भारत माता (पठित गद्यांश)
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
1. अकसर गल में एक जलसे में दूसरे जलसे में जाता होता, और इस तरह चक्कर काटता रहता होता था, तो इन जलसों में मैं अपने सुनने वालों से अपने इस हिंदुस्तान या भारत की चर्चा करता। भारत एक संस्त शब्द है और इस जाति के परंपरागत संस्थापक ये नाम से निकला हुआ है। मैं शहरों में ऐसा बहुत कम करता, क्योंकि वहाँ के सुनने वाले कुछ ज्यादा सयाने थे और उन्हें दूसरे ही किस्म के गिज़ा की जरूरत थी। लेकिन किसानों से जिनका नजरिया महदूद या था, मैं इस बड़े देश की चर्चा करता, जिसकी आज़ादी के लिए हम लोग कोशिश कर रहे थे और बताता कि किस तरह देश का एक हिस्सा दूसरे से जुदा होते हुए भी हिंदुस्तान एक था। मैं उन मसलों का जिक्र करता, उत्तर से लेकर दविखन तक उऔर पूरब से लेकर पछिम तक किसानों के लिए यक साँ थे, और स्वराज्य का भी जिक्र करता, जो थोड़े लोगों के लिए नहीं बल्कि सभी के फायदे के लिए हो सकता धा।'
प्रश्न
1. 'भारत' शब्द के बारे में लेखक क्या बताता हैं।
2. लेखक ने शहरी लोगों को ज्यादा सयाना क्यों कहा है।
3. लेखक को किसानों को हिंदुस्तान की एकता बताना क्यों जरूरी लगता था?
उत्तर-
1, 'भारत' शब्द के बारे में लेखक बताता है कि यह संस्कृत का शब्द है और यह इस जाति के परंपरागत संस्थापक' के नाम से निकला हुआ है।
2. लेखक ने शहरी लोगों को ज्यादा सयाना कहा है, क्योंकि शहरी लोगों की रुचि अलग किस्म की होती है। वे दूसरी बातों में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं।"
3. लेखक को हिंदुस्तान की एकता बताता बहुत जरूरी लगता था, क्योंकि गाँव के लोग हिंदुस्तान का अर्थ नहीं समझते थे। लेखक उन्हें बताता कि सारा देश एक है। सारे देश के किसानों की समस्याएँ एक जैसी हैं। सभी लोग स्वराज्य के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
2. मैं उत्तर से पश्चिम की खैबर के दर्रो से लेकर धुर दक्खिन में कन्याकुमारी तक की अपनी यात्रा का हाल बताता और यह कहता कि सभी जगह किसान मुझसे एक से सवाल करते, क्योंकि उनकी तकलीफें एक सी थीं-यानी गरीबों कर्जदारों, पूँजीपतियों के शिकंजे, ज़मींदार, महाजन, कहे लगान और सूद पुलिस के जुल्म, और ये सभी बातें गुथी हुई थीं, उस उड़े के साथ, जिसे एक विदेशी सरकार ने हम पर लाद रखा था और इनसे छुटकारा भी सभी को हासिल करना था। मैंने इस बात की कोशिश की कि लोग सारे हिंदुस्तान के बारे में सोचे और कुरु हद तक इस बड़ी दुनिया के बारे में भी, जिसके हम एक जुज़ हैं। मैं अपनी बातचीत में चीन, स्पेन, अबीसिनिया मध्य यूरोप, मिस्र और पच्छिमी एशिया में होनेवाले कशमकशों का जिक्र भी ले आता।
प्रश्न
1. लेखक ने कहाँ-कहों की यात्रा की? क्यों?
