कन्यादान (पठित काव्यांश)

0

कन्यादान (पठित काव्यांश)






काव्यांश पर आधारित प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-


माँ ने कहा पानी में झाँककर
अपने चेहरे पर मत रीझना।
आग रोटियाँ सेंकने के लिए है।
जलने के लिए नहीं ।
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह
बंधन हैं स्त्री-जीवन के।

(क) लड़की का अपने चेहरे पर रीझना हानिकारक क्यों है?
(ख) कविता में 'आग' के माध्यम से समाज की किस समस्या की ओर संकेत किया गया है?
(ग) वस्त्र और आभूषण के प्रति नारी का आकर्षण स्वाभाविक क्यों होता है?
(घ) माँ ने उन्हें बंधन क्यों माना है ।
(ङ) माँ ने बेटी को ये सब सीखें क्यों दीं?

उत्तर:
(क) लड़की का अपने चेहरे पर रीझना इसलिए हानिकारक होता है क्योंकि वह अपने आप सौंदर्य के प्रति अति उत्साही होकर सुंदर होने का भ्रम पाल लेती है और यही उसकी कमजोरी बन जाता है। वह यथार्थ का सामना करने के लिए कठोरता से खड़ी नहीं हो पाती है।

(ख) कविता में 'आग' के माध्यम से लड़की की उस दयनीय अवस्था की तरफ़ संकेत किया है, जिसमें दहेज न लाने या कम लाने के कारण लड़की को कई बार समाज के कुछ लोभी व्यक्ति जला तक डालते हैं।

(ग) वस्त्र और आभूषण लड़की के सौंदर्य को बढ़ाते हैं इसलिए स्वाभाविक रूप से स्त्री इनके मोह में पड़ जाती है।

(घ) माँ ने उन्हें बंधन इसलिए माना है क्योंकि वस्त्र और आभूषण के लोभ में आकर वह इनके प्रति मोह ग्रस्त हो जाती है और अपने अस्तित्व को भूला बैठती है।

(ङ) माँ ने बेटी को ये सब सीखें इसलिए दी हैं, ताकि वह अपनी पुत्री को विवाहोपरांत होने वाले संघर्षों का सामना करने में सक्षम बना पाए। वह अपनी बेटी को कमज़ोर नहीं बनाना चाहती। वह उसे जीवन की वास्तविकताओं का सामना करने के लिए साहसी बनाना चाहती है।


प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

माँ ने कहा पानी में झाँककर
अपने चेहरे पर मत रीझना
आग रोटियों सेंकने के लिए है।
जलने के लिए नहीं।
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह
बंधन हैं स्त्री जीवन के
माँ ने कहा लड़की होना
पर लड़की जैसी दिखाई मत देना।

(क) माँ बिटिया को किस अवसर पर यह सीख दे रही है और क्यों ?
(ख) बिटिया को चेहरे पर रीझने के लिए मना क्यों किया जा रहा है?
(ग) आग के विषय में माँ के कथन का क्या अभिप्राय है?
(घ) माँ ने आभूषणों को स्त्री जीवन के बंधन क्यों कहा है?
(ङ) “लड़की जैसी दिखाई मत देना' कथन का आशय समझाइए।

उत्तर:
(क) माँ अपनी बिटिया को उसके विवाहोपरांत विदा करते समय यह सीख दे रही है क्योंकि वह अपनी पुत्री को आने वाली जिम्मेदारियों से अवगत कराते हुए उसे मानसिक रूप से तैयार कर रही है।

(ख) बिटिया को चेहरे पर रीझने के लिए इसलिए मना किया जा रहा है क्योंकि सौंदर्य पर रीझना भ्रम है। माँ बेटी को बताना चाहती है कि कोई भी तुम्हारे सौंदर्य के कारण तुम्हारे नखरे नहीं उठाएगा। तुम्हें जीवन की परिस्थितियों का सामना करना ही पड़ेगा।

(ग) माँ 'आग' के कथन के माध्यम से समझाना चाहती है कि ससुराल वाले कई बार लड़की को आग में जला डालते हैं। तुम सावधान रहना और कमजोर मत पड़ना। हर परिस्थिति का डटकर सामना करना। आग सिर्फ रोटियाँ सेंकने के लिए है; तुम इससे बचकर रहना।

(घ) माँ ने आभूषणों को स्त्री जीवन के बंधन इसलिए कहा है क्योंकि स्त्रियों आभूषणों की चमक-दमक से प्रभावित  होकर अपना अस्तित्व ही भूल जाती हैं और इन्हें पाने की लालसा में अत्याचार सहती रहती हैं।

