Ram Lakshman Parshuram Samvad Class 10 Important Questions राम लक्ष्मण परशुराम संवाद | राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)
राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)
प्रश्न 1.
‘गाधिसुत' किसे कहा गया है? वे मुनि की किस बात पर मन ही मन मुस्करा रहे थे? 2016
उत्तर:
गाघिसुत मुनि विश्वामित्र को कहा गया है। परशुराम आत्मप्रशंसा में विश्वामित्र जी की ओर देखकर कह रहे थे कि वे उस उद्दंड बालक यानी लक्ष्मण को केवल उनके कारण छोड़ रहे हैं, वरना अपने फरसे से उसका वध करके गुरु के ऋण से उऋण हो जाते। यह कथन द्वारा राम-लक्ष्मण के शौर्य से परशुराम की अनभिज्ञता प्रकट होते देखकर ही विश्वामित्र मन-ही-मन मुस्करा रहे थे।
प्रश्न 2.
स्वयंवर स्थल पर शिव धनुष तोड़ने वाले को परशुराम ने किस प्रकार धमकाया?
उत्तर:
‘स्वयंवर' स्थल पर शिव धनुष तोड़ने वाले को परशुराम ने धमकाते हुए कहा कि जिसने इस धनुष को तोड़ा है वह अब मेरा शत्रु है। सहस्रबाहु के समान अब उसका विनाश निश्चित है। राम के यह कहने पर कि आपके ही किसी दास ने इसे तोड़ा होगा, परशुराम अत्यंत क्रोधित हो कहने लगे कि दास तो वह होता है, जो सेवा करे। यह तो शत्रु का काम है। इसलिए अन्य सभी राजा स्वतः ही अलग हो जाए। क्योंकि धनुष तोड़ने वाले को उनसे अब कोई नहीं बचा सकता।
प्रश्न 3.
परशुराम की स्वभावगत विशेषताएँ क्या हैं? पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
परशुराम के स्वभाव में अनेक विशेषताएँ दृष्टिगोचर होती हैं-
(i) वे अत्यंत क्रोधी थे। उन्हें हर छोटी-सी बात पर गुस्सा आ जाता था और वे सबके समक्ष अपने गुस्से पर नियंत्रण नहीं रख पाते थे।
(ii) वे दृढ़ निश्चयी थे। उन्होंने इस पृथ्वी को अपने दृढ़ प्रण के कारण अनेक बार क्षत्रिय विहिन कर दिया था।
(ii) वे अत्यंत धीर व शक्तिशाली थे। सभी राजाओं का विनाश करना कोई छोटा कार्य नहीं हो सकता।
(iv) वे बाल ब्रह्मचारी व बड़बोले थे। वे अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते थे और बढ़-चढ़ कर उसका बखान करते थे।
(v) उनमें विवेक का अभाव था। वे राम-लक्ष्मण को पहचान न सके। अच्छाई और बुराई में अंतर न कर पाए।
प्रश्न 4.
‘साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है- इस कथन पर अपने विचार ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद' पाठ के आलोक में लिखिए।
उत्तर:
साहस और शक्ति दोनों ही मानव के अच्छे गुण हैं। विनम्रता भी अपने आप में एक महत्वपूर्ण गुण है। यदि व्यक्ति में साहस व शक्ति के साथ विनम्रता भी हो, तो सोने पर सुहागा हो जाता है। राम में ये तीनों ही गुण थे, जबकि परशुराम में साहस व शक्ति तो कूट-कूट कर भरी थी पर विनम्रता नहीं। कोई भी साहसी व्यक्ति विनम्रता को अपनाकर प्रशंसनीय व सबका प्रिय बना सकता है। लेकिन विनम्रता के अभाव में साहस, दुस्साहस में परिवर्तित हो जाता है। विनम्रता, साहस व शक्ति पर अकुश लगाकर उसे उद्दंड होने से रोकती है।
प्रश्न 5.
