अपना सपना पूरा करने के लिए कमर तोड़ मेहनत करने के लिए तैयार है लेकिन वह अपना आत्मसम्मान खोकर अपना सपना पूरा नहीं करना चाहती।
(घ) जसदेव मानो को सूबे सिंह से बचाने के लिए उसकी मार खाता है। वह घायल हो जाता है मानो उसको दवा लगाती है और उसके लिए रोटी लेकर जाती है। सुकिया उसे रोकता है लेकिन मानो उसकी बात नहीं मानती है। जसदेव ब्राहमण होने के कारण उसके हाथ की बनी रोटी खाने से इनकार कर देता है क्योकि मानो निम्न जाति की है। मानो उससे कहती है कि वह भी तो उसकी तरह एक मज्रदूर है, उसके साथ काम करता है और सूबे सिंह से उसकी इक्ज़त बचाने के लिए भिड़ गया था। उस समय तो उनके मध्य जात-पांत नहीं थी। अब रोटी खाने के समय ब्राहमण कहाँ से उनके मध्य आ गया है। वह तो औरत होने के कारण उसे रोटी खिलाने आ गई थी।
(ङ) सूबे सिंह और मानो-सुकिया में एक लड़ाई चल रही थी। सूबे सिंह उन्हें परेशान करता है लेकिन वे दोनों उसकी तरफ़ ध्यान नहीं देते, अपने काम में लगे रहते हैं। मानो के सत्र का बाँध उस दिन टूट जाता है जब वह अपनी बनी ईंटों को टूटा हुआ देखती है। ठेकेदार उनको टूटी हुई इँटों की मज़दूरी देने से मना कर देता है। मानो को लगता है कि ईटें टूटने से उसके सपने भी टूट गए हैं। सब लोग उनके विर्द्ध हो गए हैं। वह सुकिया के साथ वहाँ से चल पड़ती है। उसने भट्ठे पर रहते हुए जो पक्के घर का सपना देखा था वह टूट गया था। टूटे हुए सपने का काँच उसकी आँखों में चुभ रहा था क्योंकि उसे लग रहा था कि उसका घर का सपना अब कभी पूरा नहीं होगा।
प्रश्न 10. नीचे दिए गए गद्यांश की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
भद्ठे से उठते ……… था, यह भट्ठा।
उत्तर - सप्रसंग व्याख्या खंड देखिए


If you have any doubts, Please let me know