Important Questions CBSE Class 10 Hindi A - सूरदास पद | सूरदास के पद (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)
सूरदास के पद (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)
प्रश्न 1.
‘तेल की गागर' के दृष्टांत के माध्यम से कवि क्या भाव प्रकट करना चाहता है।
उत्तर:
‘तेल की गागर' के दृष्टांत के माध्यम से कवि यह प्रकट करना चाहते हैं कि तेल की गागर जल में रहकर भी उससे निर्लिप्त रहती है, उस पर जल-बूंदों का कोई प्रभाव नहीं होता। उसी प्रकार कृष्ण का सामीप्य पाकर भी उद्धव प्रेम के आकर्षण तथा वियोग की पीड़ा को नहीं समझ पाए।
प्रश्न 2.
गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए। 2014
उत्तर:
गोपियों द्वारा उद्धव को व्यंग्य में भाग्यवान कहा गया है। भाग्यवान कहने में वक्रोक्ति अलंकार का यहाँ प्रयोग किया गया है, जिसमें कहा कुछ जाता है और वास्तविक अर्थ कुछ और होता है। गोपियाँ उद्धव को भाग्यवान कहकर प्रशंसा करती हुई प्रतीत होती हैं, परंतु वास्तव में वे उन्हें भाग्यहीन कह रही हैं। इसका कारण है कि उद्धव श्रीकृष्ण के सान्निध्य में रहकर भी उनके असीम प्रेम से वंचित हैं। वे प्रेम-सागर में रहकर भी प्रेम के बंधन में न तो बँध पाए और न प्रेम की गहराई से परिचित ही हो पाए। यह स्थिति उद्धव के लिए वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण ही कही जाएगी।
प्रश्न 3.
‘जागत सोबत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह जकरी।' इस पंक्ति द्वारा गोपियों की किस मनःस्थिति का वर्णन किया गया है?
उत्तर:
‘जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह जकरी' - इस पंक्ति में सूरदास जी ने श्रीकृष्ण के प्रेम में अनुरक्त गोपियों की मनः स्थिति का वर्णन किया है। वे श्रीकृष्ण के प्रेम में इस प्रकार डूबी हुई हैं कि दिन-रात, सोते-जागते, यहाँ तक कि स्वप्न में भी श्रीकृष्ण के नाम की रट लगाए रहती हैं। वे श्रीकृष्ण को मन, कर्म और वचन से अपने हृदय में बसाए हुए हैं। उन्हें श्रीकृष्ण के बिना संसार सूना लगता है। वास्तव में इस पंक्ति में गोपियों के एकनिष्ठ प्रेम की अभिव्यक्ति हुई हैं।
प्रश्न 4.
गोपियाँ योग संदेश को कैसे लोगों के लिए उपयुक्त मानती हैं?
उत्तर:
गोपियाँ योग-संदेश के लिए उन लोगों को उपयुक्त मानती हैं जिनके मन चकरी की तरह अस्थिर हैं, चित्त चंचल हैं, हमेशा भटकते रहते हैं तथा जिनका श्रीकृष्ण के प्रति स्नेह-बंधन अटूट नहीं है। गोपियों तो स्वयं पहले से ही श्रीकृष्ण-प्रेम के प्रति एकाग्रचित्त हैं। उनके मन न तो चंचल हैं और न भ्रमित हैं। भ्रमित और अस्थिर लोगों को ही योग की शिक्षा की आवश्यकता पड़ती है।
प्रश्न 5.
उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है? 2013
उत्तर:
उद्धव के व्यवहार की तुलना कमल के पत्ते और तेल लगी गागर से की है। उद्धव का व्यवहार उस कमल के पत्ते के समान है जो जल में उत्पन्न होने पर भी जल के प्रभाव से रहित है। उनका व्यवहार उस तेल लगी गागर के समान है जो जल में होने पर भी, व जल की बूंद का स्पर्श पाकर भी उसके प्रभाव से रहित रहती है। वैसे ही उद्धव कृष्ण के साथ रहते हुए भी उनके प्रेम और अनुराग की भावना से कोसों दूर हैं।
प्रश्न 6.
