Important Questions CBSE Class 10 Hindi A –आत्मकथ्य | आत्मकथ्य (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)
आत्मकथ्य (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)
प्रश्न 1.
‘आत्मकथ्य' या अपनी बात कहने से प्रायः विद्वान लोग किस कारण बचना चाहते हैं? क्या प्रसाद कवि भी इसी कारण टाल देते हैं?
उत्तर:
प्रायः विद्वान लोग अपनी निजी अनुभूतियों को सार्वजनिक नहीं करना चाहते हैं। निजी अनुभूतियों की गोपनीयता को बनाए रखने के लिए वे ‘आत्मकथा लिखने से बचना चाहते हैं। कवि प्रसाद जी भी इसी कारण आत्मकथा लिखने के प्रश्न को टाल देते हैं क्योंकि अगर आत्मकथा लेखन में ईमानदारी बरती गई तो कवि या लेखक की अनेक निजी बातें सार्वजनिक हो जाएँगी और यदि आत्मकथा ईमानदारी से नहीं लिखी गई तो यह लेखन के साथ अन्याय होगा।
प्रश्न 2.
प्रसाद जी जीवन को कैसा और कितना बड़ा मानते हैं तथा उसके अनुपात में उसे जीवन की कथाएँ कैसी हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रसाद जी जीवन को अत्यंत उदात्त एवं व्यापक मानते हैं। वे जीवन को एक व्यापक फलक का मानते हुए इसमें अनंत सुख-दुख के क्षणों को शामिल करते हैं। इसमें भिन्नताओं के अवसर बहुत अधिक मिलते हैं, लेकिन यह दुर्भाग्य है कि प्रसाद जी का जीवन अधिक विस्तृत एवं तरह-तरह की रंगीनियों को समेटे हुए नहीं था। वे अपने जीवन को ‘रिक्त गागर' मानते हैं, जिसमें सुख एवं रस की एक बूंद भी नहीं है। वे अपने जीवन में रोमांचक क्षणों का अभाव महसूस करते हैं, जो जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग होना चाहिए था। प्रसाद जी का मानना है कि जीवन के विस्तृत फलक के अनुपात में उनके जीवन की कथाएँ अत्यंत नगण्य हैं और जो हैं, वे अत्यंत नीरस एवं निरर्थक हैं।
प्रश्न 3.
कवि किस बात को बिडंबना मानते हैं? इससे उनके किन गुणों का आभास मिलता है? ‘आत्मकथ्य' कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
कवि ‘आत्मकथ्य' लिखने को ही विडंबना मानते हैं क्योंकि ईमानदारी से आत्मकथ्य लिखने का अर्थ है कि दूसरे लोगों के छल कपटपूर्ण व्यवहार का पर्दाफाश करना। इसमें न तो कवि का हित है और न तो दूसरों का हित है। सच्चाई एवं ईमानदारी से अपने जीवन का सार लिखने से उन सभी व्यक्तियों की कलई खुल जाएगी, जिन्होंने छल-कपट एवं विश्वासघात से कवि के जीवन का गागर रिक्त कर दिया और साथ ही दुनिया कवि के भोलेपन, निष्कपट व्यवहार तथा सरल स्वभाव का मजाक भी उड़ाएगी। इससे कवि की अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदारी एवं निष्ठा संबंधी गुण का पता चलता है।
प्रश्न 4.
कवि प्रसाद ने चाँदनी रात की गाथा को उज्ज्वल क्यों कहा है? 2014
उत्तर:
कवि ने चाँदनी रात की गाथा को उज्ज्वल इसीलिए कहा है क्योंकि वे कवि के निजी प्रेम के मधुर एवं अंतरंग क्षण हैं जो कवि ने अपनी प्रेमिका के साथ व्यतीत किए थे। चाँदनी रातों में बिताए गए वे सुखदायक क्षण किसी उज्ज्वल गाथा की तरह पवित्र हैं। यह कवि के प्रेम की नितांत निजी सम्पत्ति है और यह इन क्षणों को किसी के साथ बाँटना नहीं चाहता है।
प्रश्न 5.
स्मृति को ‘पाथेय' बनाने से कवि प्रसाद का क्या आशय है?
उत्तर:
स्मृति को 'पाथेय' बनाने से कवि का आशय जीवन-मार्ग के सहारे से है। कवि ने सुख का जो स्वप्न देखा था, वह उसे जीवन में कभी प्राप्त नहीं हुआ। इसलिए वह स्वयं को थके हुए पथिक की भाँति मानता है। जिस तरह 'पाथेय' यात्रा में यात्री को सहारा देता है, उसे आगे बढ़ने की शक्ति देता है। उसी तरह स्वप्न में देखे गए सुख की स्मृति भी कवि को जीवन मार्ग में आगे बढ़ने की क्षमता देती है।
प्रश्न 6.
कवि को ऐसा क्यों लगता है कि उसकी आत्मकथा को पढ़कर किसी को सुख की अनुभूति नहीं होगी?
उत्तर:
कवि का जीवन दुख एवं अभावों से भरा रहा है। जीवन की यात्रा में वह दुखों का सामना करता रहा है। अब उसके दुख एवं व्यथाएँ थककर मौन हो गई हैं। आत्मकथा लिखकर वह उन्हें पुनः जीवित नहीं करना चाहता। इसलिए उसे लगता है कि अगर उसने अपनी आत्मकथा लिख भी दी तो उसको पढ़कर किसी को सुख की अनुभूति प्राप्त नहीं होगी।
प्रश्न 7.
