बादल राग (पठित काव्यांश)

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बादल राग (पठित काव्यांश)






निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.

तिरती हैं समीर सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया
जगळे दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया
यह तेरी रण-तरी
भरी आकांक्षाओं से
धन्, भेरी-गर्जन से सजग सुप्त अंकुर
उर में पृथ्वी के, आशावों से
नवजीवन की ऊँचा कर सिर,
तक रहे हैं, ऐ विप्लव के बादल

प्रश्न
(क) कवि किसका आहवान करता हैं क्यों?
(ख) यह तेरी रण-तरी भरी आकांक्षाओं से ' का भाशय स्पष्ट कीजिए।
(ग) अस्थिर सुख पर दुख की छाया-पंक्ति का अर्थ बताइए।
(घ) पृथ्वी में सोए हुए अंकुरों पर किसका क्या प्रभाव पड़ता हैं?

उत्तर-
(क) कवि बादल का आहवान करता है क्योंकि वह उसे क्रांति का प्रतीक मानता है। बादल बरसने से आम जनता को राहत मिलती है। तथा बिजली गिरने से विशिष्ट वर्ग खत्म होता है।

(ख) इस पंक्ति का आशय यह है कि जिस प्रकार युद्ध के लिए प्रयोग की जाने वाली नाव विभिन्न हथियारों से सज्जित होती है उसी प्रकार बादलों की युद्धरूपी नाव में जन साधारण की इच्छाएँ या मनोवांछित वस्तुएँ भरी हैं जो बादलों के बरसने से पूरी होंगी।

(ग) इस पंक्ति का अर्थ यह है कि जिस प्रकार वायु अस्थिर है, बादल स्थायी है, उसी प्रकार मानव जीवन में सुख अस्थिर होते हैं तथा दुख स्थायी होते हैं।

(घ) पृथ्वी में सोए हुए अंकुरों पर बादलों की गर्जना का प्रभाव पड़ता है। गर्जना सुनकर वे नया जीवन पाने की आशा रो सिर ऊँचा करके प्रसन्न होने लगते हैं।

प्रश्न 2.

फिर-फिर
बार-बार गर्जन
वर्षण है मूसलधार
हृदय थाम लेता संसार
सुन-सुन घोर वज़-हुंकार।
अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर
क्षत-वानं हतं अचल-शरीर
गगन पश/ स्पद्धा धीर।
हैंसते हैं छोटे पौधे लघुभार
अस्य अमर
हिल-हिल,
येल-खिल
हाथ हिलाते
तुझे बुलाते
विप्लव-व से छोटे ही हैं शोभा पाते। 

प्रश्न
(क) संसार के भयभीत होने का क्या कारण हैं.
(ख) क्रांति की गर्जना पर कौन है?
(ग) गगन-स्पर्शी स्पद्धा-धीर- कौन है?
(घ) लाभार शस्य पार जिनके प्रतीक हैं। वे बादलों का स्वागत किस प्रकार करते हैं?

उत्तर=
(क) बादल भयंकर मूसलाधार बारिश करते हैं तथा वज्र के समान कठोर गर्जना करते हैं। इस भीषण गर्जना को सुनकर प्रलय की आशंका से संसार भराभौत हो जाता है।

(ख) कांति की गर्जना से निम्न वर्ग के लोग हैंसते हैं क्योंकि इस क्रांति से उन्हें कोई नुकसान नहीं होता, अपितु उनका शोषण समाप्त हो जाता है। उन्हें उनका खोया अधिकार मिल जाता है।

(ग) गगन-स्पर्शी स्पद्धा धीर वे पूँजीपति लोग हैं जो अत्यधिक धन कमाना चाहते हैं। वे संसार के अमीरों में अपना नाम दर्ज कराने केनलिए होड़ लगाए रहते हैं।

(घ) लघुभार वाले छोटे-छोटे पौधे किसान-मजदूर वर्ग के प्रतीक हैं। वे झूम-झूमकर खुश होते हैं तथा हाथ हिला-हिलाकार बादलों का स्वागत करते हैं।

प्रश्न 3. 

अट्टालिका नहीं है ?
आंतक भवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लव-प्लवन,
क्षुद्र प्रफुल्ल जलजं से
सदा छलकता नीर
रोग-शोक में भी हसता है।
शैशव का सुकुमार शरीर

रुद्ध कोष हैं सुब्ध तोष ।
अंग अग सो लिपटे भी
आतंक अंक पर काँप रहे हैं।
धनी वज्र गर्जन से बादल
त्रस्त नयन मुख ढाँप रहे हैं। 

प्रश्न
(क) पंक और अट्टालिका किसके प्रतीक है?
(ख) शैशव का सुकुमार शरीर किसमें हँसता रहता हैं।
(ग) धनिक वर्ग के लोग किससे भयभीत हैं वे भयभीत होने पर क्या कर रहे हैं?
(घ) कवि ने भय को कैसे वर्णित किया है?

उत्तर-
(क) 'पक आम आदमी का प्रतीक है तथा अट्टालिका शोषक पूँजीपतियों का प्रतीक है।

(ख) शैशव का सुकुमार शरीर रोग व शोक में भी हँसता रहता है। दूसरे शब्दों में, निम्न वर्ग कष्ट में भी प्रसन्न रहता है।

(ग) फूलोगांतो भावी हैं। वे अपान पिलयों कागदमें लोहुएहैं तथा भायरोअन आ व मैं को बैंक रहे हैं।

(घ) कवि ने बादलों की गर्जना से धनिकों की राखी जिंदगी में खलल दिखाया है। वे सुख के क्षणों में भी भय से काँप रहे हैं। इस प्रकार भय का चित्रण सटीक व सजीव है।

प्रश्न 4.

रुद्ध कोष है क्षुब्ध तोष
अंगना-अग से लिपट भी
आतंक अंक पर कॉप रहे हैं।
धनी वज़-गर्जन से बादल
त्रस्त नयन-मुख ढाँप रहे हैं।
जीर्ण बाहु है शीर्ण शरीर
तुझे बुलाता कृषक अधीर
ऐ विप्लव के वीर
चूस लिया हैं उसका सार
धनी वज़-गजन से बादल।
हे जीवन के पारावार

प्रश्न
(क) विप्लव के वीर” किसे कहा गया हैं उसका आहवान क्यों किया जा रहा हैं?
(ख) कवि ने किसकी दुर्दशा का वर्णन किया है?
(ग) भारतीय कृषक की दुर्दशा के बारे में बताइए।
(घ) जीवन के पारावार किसे कहा गया हैं तथा क्यों?

उत्तर-
(क) विप्लव के वीर बादल को कहा गया है। बादल क्रांति का प्रतीक है। क्रांति द्वारा विषमता दूर करने तथा किसानमजदूर वर्ग का जीवन खुशहाल बनाने के लिए उसको बुलाया जा रहा है। किसान और मजदूर वर्ग की दुर्दशा का कारण पूँजीपतियों द्वारा उनका शोषण किया जाना है।

(ख) कवि ने भारतीय किसान की दुर्दशा का वर्णन किया है।

(ग) भारतीय कृषक पूरी तरह शोषित है। वह गरीब व बेसहारा है। शोषकों ने उससे जीवन की सारी सुविधाएँ छीन ली हैं। उसका शरीर हड्डयों का ढाँचा मात्र रह गया है।

(घ) जीवन के पारावार बादल को कहा गया है। बादल वर्षा करके जीवन को बनाए रखते हैं। फसल उत्पन्न होती है तथा पानी की कमी दूर होती है। इसके अलावा क्रांति से शोषण समाप्त होता है और जीवन खुशहाल बनता है।


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