लक्ष्मण और परशुराम की चारित्रिक विशेषताओं में आप क्या अंतर पाते हैं? पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरित मानस से लिए गए ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ में परशुराम महाक्रोधी, उग्र एवं अति आत्मप्रशंसक यानी अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनने वाले मुनि हैं। वे स्वयं को प्रचंड क्रोधी, महापराक्रमी, बाल ब्रह्मचारी एवं क्षत्रिय कुल का घातक बताते हैं। इस बड़बोलेपन के कारण उन्हें अपने बड़प्पन का भी ध्यान नहीं रहता, तभी वे लक्ष्मण से वाद-विवाद कर बैठते हैं, जबकि बड़प्पन की निशानी यही है कि छोटों के प्रति विनम्र रहा जाए। इसके विपरीत लक्ष्मण के चरित्र में वाक्चातुर्य एवं तर्कशीलता जैसे गुण तो हैं, किंतु इनके साथ-साथ उनमें ज़बान से बड़ों की बराबरी करने का दोष भी है। वे ऐसे-ऐसे व्यंग्य-बाण छोड़ते हैं, जिनसे परशुराम जी क्रोध में उफन पड़ते हैं। इस प्रसंग के आधार पर यह कहना गलत न होगा कि अगर श्री राम जैसे विनम्र व संयमशील व्यक्ति बीच में न होते और विनम्रता के साथ परशुराम जी से क्षमा-याचना न करते, तो जनक-दरबार किसी अप्रिय घटना का साक्षी बन जाता।
प्रश्न 6.
'अयमय खाँड़ न ऊखमय' से क्या अभिप्राय है और यह कथन किसके लिए प्रयुक्त हुआ है।
उत्तर:
'अयमय खाँड़ न ऊखमय' यह कथन मन-ही-मन मुनि विश्वामित्र उस समय सोचते हैं, जब परशुराम बड़बोलेपन में कहते हैं कि वे पलभर में लक्ष्मण को मार डालेंगे। परशुराम को यह कहते देख वे सोचते हैं कि क्रोध में परशुराम जी ने कितनी सरलता से यह कह दिया कि वे अपने फरसे से लक्ष्मण को मार डालेंगे, किंतु उन्होंने यह विचार नहीं किया कि जिस बालक को वे गन्ने के रस की खांड़ समझ रहे हैं, वह लोहे से बना खाँडा यानी तलवार के समान अस्त्र है, जिसे काट पाना इतना सरल नहीं है।
प्रश्न 7.
लक्ष्मण 'कुम्हड़बतिया' और 'तरजनी' के उदाहरण से अपनी किस बात को सिद्ध करना चाहते हैं और क्यों?
उत्तर:
लक्ष्मण 'कुम्हड़बतिया' और 'तर्जनी' के उदाहरण से ये स्पष्ट करना चाहते हैं कि वे कद्दू के फूल से बने कोमल फल के समान नहीं हैं जो तर्जनी उँगली के दिखाने से ही मुरझा जाएँगे। वे एक शूरवीर और क्षत्रिय वंशी हैं। अतः वे परशुराम के फेंक मारने से उड़ नहीं जाएँगे। वे पर्वत के समान कठोर, अडिग और शक्तिशाली हैं। अतः परशुराम व्यर्थ की डींगें मारकर उन्हें डराने-धमकाने का प्रयास न करें।
प्रश्न 8.
परशुराम के साथ संवाद के संदर्भ में राम और लक्ष्मण में से किसका व्यवहार आपकी दृष्टि में अधिक प्रशंसनीय है और क्यों ?
उत्तर:
परशुराम के साथ संवाद के संदर्भ में राम और लक्ष्मण में से राम का व्यवहार प्रशंसनीय लगता है क्योंकि राम विनम्र और शांत रहकर ऋषि परशुराम की बातें सुनते हैं, जबकि लक्ष्मण उनकी बातें सुनकर भड़क जाते हैं। लक्ष्मण की बातें परशुराम की क्रोध रूपी अग्नि में घी डालने का काम करती हैं, जबकि राम के शांत वचन और स्वयं को उनका दास बताना अग्नि में पानी डालकर शांत रहने का काम करते हैं। क्रोध किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता है। क्रोधी व्यक्ति अपनी समझ व विवेक खो देता है और आवेश में आकर गलत कदम उठा सकता है। जबकि राम के समान धैर्यवान, मृदुभाषी, शांत व मर्यादा का पालन करना समस्या को समाधान की तरफ़ ले जाता है। अतः राम का व्यवहार ही प्रशंसनीय में स्वीकार्य है।
प्रश्न 9.