(ङ) लड़की जैसी दिखाई मत देना' कथन का आशय है कि माँ अपनी पुत्री को अबला व कमज़ोर न बनने की सीख दे रही है। लड़की के समान गुण रखने के बावजूद व्यवहार में कमज़ोरी नहीं दिखाने की सीख माँ देती है।


प्रश्न 3.
निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

माँ ने कहा पानी में झाँककर
अपने चेहरे पर मत रीझना
आग रोटियाँ सेंकने के लिए है
जलने के लिए नहीं ।
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह
बंधन हैं स्त्री जीवन के ।

(क) माँ ने बेटी को चेहरे पर रीझने के लिए मना क्यों किया है?
(ख) “आग रोटियाँ सेंकने के लिए है, जलने के लिए नहीं' आशय समझाइए।
(ग) स्त्री जीवन के बंधन किन्हें कहा है और क्यों?

उत्तर:
(क) माँ ने बेटी को चेहरे पर रीझने के लिए मना इसलिए किया है, क्योंकि अपने ही सौंदर्य पर मोहित होकर उसका आत्मबल कमज़ोर पड़ सकता है और सौंदर्य से संबंधित प्रशंसनीय शब्द उसको प्रशंसा के जाल में भ्रमित कर सकते हैं।

(ख) 'आग रोटियाँ सेंकने के लिए है, जलने के लिए नहीं- इस पंक्ति द्वारा माँ पुत्री को एक ओर सामाजिक स्थितियों से अवगत करना चाहती है, दूसरी ओर वह उसे नारी शोषण के प्रति सजग करना चाहती है। वह उसे समझाना चाहती है कि चाहे कैसी भी विषम परिस्थिति आए, वह उसका डटकर मुकाबला करे। कमज़ोर पड़कर न तो आत्मदाह करे और न दूसरों के द्वारा किया गया अत्याचार ही सहन करे। स्वयं को सशक्त बनाने एवं हर स्थिति का मुकाबला करने की सीख माँ देना चाहती है।

(ग) वस्त्रों और आभूषणों को स्त्री जीवन के बंधन कहा है। इनका आकर्षण किसी भी स्त्री को भ्रमित करने वाला है। गहनों और कपड़ों के बदले अपनी स्वतंत्रता न खोना और उनकी चकाचौंध में स्वयं को बंधन में न बाँधने की सीख कवि ने दी है क्योंकि ये सभी नारी शोषण के मुख्य आधार हैं।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित काव्य-पंक्तियाँ पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

लड़की अभी सयानी नहीं थी।
अभी इतनी भोली सरल थी ।
कि उसे सुख का आभास तो होता था।
लेकिन दुख बाँचना नहीं आता था
पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की।

(क) कवि क्यों कहता है कि लड़की सयानी नहीं थी।
(ख) 'दुख बाँचना नहीं आता था' से क्या अभिप्राय है?
(ग) 'धुँधले प्रकाश की पाठिका' से कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर:
(क) लड़की भोली और सरल थी। उसे दुनिया के छल-प्रपंचों की जानकारी नहीं थी। माँ की स्नेहपूर्ण छत्र-छाया में रहकर, परिवार से हटकर वह लोगों के कटु व्यवहार से अपरिचित थी। दुनियादारी का उसे बोध न था इसलिए कवि ने कहा कि लड़की अभी सयानी नहीं थी।

(ख) 'दुःख बाँचना नहीं आता था' का अभिप्राय यह है कि लड़की जीवन की आनेवाली जिम्मेदारियों और कष्टों से भली-भांति परिचित नहीं थी। स्नेहपूर्ण भावों को तो वह समझती थी, परंतु छल-छद्मों से अपरिचित थी। माँ के हृदय में यह भय था कि उसकी बेटी ससुराल में विकट स्थितियों का समाना कैसे कर पाएगी।

(ग) 'धुँधले प्रकाश की पाठिका' से कवि यह कहना चाहता है कि लड़की को उसके आने वाले वैवाहिक जीवन का एक धुंधला-सा अहसास था, परंतु वह उस जीवन की सभी बातों से अपरिचित थी। उसे केवल आने वाले सुख का अहसास था। वास्तविकता से वह अनभिज्ञ थी। ससुराल उसके लिए सुखमय कल्पना के समान थी। उसका अपरिपक्व व्यक्तित्व किसी के भी मनोभावों को समझने में सक्षम नहीं था।


Post a Comment

0Comments

If you have any doubts, Please let me know

Post a Comment (0)