'आत्मकथ्य' कविता के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्तित्व की जो झलक मिलती है, वह उनकी ईमानदारी और साहस का प्रमाण है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘आत्मकथ्य' कविता में कवि ने अपनी उन स्थितियों का भी चित्रण किया है जब उन्हें निराशा व विफलता का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपनी कमियों, अभावों, संघर्षमय पलों को यथार्थ चित्रण किया है। जिन्हें बताने में लोगों को शर्मिदगी होती है। प्रसाद ने उन लोगों की भी चर्चा की है जिन्होंने उनके जीवन से आनंद के पल चुराकर उनसे मुख मोड़ लिया। अपनी कमजोरियों को उजागर करना, अभाव व निराशा के पलों को बताना, खुशियों का जीवन से पलायन- ये सब बातें प्रसाद जी की ईमानदारी व साहस का प्रमाण है।
प्रश्न 8.
कवि जयशंकर प्रसाद ने आत्मकथ्य न लिखने के लिए क्या-क्या कारण गिनाए हैं? किन्हीं तीन का उल्लेख करें।
उत्तर:
कवि अपनी आत्मकथा नहीं लिखना चाहते थे। क्योंकि-
(1) वे मानते थे कि उन्होंने जीवन में विशेष रूप से कुछ भी उपलब्ध नहीं किया। उनका जीवन किसी के लिए प्रेरणादायक नहीं बन सकता।
(ii) आलोचक उनकी अभावों से भरी जिंदगी को जानकर उनका उपहास करेंगे।
(iii) आत्मकथा के वर्णन से अतीत के घाव पुनः हरे हो जाते हैं जो पीड़ा देते हैं।
प्रश्न 9.
'आत्मकथ्य' कविता के कवि ने सुख का जो स्वप्न देखा था, उसे कविता में किस रूप में अभिव्यक्त किया गया है?
उत्तर:
कवि की प्रेयसी अपूर्व सुंदरी थी। वह कभी अपनी प्रेयसी के साथ चाँदनी रातों में बातें करते हुए प्रसन्न होते थे। प्रेम के पलों में अत्यंत सुख का अनुभव करते थे। सौंदर्य की जीवंत प्रतिमा ऐसी प्रेयसी स्वप्न में आलिंगन का आभास करा, जीवन में खुशियाँ बिखेरकर दूर हो गई। उस सुख के स्वप्न को कवि ने इस प्रकार व्यक्त किया है।
"जिसके अरुण-कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।"
प्रश्न 10.
‘आत्मकथ्य' कविता में ‘छोटे से जीवन की कैसे बड़ी कथा मैं आज कहूँ' कहकर कवि 'जीवन को छोटा और कथा को बड़ी' क्यों कह रहा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लेखक अपने जीवन को अत्यंत साधारण मानता है। उसे लगता है कि उसके जीवन की कोई विशिष्ट उपलब्धि नहीं है, जिसे वह लोगों को बता पाए और लोग उससे किसी प्रकार की प्रेरणा ग्रहण कर सके। सामान्य जीवन की कोई महत्त्वपूर्ण गाथा नहीं। इसलिए कवि ने जीवन को छोटा और कथा को बड़ी कहा है।
Please
ReplyDeleteUseful content
DeleteThank sir 👍👍👍👍
Bhai agar in mein se koi question nahi aaya toh
DeleteWah
ReplyDeleteDoing your mom rn
ReplyDeleteUnfortunately, you're doing ashes.
Deleteoh hell nah bruh
DeleteSir please sir answer easy word mai likhiye smgh nhi aa rha hai please reply
ReplyDeleteyes sir
DeleteMalta malta
ReplyDeleteSir please tell the best book of Hindi in which pyq and al thing will covers
ReplyDelete10+1 Sample Paper
DeleteMCQ type questions ko bada (बढा) do
ReplyDeleteBhdiya
ReplyDeleteThen don't see it
ReplyDeleteBhaiya pyq's ka b sakte hai
ReplyDeleteabe tu hai kon
DeleteEmotional 🥺
ReplyDeleteEmotional 🥺
ReplyDeleteJAI SHREE RAM BHAIYON AUR BEHNO 🚩
ReplyDeleteram ram mere bhaii!
Deletejai shrreee ramm to allllll
DeleteSir isko video form me dal digiye
ReplyDeletewai muh mei le choco,jhat mundi bhosdi wale
ReplyDeletethode toh easy answers likh deta.bund ka baccha land lele bc.jhatu
bsdk ye sir itna kar re na, isme hi khush ho jaa raand ka saala
Deletechutiye agar tujhe ye hard lg rha h toh jake lkg ki book ppadhle shayad samj aa jaye ki jo hindi tuum bhookte aa rhe ho bhok hi paa rhe ho ye vo h jjo tumhare teeacher chheak kreenge
DeleteThanks sir bahaut useful tha ye content aapne mere liye bhagwan ke Saman hai
ReplyDeletePlease PYQ bhi dalo sir♥️🙏
ReplyDeletethanks sir
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