‘सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यों करुई ककरी'- पंक्ति में गोपियों के कैसे मनोभाव दर्शाए गए हैं? 2012
उत्तर:
‘सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यों करुई ककरी' – पंक्ति में गोपियाँ योग के प्रति अपने मनोभाव प्रकट कर रही हैं। वह सोते-जागते, स्वप्न में, दिन-रात सदैव श्रीकृष्ण का ही स्मरण करती रहती हैं। ऐसे में उद्धव द्वारा दिया गया योग का संदेश उन्हें कड़वी ककड़ी के समान प्रतीत होता है, जिसे कोई खाना नहीं चाहता और न ही जिसके प्रति किसी की रूचि होती है।
प्रश्न 7.
गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं?
उत्तर:
गोपियाँ निम्न उदाहरणों द्वारा उद्धव को उलाहने देती हैं-
वे उद्धव को नीरस स्वभाव का मानती हैं। अतः उनकी बातों को कड़वी ककड़ी के समान अग्राह्य बताकर उलाहना देती हैं। उन पर श्रीकृष्ण के प्रेम का असर दिखाई नहीं देता इसलिए गोपियाँ उद्धव को कमल के पत्ते के समान अलिप्त एवं तेल के लगी गगरी के समान चिकना अर्थात् प्रेम के प्रभाव से रहित कहकर उलाहना देती हैं। उन्हें ‘बड़भागी' कहकर उलाहना देती हैं। प्रेम की नदी में पैर न डुबोने की बात कहकर उन्हें प्रेम से रहित, निष्ठुर कहकर उलाहना देती हैं।
प्रश्न 8.
दूसरों को नीति की सीख देने वाले कृष्ण स्वयं अनीति का आचरण करने लगे। गोपियों ने ऐसा क्यों कहा है?
उत्तर:
दूसरों को नीति की सीख देने वाले श्रीकृष्ण स्वयं अनीति पर चलने लगे। ऐसा गोपियों ने इसलिए कहा है। क्योंकि श्रीकृष्ण ही उन्हें प्रेम की महत्ता बताकर प्रेम अपनाने के लिए प्रेरित करते थे। प्रेम की सार्थकता को पुष्ट करते हुए वे स्वयं भी प्रेम में मग्न रहते थे। लेकिन अब वही श्रीकृष्ण प्रेम के आदर्श रूप को छोड़कर ज्ञान एवं योग के संरक्षक बन गए हैं। उन्होंने गोपियों के लिए प्रेम को छोड़कर ज्ञान और योग का संदेश भेजा है। दूसरों को नीति सिखाने वाले स्वयं अनीति के रास्ते पर चलने लगे हैं।
प्रश्न 9.
गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं?
उत्तर:
गोपियाँ जब उद्धव द्वारा श्रीकृष्ण के भेजे गए ज्ञान एवं योग के संदेश को सुनती हैं, तो उन्हें लगता है कि मथुरा पहुँचकर उनका हृदय परिवर्तित हो गया है। वे सरल हृदय के न रहकर कठोर राजनीतिज्ञ बन गए हैं एवं राजनीति की चालें चलने लगे हैं। तभी तो उन्होंने ज्ञान एवं योग का संदेश उनके लिए भेजा है। वे राजधर्म का पालन करने के स्थान पर अनीतिपूर्ण व्यवहार करने लगे हैं। अब उन्हें उनके प्रेम की ज़रा भी परवाह नहीं रही है। इसलिए गोपियाँ श्रीकृष्ण से अपना मन वापिस लेने की बात कह रही हैं।
प्रश्न 10.
उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया? 2011
उत्तर:
गोपियों को श्रीकृष्ण पर यह पूर्ण विश्वास था कि वे एक-न-एक दिन ब्रज अवश्य लौटेंगे, किंतु श्रीकृष्ण ने स्वयं न आकर उद्धव के साथ योग-संदेश भेजा। उस योग संदेश को प्राप्त कर गोपियाँ बहुत अधिक विरहाकुल हो गई और वे विरहाग्नि में और अधिक दग्ध हो गई। इस योग संदेश ने उनकी विरहाग्नि में घी का काम किया। कृष्ण के आने की आशा को समाप्त कर विरह को इस तरह बढ़ाया, जिस तरह घी अग्नि को और अधिक प्रज्ज्वलित करता है।
प्रश्न 11.
