संगतकार (पठित काव्यांश)

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संगतकार (पठित काव्यांश)






काव्यांश पर आधारित प्रश्न


प्रश्न 1. निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-.             2015


गायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल में
खो चुका होता है।
या अपने की सरगम को लाँघकर
चला जाता है भटकता हुआ एक अनहद में
तब संगतकार ही स्थायी को सँभाले रहता है।
जैसे समेटता हो मुख्य गायक को पीछे छूटा हुआ सामान
जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन
जब वह नौसिखिया था ।

(क) भटके स्वर को संगतकार कब सँभालता है और मुख्य गायक पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?
(ख) यहाँ नौसिखिया किसे कहा गया है और किस संदर्भ में?
(ग) संगतकार की भूमिका का महत्त्व कब सामने आता है?

उत्तर:
(क) जब गायक गीत गाते हुए सुरों की जटिल तानों और भाव-विभोर होकर सुरों की गहराइयों में खो जाता है तथा सरगम को लाँघता हुआ उसका ऊँचा स्वर दिव्य आनंद की अनुभूति करने लगता है। तब संगतकार स्थायी को सँभालते हुए श्रोताओं को संगीत से जोड़ने का काम करता है और मुख्य गायक को तब यह याद आता है कि वह भी एक समय नौसिखिया था और इतना महान न था।

(ख) यहाँ नौसिखिया मुख्य गायक को कहा गया है। जब वह सुरों की दुनिया में खो जाता है और संगीत के आनंद में लिप्त होकर स्वार्गिक आनंद की अनुभूति करने लगता है तब संगतकार ही उसके सुर में सुर मिलाकर उसे मूल स्वर से जोड़ता है और उसे याद दिलाता है कि वह भी कभी नया सीखने वाला था।

(ग) संगतकार की भूमिका का महत्त्व तब सामने आता है, जब वह मुख्य गायक के स्वर में स्वर मिलाकर उसके सुरों को सँभालता है। जब ऊँचा गाते समय मुख्य गायक का सुर भटकने लगता है, तब संगतकार अपना मधिम सुर मिलाकर मुख्य गायक को सहारा देता है। उसके ऊँचे सुर में खो जाने पर संगतकार ही स्थायी को सँभाले रखता हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

तारसप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला
प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आवाज़ से राख जैसा कुछ गिरता हुआ।
तभी मुख्य गायक को ढाँढस बँधाता
कहीं से चला आता है संगतकार का स्वर ।।

(क) “राख जैसा' किसे कहा गया है और क्यों ?
(ख) 'तारसप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ'- का भाव स्पष्ट कीजिए।
(ग) “उसका गला' में उसका किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?

उत्तर:
(क) 'राख जैसा' मुख्य गायक के 'बुझते हुए स्वर’ को कहा गया है क्योंकि तारसप्तक में ऊँचे स्वर में जब गायक गाता है तब उसका सुर उखड़ने लगता है तथा वह राख की तरह बुझता हुआ प्रतीत होता है।

(ख) कवि 'मंगलेश डबराल' की कविता 'संगतकार' की इस पंक्ति का भाव है कि जब गायक तारसप्तक के ऊँचे सुर में गाता है जब सरगम गाते-गाते उसकी आवाज़ बैठने लगती है। स्वर का चढ़ाव अत्यधिक ऊपर पहुँच जाने से उसका स्वर बिखरता नज़र आता है।

(ग) 'उसका गला' में उसका शब्द ‘मुख्य’ ‘गायक' के लिए प्रयुक्त हुआ है।

प्रश्न 3,
निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती
वह आवाज़ सुंदर कमज़ोर काँपती हुई थी
यह मुख्य गायक का छोटा भाई हैं।
या उसका शिष्य ।
या पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई रिश्तेदार
मुख्य गायक की गरज में,
वह अपनी गूंज मिलाता आया है प्राचीन काल से।

(क) उपर्युक्त पंक्तियों में किस प्राचीन परंपरा की ओर संकेत किया गया है। वर्तमान में यह परंपरा किस रूप में मिलती है?
(ख) किसी भी क्षेत्र में मुख्य व्यक्ति की भूमिका कब सार्थक होती है और क्यों ?
(ग) मुख्य गायक का साथ देने वाला कौन हो सकता है?

उत्तर:
(क) उपर्युक्त पंक्तियों में उस प्राचीन परंपरा की ओर संकेत किया गया है, जिसमें मुख्य गायक ऊँचे स्वर में गाता है तो उसका भाई, रिश्तेदार या शिष्य उसके सुर में सुर मिलाकर उसे सहारा देते हैं। साथ रहकर और साथ निभाकर वह भी उस कला को सीखना चाहता है। वह मुख्य गायक की गरजती हुई आवाज़ में अपनी गूंज मिलाकर उसे सहारा देता है।

(ख) किसी भी क्षेत्र में मुख्य व्यक्ति की भूमिका तब सार्थक होती है, जब उसकी प्रतिभा, लगन और महत्वाकांक्षा को समर्थन देने वाले लोग उसके साथ होते हैं क्योंकि हर सफल व्यक्ति की सफलता में अनेक लोगों का योगदान होता है, जैसे कि एक गायक बिना संगतकार के सुरों की ऊँचाइयों को छूने में असमर्थ रहता है।

(ग) मुख्य गायक का साथ देने वाला संगतकार उसका भाई, शिष्य या दूर का रिश्तेदार कोई भी हो सकता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

कभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ
यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है।
और यह कि फिर से गाया जा सकता है।
गाया जा चुका राग ।
और उसकी आवाज़ में जो हिचक साफ़ सुनाई देती है।
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है।
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।

(क) साथ कौन देता है और किसका?
(ख) 'यों ही' में निहित अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
(ग) आवाज़ की हिचक को विफलता क्यों नहीं कहा जा सकता?
(घ) कविता में ‘मनुष्यता' का अभिप्राय क्या है?
(ड) संसार में इस प्रकार की ‘मनुष्यता' की क्या उपयोगिता है?

उत्तर:
(क) साथ संगतकार देता है। वह मुख्य गायक का साथ देता है।

(ख) 'यों ही’ का अर्थ यहाँ संगतकार द्वारा मुख्य गायक का साथ देने से है। यह साथ वह केवल मुख्य गायक को मान-सम्मान देने व उसे अकेलेपन का अहसास से बचाने के लिए यों ही दे देता है। इसमें उसका कोई स्वार्थ नहीं होता।

(ग) आवाज़ की हिचक को विफलता इसलिए नहीं कहा जा सकता क्योंकि वह सिर्फ इसलिए हिचकता है, ताकि मुख्य गायक का मान-सम्मान व पहचान बनी रहे । उसका उद्देश्य उसके सुर को सँभालना है, न कि उससे आगे निकल जाना।

(घ) कविता में 'मनुष्यता' का अभिप्राय संगतकार द्वारा किया गया त्याग व निःस्वार्थ साथ देकर मुख्य गायक को सफल बनाने में योगदान देने से है।

(ङ) इस प्रकार की निःस्वार्थ ‘मनुष्यता' के माध्यम से ही अनेक लोग जीवन में सफलता की सीढ़ी चढ़ते हैं। अपने लक्ष्य की प्राप्ति करते हैं। अनेक लोगों के निःस्वार्थ सहयोग, परोपकार के कारण ही कुछ लोग प्रसिद्ध व सफलता पाते हैं।


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  1. Natik shiksha book padaiya ncert class 10

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