लक्ष्मण के अनुसार वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ परशुराम में नहीं हैं।
उत्तर:
लक्ष्मण के अनुसार वीर योद्धा की निम्नलिखित विशेषताएँ परशुराम में नहीं हैं-
(1) वीरों के समान परशुराम वीरता का प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं, केवल उसका बखान कर रहे हैं।
(ii) वीर युद्धभूमि में संग्राम कर अपना जौहर दिखाते हैं, न कि सिर्फ डींगें हाँकते हैं।
(iii) वीर अपनी प्रशंसा स्वयं नहीं करते हैं। उनकी कथनी और करनी में अंतर नहीं होता है।
(iv) वीरों के समान धैर्य व विनयशीलता के गुणों का अभाव भी लक्ष्मण परशुराम में बताते हैं।
प्रश्न 10.
परशुराम के क्रोध का मूल कारण क्या था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परशुराम के क्रोध का मूल कारण शिव धनुष का टूट जाना था। वह धनुष स्वयं परशुराम ने राजा जनक को दिया था। जब राम ने धनुष तोड़ा, तो चारों तरफ़ उनकी प्रशंसा होने लगी थी, परंतु परशुराम इससे क्रोधित हो गए थे। जब उन्होंने धनुष तोड़ने वाले के विषय में पूछा, तो लक्ष्मण ने उनके क्रोध मे घी डालने का काम किया। वे कहते हैं कि उनके लिए तो सभी धनुष एक समान हैं। ऐसा इस धनुष में क्या है? जो आप इतना क्रोधित हो रहे हैं। हमने तो बचपन में अनेक घनुष तोड़े हैं। मेरे भैया राम ने तो धनुष पर केवल प्रत्यंचा ही चढ़ाई थी और हाथ लगते ही यह टूट गया। इसमें विशेष क्या है? शिव धनुष के विषय में यह सब सुनकर परशुराम के क्रोध की सीमा नहीं रहती।
Bhai mast meko do answer mile isme SE thank you so much
ReplyDeleteSir grt job
ReplyDeleteI'll recommend this blogspot to my friends too. 😊
Thanks sir grt job it is very helpful for us
ReplyDeleteBhaiya agar question present me toh answer past me Kyi h
ReplyDeletehaan
DeleteThank you sir
ReplyDeleteNice answers
ReplyDeletevery helpful and good answers
ReplyDeleteZoom karne ka bhi dalo pls bahut chota chota thik se dikhai ni deta
ReplyDeleteho rha h bhai zooooooooom
DeleteCtrl+Mouse scroll wheel ko use karke zoom karlo, phone me jese normally photo zoom karte hai wese ho jayega
DeleteThank you Sir Your way of explanation is brilliant :)
ReplyDeleteFuck off sir
ReplyDeleteFuck you sir
CHUP HO JA JAHIL SIR KO KUCH MTT BOLNA SAMJHA NA PILPILLE KIDE
Deletebhai ye iske mata pita ke diye hue sanskar hai, shayad apne mata pita ko bhi ye aise hi gariyata hoga....!
DeleteNo doubt. Absolutely
ReplyDeleteggvgvg
ReplyDeleteNice guruji🥰🥰
ReplyDeleteBest
ReplyDeleteGuruji 🙏
Nice explanation
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteThankyou guru ji🙏
ReplyDeleteVery good sir Adsense Jyada chalao Sahi rahega website parr
ReplyDeleteBest of exam prep
ReplyDeleteNice question sir 🤓🤓👌🏻👌🏻👌🏻
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