कवितावली, लक्ष्मण मूर्च्छा और राम का विलाप (पठित काव्यांश)

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(क) कवितावली (पठित काव्यांश)






निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.

किसबी किसान-कुल, बनिक, भिखारी, भाट
चाकर चपला नट, चोर चार चेटकी।
पेटको पढ़त गुन गुढ़ चढ़त गिरी
अटत गहन गन अहन अखेटकी।।
ऊँचे-नीचे करम, धरम-अधरम करि
पेट ही की पर्चित बचत बेटा-बेटकी।
तुलसी बुझाई एक राम घनस्याम ही ते
आग बड़वागिते बड़ी हैं आग पेटकी।। 

प्रश्न
(क) पेट भरने के लिए लोग क्या क्या अनैतिक काय करते हैं?
(ख) कवि ने समाज के किन किन लोगों का वर्णन किया है? उनकी क्या परेशानी है ?
(ग) कवि के अनुसार, पेट की आग कौन बुझा सकता है? यह आग कैसे है?
(घ) उन कर्मों का उल्लेख कीजिए जिन्हें लोग पेट की आग बुझाने के लिए करते हैं?

उत्तर-
(क) पेट भरने के लिए लोग धर्म-अधर्म व ऊंचे-नीचे सभी प्रकार के कार्य करते है ? विवशता के कारण वे अपनी संतानों को भी बेच देते हैं।

(ख) कवि ने मज़दूर, किसान फुल, व्यापारी, भिखारी, भाट, नौकर, चौर, दूत, जादूगर आदि वर्गों का वर्णन किया है। वे भूख व गरीबी से परेशान हैं।

(ग) कवि के अनुसार, पेट की आग को रामरूपी घनश्याम ही बुझा सकते हैं। यह आग समुद्र की आग से भी भयंकर है।

(घ) कुछ लोग पेट की आग बुझाने के लिए पढ़ते हैं तो कुछ अनेक तरह की कलाएँ सीखते हैं। कोई पर्वत पर चढ़ता है तो कोई घने जंगल में शिकार के पीछे भागता है। इस तरह वे अनेक छोटे-बड़े काम करते हैं।

प्रश्न 2. 

खेती न किसान को, भिखारी को न भीख, बलि,
बनिक को बनिज, न चाकर को चाकरी
जीविका बिहीन लोग सीद्यमान सोच बस,
कहैं एक एकन सों' कहाँ जाई, का करी ?"
बेद पुरान कही लोक बिलोकित
सॉकरे स सबै पै, राम ! रावरें कृपा करी।
दारिद दसानन दबाई दुनी, दीनबंधु !
दुरित दहन देखि तुलसी हहा करी। 

प्रश्न
(क) कवि ने समाज के किन-किन वरों के बारे में बताया है।
(ख) लोग चिंतित क्यों हैं तथा वे क्या सोच रहे हैं।
(ग) वेदों वा पुराणों में क्या कहा गया है?
(घ) तुलसीदास ने दरिद्रता की तुलना किससे की है तथा क्यों?

उत्तर-
(क) कवि ने किसान, भिखारी, व्यापारी, नौकरी करने वाले आदि वर्गों के बारे में बताया है कि ये सब बेरोजगारी से परेशान हैं।

(ख) लोग बेरोजगारी से चिंतित हैं। वे सोच रहे हैं कि हम कहाँ जाएँ क्या करें?

(ग) वेदों और पुराणों में कहा गया है कि जब-जब संकट आता है तब-तब प्रभु राम सभी पर कृपा करते हैं तथा सबका कष्ट दूर करते हैं।

(घ) तुलसीदास ने दरिद्रता की तुलना रावण से की है। दरिद्रतारूपी रावण ने पूरी दुनिया को दबोच लिया है तथा इसके कारण पाप बढ़ गया है

प्रश्न 3. 

धूत कहो अवधूत कह रजपूतु कहीं जोलहा कहों कोऊ।
कहू की बेटीसों बेटा न व्याहब, काकी जाति बिगार न सौऊ।
तुलसी सरनाम गुलाम हैं राम को जाको रुच सो कहें कछु आओऊ।
मॉग के खेलो मसीत को सोइबो लेजोको एकुन दैबको दोऊ।।

प्रश्न
(क) कवि किन पर व्यंग्य करता है और क्यों ?
(ख) कवि अपने किस रुप पर गर्व करता है?
(ग) कवि समाज से क्या चाहता हैं?
(घ) कवे अपने जीवन निर्वाह किस प्रकार करना चाहता है?

