नेताजी का चश्मा (पठित गद्यांश)
गद्यांश पर आधारित प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-ज़िदगी सब कुछ होम कर देने वालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है। दुखी हो गए। पंद्रह दिन बाद फिर उसी कस्बे से गुज़रे । कस्बे में घुसने से पहले ही खयाल आया कि कस्बे की हदयस्थली में सुभाष की प्रतिमा अवश्य ही प्रतिष्ठापित होगी, लेकिन सुभाष की आँखों पर चश्मा नहीं होगा।... क्योंकि मास्टर बनाना भूल गया।... और कैप्टन मर गया। सोचा, आज वहाँ रुकेंगे नहीं, पान भी नहीं खाएँगे, मूर्ति की तरफ़ देखेंगे भी नहीं, सीधे निकल जाएँगे। ड्राइवर से कह दिया, चौराहे पर रुकना नहीं, आज बहुत काम है, पान आगे कहीं खा लेंगे।
(क) हालदार साहब के दुखी होने का क्या कारण था?
(ख) गद्यांश में युवा पीढ़ी के लिए निहित सन्देश स्पष्ट कीजिए।
(ग) हालदार साहब ने ड्राइवर को क्या आदेश दिया था और क्यों?
उत्तर:
(क) हालदार साहब दुखी थे क्योंकि वह यह देख रहे थे कि आज लोगों के मन में देशभक्तों, शहीदों के प्रति सम्मान की भावना कम होती जा रही है। लोग स्वार्थी एवं मौकापरस्त होते जा रहे हैं। देशभक्ति की भावना प्रायः लुप्त होती जा रही है।
(ख) गद्यांंश में लेखक ने युवा पीढ़ी को यह संदेश दिया है कि वे देश के लिए अपना सर्वस्व लुटाने वाले, मर-मिट जाने वाले शहीदों के प्रति सम्मान की भावना बनाए रखें एवं स्वयं भी देश लिए अपना सर्वस्व समर्पित करने के लिए तत्पर रहे।
(ग) हालदार साहब ने ड्राइवर को यह कहकर चौराहे पर गाड़ी न रोकने का आदेश दिया कि आज उन्हें बहुत काम है और वे पान आगे खा लेंगे। जबकि वास्तविकता यह थी कि वे आज कस्बे के चौराहे पर रुकना नहीं चाहते थे क्योंकि वे जानते थे कि चौराहे पर बनी सुभाषचंद्र की मूर्ति पर चश्मा पहनाने वाला कैप्टन मर चुका है और आज उनकी मूर्ति बिना चश्मे की होगी जिसे वह देख नहीं पाएंगे।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
हालदार साहब को यह सब कुछ बड़ा विचित्र और कौतुकभरा लग रहा था। इन्हीं खयालों में खोए-खोए पान के पैसे चुकाकर, चमेवाले की देश-भक्ति के समक्ष नतमस्तक होते हुए यह जीप की तरफ़ चले, फिर रुके, पीछे मुड़े और पानवाले के पास जाकर पूछा, क्या कैप्टन चश्मेवाला नेताजी का साथी है? या आज़ाद हिंद फौज का भूतपूर्व सिपाही? पानवाला नया पान खा रहा था। पान पकड़े अपने हाथ को मुंह से डेढ़ इंच दूर रोककर उसने हालदार साहब को ध्यान से देखा, फिर अपनी लाल-काली बत्तीसी दिखाई और मुसकराकर- नहीं साब! वो लँगड़ा क्या जाएगा फौज़ में। पागल है पागल! वो देखो, वो आ रहा है। आप उसी से बात कर लो। फोटो-वोटो छपवा दो उसका कहीं।
(क) हालदार साहब किसके सामने नतमस्तक हो गए और कैप्टन के विषय में हालदार साहब क्या सोच रहे थे?
(ख) पानवाला कैप्टन का क्या कहकर मज़ाक उड़ाता था? उसका मज़ाक उड़ाना आपको कैसा लगता है?
