उत्साह और अट नही रही है (पठित काव्यांश)
काव्यांश पर आधारित प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
बादल, गरजो!
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
ललित ललित, काले घुंघराले,
बाल कल्पना के-से पाले,
विद्युत-छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले!
वज्र छिपा, नूतन कविता
फिर भर दो-
बादल, गरजो!
(क) कवि बादल से क्या प्रार्थना कर रहा है? बादल को किसके समान बताया गया है?
(ख) बादल के हृदय में ‘विद्युत-छवि' क्यों है? उसको ‘नवजीवन वाले' क्यों कहा गया है?
(ग) आशय स्पष्ट कीजिए-‘वज्र छिपा, नूतन कविता फिर भर दो।'
उत्तर:
(क) कवि बादल को गरजने के लिए प्रार्थना कर रहा है क्योंकि कवि बादलों की गर्जना के माध्यम से समाज में क्रांति एवं उत्साह की भावना का संचार कर परिवर्तन लाना चाहता है। कवि ने बादल को बच्चों की कल्पना के समान बताया है। जिस तरह बाल-कल्पनाएँ प्रतिपल बदलती रहती हैं उसी तरह से बादल का सौंदर्य भी निरंतर परिवर्तित होता रहता है।
(ख) बादल के हृदय को ‘विद्युत-छवि' इसलिए कहा है क्योंकि बादलों के भीतर बिजली के रूप में अपार क्षमता और शक्ति विद्यमान है जो विद्युत-छवि क्रांति, ओजस्विता एवं जनचेतना का प्रतीक है। कवि ने बादलों को 'नवजीवन वाले इसलिए कहा है क्योंकि बादल की गर्जन का क्रांतिकारी रूप नई चेतना और जागृति से भर देता है। उनमें नव-जीवन और नई-दिशा प्रदान करने की क्षमता है।
(ग) “वज्र छिपा, नूतन कविता फिर भर दो" पंक्ति के माध्यम से कवि बादलों को वज्र के समान कठोर, शक्तिशाली एवं क्रांति की चेतना उत्पन्न करने वाला मानता है। कवि बादलों के माध्यम से न केवल समाज में परिवर्तन लाना चाहता है, अपितु साहित्य के क्षेत्र में भी नवीनता एवं परिवर्तन लाना चाहता है। उसमें सामाजिक चेतना जागरूकता एवं आधुनिकता का समावेश करना चाहता है।
jai ho guruji
ReplyDeleteAny more questions
ReplyDeleteSolve this much 1st
DeleteMera exam me me nibandh kaise like batiste please
ReplyDelete