उत्तर-
(क) कवि धर्म, जाति, संप्रदाय के नाम पर राजनीति करने वाले ठेकेदारों पर व्यंग्य करता है, क्योंकि समाज के इन ठेकेदारों के व्यवहार से ऊँच नीच, जाति-पाँति आदि के द्वारा समाज की सामाजिक समरसता कहीं खो गई है।

(ख) कवि स्वयं को रामभक्त कहने में गर्व का अनुभव करता है। वह स्वयं को उनका गुलाम कहता है तथा समाज की हँसी का उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

(ग) कवि रामाज से कहता है कि समाज के लोग उसके बारे में जो कुछ कहना चाहें, कह सकते हैं। कवि पर उनका कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वह किसी से कोई संबंध नहीं रखता।।

(घ) कवि भिक्षावृत्ति से अपना जीवनयापन करना चाहता है। वह मस्जिद में निश्चित होकर सोता है। उसे किसी से कुछ लेना देना नहीं है। वह अपने सभी कार्यो के लिए अपने आराध्य श्रीराम पर आश्रित है।



(ख) लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप



प्रश्न 1. 

तव प्रताप जर राखि प्रभु जहउँनाथ तुरंग।
अस कहि आयसु पाह पद बर्दि चलेउ हनुमत।
भरत बाड़ बल सील गुन् प्रभु पद प्रति अपार।।
मन महुँ जात सराहत पुनि-पुनि पवनकुमारः।। 

प्रश्न
(क) कवि तथा कविता का नाम बताइए
(ख) हनुमान ने भारत जी को क्या अश्वासन दिया।
(ग) हनुमान ने भरत सो वया कहा
(घ) हनुमान भरत की किस बात से प्रभावित हुए।
(ङ) हनुमान ने सकट में धैर्य नहीं खोया। वे वीर एवं धैर्यवान थे। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-
(क) कवि-तुलसीदास।
कविता-लक्ष्मण मूर्च्छा और राम का विलाप।

(ख) हनुमान जी ने भरत जी को यह आश्वासन दिया कि हे नाथ मैं आपका प्रताप हृदय में रखकर तुरंत संजीवनी बूटी लेकर लंका पहुँच जाऊँगा। आप निश्चित रहिए।"

(ग) हनुमान ने भरत से कहा कि "हे नाथ! मैं आपके प्रताप को मन में धारण करके तुरंत जाऊँगा।”

(घ) हनुमान भरत की रामभक्ति, शीतल स्वभाव व बाहुबल से प्रभावित हुए।

(ड) मेघनाथ का बाण लगने से लक्ष्मण घायल व मूर्चित हो गए थे। इससे श्रीराम सहित पूरी वानर सेना शोकाकुल होकर विलाप कर रही थी। ऐसे में हनुमान ने विलाप करने की जगह चैर्य बनाए रखा और संजीवनी लेने गए। इससे स्पष्ट होता है कि हनुमान वीर एवं धैर्यवान थे।

प्रश्न 2. 

उहाँ राम लछिमनहि निहारी। बोले वचन मनुज अनुसार।।
अप्ध राति गङ्ग कवि नहिं आयउ/ राम उठाड़ अनुज उर लायउ।।
सकडू न दुखित देखि मोहि काऊ! बाधु सदा तव मृदुल सुभाऊ।।
सो अनुराग कहाँ मन भाई । उठन सुनि मम बच बिकलाई।।
जों जनउँ बन बंधु बिलोह। पिता बचन मनऊँ नहिं ओह।। 

प्रश्न
(क) रात अधिक होते देख राम ने क्या किया?
(ख) राम ने लक्ष्मण की किन-किन विशेषताओं को बताया
(ग) लक्ष्मण ने राम के लिए क्या क्या कष्ट सहे
(घ) सी अनुराग' कहकर राम कैसे अनुराग की दुलभता की ओर संकेत कर रहे है सोदाहरण लिखिए।

उत्तर-
(क) रात अधिक होते देख राम व्याकुल हो गए। उन्होंने लक्ष्मण को उठाकर अपने हृदय से लगा लिया।

(ख) राम ने लक्ष्मण की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई
i) वे राम को दुखी नहीं देख सकते थे।
ii) उनका स्वभाव कोमल था।
iii) उन्होंने माता-पिता को छोड़कर उनके लिए वन के कष्ट सहे।

(ग) लक्ष्मण ने राम के लिए अपने माता-पिता को ही नहीं, अयोध्या का सुख-वैभव त्याग दिया। वे वन में राम के साथ रहकर नाना प्रकार की मुसीबतें सहते रहे।

(घ) 'सो अनुराग' कहकर राम ने अपने और लक्ष्मण के बीच स्नेह की तरफ संकेत किया है। ऐसा प्रेम दुर्लभ होता है कि भाई के लिए दूसरा भाई अपने सब सुख त्याग देता है। राम भी लक्ष्मण की मूच्छी मात्र में व्याप्त हो जाते हैं।

प्रश्न 3.