गोपियों ने कृष्ण के प्रति अपने प्रेमभाव की गहनता को किस प्रकार प्रकट किया है? सूरदास-रचित पदों के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गोपियों ने श्रीकृष्ण के प्रति अपने प्रेमभाव की गहनता को प्रकट करने के लिए स्वयं को हारिल पक्षी के समान बताया है और श्री कृष्ण के प्रेम को हारिल की लकड़ी के समान बताया है जिसे वे दृढ़ता से पकड़े हुए हैं। वे मन, कर्म और वचन से श्री कृष्ण को अपने हृदय में धारण किए हुए हैं। वे श्रीकृष्ण के प्रेम में उस तरह से बँधी हुई हैं, जिस तरह गुड़ से चीटियाँ चिपटी रहती हैं। श्री कृष्ण के प्रति अगाध प्रेम के कारण ही वे विरह व्यथा को सहन कर रही हैं। इस प्रकार गोपियों ने श्री कृष्ण के प्रति अपनी प्रेम की अनन्यता एवं गहनता को पुष्ट किया है।
प्रश्न 12.
सूरदास द्वारा रचित पदों के आधार पर गोपियों के वाक्-चातुर्य की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
गोपियों का श्री कृष्ण के प्रति एकनिष्ठ प्रेम है। श्रीकृष्ण के परम मित्र उद्धव उन्हें ज्ञान और योग का संदेश देते हैं। गोपियाँ अपने वाक्-चातुर्य से उन्हें परास्त कर देती हैं। उनके वाक्-चातुर्य की कुछ विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
(i) सरलता- गोपियों का हृदय सरल है और वे अपने सरल हृदय से योग का खंडन करती हुई श्रीकृष्ण के प्रति अपना अनन्य प्रेम प्रकट करती है।
(ii) सहजता और स्पष्टता- गोपियाँ बहुत ही सहज एवं स्पष्ट शब्दों में उद्धव के द्वारा दिए गए योग संदेश को कड़वी ककड़ी तथा रोग की भांति बताती हैं।
(iii) तार्किकता- गोपियाँ तर्को द्वारा योग का खंडन कर प्रेम के महत्त्व को स्पष्ट करती हैं।
(iv) व्यंग्यात्मकता- गोपियों को उद्धव द्वारा दिए गए योग संदेश पर उद्धव को ‘बड़भागी' कहकर उन पर व्यंग्य करती हैं। यहाँ तक कि वे श्रीकृष्ण को भी अपने व्यंग्य का आधार बनाती हैं।
उद्धब
ReplyDeletemadarchod
Deletehttps://vibrantnotes.blogspot.com
DeleteThanks for providing very much related to this chapter
Delete👍
ReplyDeletethanks
ReplyDeleteOp
ReplyDeleteOp
ReplyDeletethankyou sir.
ReplyDeleteThanks sir for providing such information for free
ReplyDeleteThank u so much sir😍
ReplyDeleteIts really helpful Thank u again💝
Thank you❤ 😘
DeleteThank you sir
ReplyDeleteAns bahut chote h 😂😂😂😂
ReplyDeletebilkul tumhare dimag ki trah
DeletePhuck मादरचोद
DeleteOp
ReplyDeleteHhhhh
ReplyDeleteNoice sir
ReplyDeleteMoj kerdi
Delete😄😄 esi liya kahata hu thoda english bhi padh lo
Deletethanks sir
ReplyDeleteSir bahut aache answers hai
ReplyDeleteSir aap pgl ho
ReplyDeleteQ khule am apni uda rahe ho.....................Sabko pata h aap pagal ....joh hotah wahi bolta h
Deleteyou are the best sir your fan and beloved student sadhik
ReplyDeletePreparing for tomorrow's exam sadhik? :)
DeleteThank you
DeleteHello sir
ReplyDeleteYoo
DeleteDhanyavaad
ReplyDeleteSir most repeated question dal dijiye please........
ReplyDeleteWowowowoqoaoaooaoaoaoaaaaa
ReplyDelete🔥🔥🔥🔥🔥
ReplyDeletesir aap dora pagal toh nhi ho lakin dusre ko lgta h ki aap pagal nhi ho
ReplyDeletesir sorry aisa bolne ke liye lakin ek btt h mai apko pagal nhi bolo
Chup ba
DeleteUttar Dene me koi problem nhi hai per ek do questions hi samajh nhi aata ?
ReplyDeleteThanks sir
ReplyDeleteThanks sir
ReplyDeleteIs this pyq question here..
ReplyDeleteSir question no.6 aur questions no. 3 samajh nahi aya
ReplyDeleteBadiya h ye
ReplyDeleteChutia
ReplyDeleteOp sir
ReplyDeleteThank
ReplyDeleteSir Jay Shree Ram 🙏🙏
ReplyDeletehi
ReplyDeleteThankyou sir ❤️ it's helpful for me a lot
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