(ग) उपरोक्त गद्यांश के पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर:
(क) हालदार साहब एक देशभक्त थे और देशभक्तों के प्रति सम्मान की भावना रखते थे। वे चश्मेयाले द्वारा नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रति सम्मान रखने की भावना एवं उसकी देशभक्ति को देखकर नतमस्तक हो गए। कैप्टन के बारे में हालदार साहब ने सोचा कि वह कोई लंबा-तगड़ा, हट्टा-कट्टा सैनिक होगा या फिर नेताजी की आज़ाद हिंद फौज का सिपाही रहा होगा।
(ख) कैप्टन के प्रति पानवाले की सोच बहुत ही संकीर्ण थी। वह उसे लंगड़ा तथा पागल कहकर मज़ाक उड़ाया करता था। जबकि कैप्टन शारीरिक रूप से अशक्त होते हुए भी देशभक्ति की भावना रखता था। वह सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति पर चश्मा लगाकर उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करता था। पानवाले द्वारा उसका मज़ाक उड़ाना उचित नहीं है। इससे पानवाले का अभद्र व्यवहार सामने आता है। हमें लगता है वह सभ्य नहीं है, जबकि कैप्टन के प्रति उसका व्यवहार सम्मान एवं सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए।
(ग) पाठ का नाम- नेताजी का चश्मा लेखक- स्वयं प्रकाश
प्रश्न 3.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ होम देने वालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है। दुखी हो गए। पंद्रह दिन बाद फिर उसी कस्बे से गुज़रे । कस्बे में घुसने से पहले ही खयाल आया कि कस्बे की हृदयस्थली में सुभाष की प्रतिमा अवश्य ही प्रतिष्ठापित होगी, लेकिन सुभाष की आँखों पर चश्मा नहीं होगा।... क्योंकि मास्टर बनाना भूल गया।... और कैप्टन मर गया। सोचा आज वहाँ रुकेंगे नहीं, पान भी नहीं खाएँगे, मूर्ति की तरफ देखेंगे भी नहीं, सीधे निकल जाएँगे। ड्राइवर से कह दिया, चौराहे पर रुकना नहीं, आज बहुत काम है, पान आगे कहीं खा लेंगे।
(क) बार-बार सोचने वाला कौन है? वह किस कौम के बारे में क्या सोच रहा है?
(ख) “अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है'- कथन का निहित भाव स्पष्ट कीजिए।
(ग) आज उस कस्बे में न रुकने और पान भी न खाने के पीछे क्या कारण था?
उत्तर:
(क) बार-बार सोचने वाले हालदार साहब थे। वे उस कौम के लोगों के बारे में सोच रहे थे, जिनके मन में आज शहीदों के प्रति सम्मान की भावना एवं देशभक्ति का गौरव समाप्त हो गया है। जो स्वार्थी हो गए हैं और अवसरवादिता के पक्षधर बनते जा रहे हैं।
(ख) अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है' - पंक्ति के द्वारा हालदार साहब उन लोगों के बारे में सोचकर दुखी हो रहे हैं, जिनमें देशभक्ति की भावना कम हो गई है। जो उन लोगों पर उपहास करते हैं जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन देश के लिए बलिदान कर दिया। ऐसे लोग स्वार्थ को अधिक महत्त्व देने लगे हैं और स्वार्थ के वशीभूत होकर अपनी संपूर्ण मर्यादा त्यागने के लिए तत्पर हैं। वे उन देशभक्तों को भूल गए हैं जिन्होंने देश की खातिर अपना घर-परिवार, जवानी, जिंदगी सब बलिदान कर दी थी।
(ग) हालदार साहब उस कस्बे में रुकना नहीं चाहते थे और पान भी नहीं खाना चाहते थे क्योंकि वे सोच रहे थे कि इस कस्बे के चौराहे पर सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा तो होगी, परंतु आज उस मूर्ति पर चश्मा नहीं होगा। क्योंकि मूर्ति बनाने वाला मास्टर सुभाष चंद्र बोस का चश्मा बनाना भूल गया था और प्रतिदिन मूर्ति पर नया चश्मा बदलने वाला कैप्टन मर गया था।
प्रश्न 4.
नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
लेकिन आदत से मजबूर आँखें चौराहा आते ही मूर्ति की तरफ़ उठ गईं। कुछ ऐसा देखा कि चीखे, रोको! जीप स्पीड में थी, ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारे। रास्ता चलते लोग देखने लगे । जीप रुकते-न-रुकते हालदार साहब जीप से कूदकर तेज़-तेज़ कदमों से मूर्ति की तरफ लपके और उसके ठीक सामने जाकर अटेंशन में खड़े हो गए। मूर्ति की आँखों पर सरकंडे से बना छोटा-सा चश्मा रखा हुआ था, जैसा बच्चे बना लेते हैं। हालदार साहब भावुक हैं। इतनी-सी बात पर उनकी आँखें भर आई।
(क) हालदार साहब किस आदत से मज़बूर थे? वे क्यों चीखे?
(ख) “इतनी-सी बात पर' से क्या अभिप्राय था? हालदार साहब की आँखें क्यों भर आई?
(ग) मूर्ति के प्रति हालदार के भावनात्मक लगाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(क) हालदार साहब की आदत थी कि जब भी चौराहा आता उनकी निगाहें नेता जी की मूर्ति की ओर उठ जाती क्योंकि उनके मन में देशभक्तों के प्रति सम्मान की भावना थी जो नेताजी की मूर्ति को देखकर प्रबल हो उठती थीं। इस कारण वह नेताजी की मूर्ति को निहारते। वह जीप को रोकने के लिए चीखे।
(ख) सुभाषचंद्र जी की मूर्ति पर चश्मा देखकर हालदार साहब ठीक मूर्ति के सामने जाकर खड़े हो गए। मूर्ति की आँखों पर सरकंडे का छोटा-सा चश्मा था, जैसे बच्चे बना लेते हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखों में आँसू इसलिए आ गए क्योंकि उन्हें एहसास हुआ कि आने वाली पीढ़ी में भी देशभक्ति की भावना है।
(ग) हालदार साहब जब भी काम के सिलसिले में कस्बे से गुजरते तो संगमरमर की बनी नेताजी की मूर्ति को देखते। पत्थर की मूर्ति पर वास्तविक चश्मे को देखकर उनके चेहरे पर मुसकान फैल जाती। कैप्टन की मृत्यु के बाद भी कस्बे के चौराहे से जाते समय उनकी आँखें अनायास नेता जी की मूर्ति की ओर उठ जाती हैं।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
अगली बार भी मूर्ति की आँखों पर चश्मा नहीं था। हालदार साहब ने पान खाया और धीरे-से पान वाले से पूछा- क्यों भाई, क्या बात है? आज तुम्हारे नेता जी की आँखों पर चश्मा नहीं है? पान वाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर धोती के सिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला- साहब! कैप्टन मर गया। और कुछ नहीं पूछ पाए हालदार साहब। कुछ पल चुपचाप खड़े रहे, फिर पान के पैसे चुका कर जीप में आ बैठे और रवाना हो गए।
(क) मूर्ति किसकी थी? उसकी आँखों पर चश्मा क्यों नहीं था?
(ख) पान वाला उदास क्यों हो गया?
(ग) हालदार साहब और पान वाले के स्वभाव में क्या समानता दिखाई पड़ती है?
उत्तर:
(क) मूर्ति नेताजी सुभाषचंद्र बोस की थी। उसकी आँखों पर चश्मा इसलिए नहीं था क्योंकि शिल्पकार बनाना भूल गया था।
(ख) पानवाला इसलिए उदास था क्योंकि नेता जी की आँखों पर चश्मा लगाने वाले कैप्टन की मृत्यु हो गई थी।
(ग) पानवाला व हालदार दोनों ही कैप्टन की मृत्यु पर भावुक हो उठे। उनकी आँखों में आँसू आ गये। दोनों ही सहृदय व संवेदनशील थे।
Very very thanks sir
ReplyDeleteOp
ReplyDeleteIt helped me so much
ReplyDeletethere are are some words mistakes...
ReplyDeleteplz.. look at it.
Sir kya written summary mil skta h
ReplyDeleteThanks! I am grateful
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