सुन बित नारि भवन परिवारा। होहें जाहिं जग बारह बारा।।
अस बिचारि जिस जागहु ताता। मिलइ न जगत सहोदर भ्राता।।
जथा पंख बिनु खग अति दीना मान बिनु नि करिजर कर हीना।।
अस मम जिवन बंधु बिनु तोही। ज़ों जड़ दैव जिआयें मोही।।
जैहउँ अन्न वन मुहुँ लाई। नारि हेतु प्रिय भाड़ गवाई।।।
बरु अपभ्स राइते 1 माहीं। नारि हानि बिशेष छति नाहीं।।

प्रश्न
(क) काव्यांश के आधार पर राम के व्यक्तित्व पर टिप्पणी कीजिए।
(ख) राम ने भ्रातृ-प्रेम की तुलना में किनकी हीन माना है
(ग) राम को लक्ष्मण के बिना अपना जीवन कैसा लगता है
(घ) ' अवध कथन मुई लाई’ - कथन के पीछे निहित भवन पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर-
(क) इस काव्यांश में राम का आम आदमी वाला रूप दिखाई देता है। वे लक्ष्मण के प्रति स्नेह व प्रेमभाव को व्यक्त करते हैं तथा संसार के हर सुख से ज्यादा सगे भाई को महत्व देते हैं।

(ख) राम ने भ्रातृ प्रेम की तुलना में पुत्र धन, स्त्री, घर और परिवार सबको हीन माना है। उनके अनुसार, ये सभी चीज आती रहती हैं, परंतु सगा भाई बार-बार नहीं मिलता।

(ग) राम को लक्ष्मण के बिना अपना जीवन उतना ही हीन लगता है जितना पंख के बिना पक्षी, मणि के बिना साँप तथा सँड़ के बिना हाथी का जीवन हीन होता है।

(घ) इस कथन से श्रीराम का कर्तव्यबोध झलता हैं। वे अपनी जिम्मेदारी पर लक्ष्मण को अपने साथ लाए थे, परंतु वे अपना कर्तव्य पूरा न कर सके। अत ये अयोध्या में अपनी जवाबदेही से डरे हुए थे।

प्रश्न 4. 

अब अपलोकु सोकु सुत तोरा। सहहि निठुर कठोर उर मोरा।।
निज जननी के एक कुमारा । तात तासु तुम्ह प्रान अधारा।।।
सौंपेसि मोहि तुम्हहि गहि पानी। सब विधि सुखद परम हित जानी।।
उतरु काह दैहऊँ तेहि जाई। उठि किन मोहि सिखावहु भाई।।।
बहु विधि सोचत सोचि बुमोचन। स्त्रवत सलिल राजिव दल लोचन।।।
उमा एक अखंड रघुराई। नर गति भगत कृपालु देखाई।।
प्रभु प्रलाप सुनि कान् बिकल भए बानर निकर।
आइ गयउ हनुमान, जिमि करुना महं वीर रस।। 

प्रश्न
(क) व्याकुल श्रीराम अपना दुख कैसे प्रकट कर रहे हैं?
(ख) श्रीराम सुमित्रा माता का स्मरण करके क्यों दुखी हो उठते हैं?

उत्तर-
(क) व्याकुल श्रीराम आपना दुख प्रकट करते हुए कहते हैं कि वे कठोर हृदय से लक्ष्मण के वियोग व अपयश को सहन कर लेंगे, परंतु अयोध्या में सुमित्रा माता को क्या जवाब देंगे।

(ख) श्रीराम सुमित्रा माता के विषय में चिंतित हैं, क्योंकि उन्होंने राम को हर तरह से हितैषी मानकर लक्ष्मण को उन्हें सौंपा था। अतः वे उन्हें लक्ष्मण की मृत्यु का जवाब कैसे देंगे। वे लक्ष्मण से ही इसका जवाब पूछ रहे हैं।

प्रश्न 5.

हरषि राम भेटेउ हनुमान। अति कृतस्य प्रभु परम सुजाना ।।
तुरत बँद तब कीन्हि उ पाई। उठि बैठे लछिमन हरषाड़।।
हृदयाँ लाइ प्रभु भेटेउ भ्राता। हरघे सकल भालु कपि भ्राता।।
कपि पुनि बँद तहाँ पहुँचवा। जेहि बिधि तबहिं ताहि लह आवा।। 

प्रश्न
(क) हनुमान के आने पर राम ने क्या प्रतिक्रिया जताई?
(ख) लक्ष्मण की मूच्र्छा किस तरह टूटी?
(ग) किस घटना से वानर सेना प्रसन्न हुई।
(घ) जेहि विधि तबहिं ताहि लद्ध लावा। - पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-
(क) हनुमान के आने पर राम प्रसन्न हो गए तथा उन्हें गले से लगाया। उन्होंने हनुमान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।

(ख) सुषेण वैद्य ने संजीवनी बूटी से लक्ष्मण का उपचार किया। परिणामस्वरूप उनकी मूच्र्छा टूटी और लक्ष्मण हँसते हुए उठ बैठे।

(ग) लक्ष्मण के ठीक होने पर प्रभु राम ने उन्हें गले से लगा लिया। इस दृश्य को देखकर सभी बंदर, भालू व हनुमान प्रसन्न हो गए।

(घ) इसका अर्थ यह है कि हनुमान जिस तरीके से सुषेण वैद्य को उठाकर लाए थे, उसी प्रकार उन्हें उनके स्थान पर पहुँचा दिया।

प्रश्न 6.

यह बृतांत दसानन सुनेऊ/ अति बिषाद पुनि पुनि सिर धुनेऊ।।
व्याकुल कुंभकरन पहिं आवा। बिबिध जतन करि ताहि जगावा ।।
जागा निसिचर देखि कैसा मानहुँ कालु देह धरि बैंस ।।।
कुंभकरन बूझा कहु भाई । काहे तव मुख रहे सुखाई।। 

प्रश्न
(क) रावण ने कॉन-सा वृत्तांत सुना? उसकी क्या प्रतिक्रिया थी?
(ख) रावण कहाँ गया तथा क्या किया?
(ग) कुंभकर्ण को कैसा लग रहा था?
(घ) कुंभकर्ण ने रावण से क्या पूछा?

उत्तर-
(क) रावण ने लक्ष्मण की मूच्छीं टूटने का समाचार सुना। यह सुनकर वह अत्यंत दुखी हो गया तथा सिर पीटने लगा।

(ख) रावण कुंभकरण के पास गया तथा अनेक तरीकों से उसे नींद से जगाया।

(ग) कुंभकरण जागने के बाद ऐसा लग रहा था मानो यमराज शरीर धारण करके बैठा हो।

(घ) कुंभकरण ने रावण से पूछा, 'कहो भाई, तुम्हारे मुख क्यों सूख रहे हैं? अर्थात तुम्हें क्या कष्ट है?"

प्रश्न 7.

कथा कही सब तेहिं अभिमानी। कहीं प्रकार सीता हरि आनी।।
तात कपिन्ह सब निसिचर मारे। महा महा जोधा संघारे महा।।
दुर्मुख सुररुपु मनुज अहारी। भट अतिकाय अकंपन भारी।।
अपर महोदर आदिक बीरा। परे समर महि सब रनधीरा।।
सुनि दसकंधर बचन तब कुंभकरन बिलखान।।
जगदबा हरि अनि अब सठ चाहत कल्यान।।

प्रश्न
(क) किसने किसको क्या कथा सुनाई थी?
(ख) रावण की सेना के कौन-कौन से वीर मारे गए
(ग) हनुमान के बारे में रावण क्या बताता हैं।
(घ) रावण की बातों पर कुंभकरण ने क्या प्रतिक्रिया जताई?

उत्तर-
(क) रावण ने कुंभकरण से सीता-हरण से लेकर अब तक के युद्ध और उसमें मारे गए अपनी सेना के वीरों के बारे में बताया।

(ख) रावण की सेना के दुर्मुख, अतिकाय, अकंपन, महोदर, नरांतक आदि वीर मारे गए।

(ग) हनुमान ने अनेक बड़े-बड़े वीरों को मारकर रावण की सेना को गहरी क्षति पहुँचाई थी। रावण कुंभकरण को हनुमान की वीरता अपनी विवशता और पराजय की आशंका के बारे में बताता है।

(घ) रावण की बात सुनकर कुंभकरण बिलखने लगा। उसने कहा, 'हे मूर्ख, जगत-जननी का हरण करके तू कल्याण की बात सोचता है? अब तेरा भला नहीं हो सकता।"



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