2. लेखक किससे छुटकारा पाने की बात कर रहा है।
3. लेखक किसानों के दृष्टिकोण में किस प्रकार का परिवर्तन लाना चाहता है।
उत्तर-
1. लेखक ने उत्तर-पच्छिम में खबर के दरें से लेकर धुर दक्षिण में कन्याकुमारी तक की यात्रा की थी। वह सारे देश के लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित कर रहा था।
2. लेखक विदेशी शासन से छुटकारा पाने की बात करता है जिसके कारण सभी का शोषण हो रहा है।
3. लेखक किसानों के दृष्टिकोण में व्यापकता लाना चाहता है। वह कोशिश करता है कि लोग अपने देश के बारे में सोचें। वह उन्हें पूरे विश्च से भी जाना चाहता है। अर्थात् क्षेत्रीयता की भावना त्यागकर पूरे राष्ट्र के बारे में अपनी सोच विकसित करे।
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
3. मैं उन्हें सोवियत यूनियन में होने वाली अधज़ भरी तब्दीलियों का हाल भी बताता और कहता कि अमरीका ने की तरक्की की है। यह काम आसान न था, लेकिन जैसा मैंने समझ रखा था, वैसा मुश्किल भी न था। इसकी वजह यह थी कि हमारे पुराने महाकाव्य ने और पुराणों की कथा कहानियों ने, जिन्हें वे खूब जानते थे, उन्हें इस देश की कल्पना करा दी थी, और हमेशा कुछ लोग ऐसे मिल जाते थे, जिन्होंने हमारे वाले अहे तीर्थों की यात्रा कर रखी थी, जो हिंदुस्तान के चारों कोनों पर हैं। या हमें पुराने सिपाही मिल ||ते, जिन्होंने पिछली थी जंग में या और धार्यों के सिलसिले में विदेशों में नौकरियों की थीं। सन् तीस के बाद जो आर्थिक मंदी पैदा हुई थी, उसकी वजह से दूसरे मुल्कों के बारे में मेरे हवाले उनकी समझ में आ जाते थे।
प्रश्न
1. लेखक किन-किन देशों की चर्चा करता था? इसका उद्देश्य क्या था?
2. लेखक के लिए कौन-सा काम मुश्किल लगता था जो आसान हो गया?
3. विदेशों के बारे में श्रोता लेखक की बातें किस प्रकार समझ लेते थे।
उत्तर
1. लेखक किसानों को सोवियत यूनियन में होने वाले आश्चर्यजनक परिवर्तनों तथा अमरीका की तरक्की के बारे में बताता था। इसका उद्देश्य था स्वतंत्रता के उपरांत देश का भरपूर विकास करना।
2. लेखक को ग्रामीणों को देश-विदेश की व्यापक जानकारी देना मुश्किल लग रहा था, क्योंकि इनका दायरा सीमित था। यह कार्य भासान इसलिए हो गया, क्योंकि ग्रामीणों ने महाकाव्यों व पुराणों में अनेक किस्से-कहानी सुन रखे थे।
3, विदेशों के बारे में श्रोता लेखक की बातों को निम्न कारणों से समझ लेते थे-
(क) विदेशों की बड़ी लड़ाई में भारतीयों ने भाग लिया था।
(ख) विदेश में नौकरी करके आए भारतीय वहाँ के विषय में बताते हैं।
(ग) तीस की आर्थिक मंदी से किसान परिचित थे।
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
4. कभी ऐसा भी होता कि जब मैं किसी जलसे में पहुँचता, तो मेरा स्वागत 'भारत माता की जय!' इस नारे से जोर के साथ किया जाता। मैं लोगों से अचानक पूछ बैठता कि इस नारे से उनका क्या मतलब है? यह भारत माता कौन है, जिसकी वे जय चाहते हैं। मेरे सवाल से उन्हें कुतूहल और ताज्जुब होता और कुछ जवाब न बन पड़ने पर वे एक-दूसरे की तरफ या मेरी तरफ देखने लग जाते। मैं सवाल करता ही रहता। आखिर एक हट्टे-कट्टे जाट ने, जो अनगिनत पीढ़ियों से किसानी करता आया था, जवाब दिया कि भारत माता से उनका मतलब धरती से है। कौन-सी धरती? खास उनके गाँव की धरती या जिले की या सूबे की या सारे हिंदुस्तान की धरती से उनका मतलब है। इस तरह सवाल-जवाब चलते रहते, यहाँ तक कि वे ऊबकर मुझसे कहने लगते कि मैं ही बताऊँ।
प्रश्न
1. नेहरू का स्वागत केसे और क्यों होता था?
2. लेखक ग्रामीणों से क्या प्रश्न पूछता था? उसका क्या प्रभाव होता?
3. लगा लखक से क्यों ऊबने लगते थे?
उत्तर-
1. जब नेहरू किसी सभा में पहुँचते, तो उनका स्वागत 'भारत माता की जय!' के नारे लगाकर किया जाता था। लोग उन्हें स्वतंत्रता सेनानी मानते थे।
2. लेखक ग्रामीणों से पूछता कि भारत माता की जय!' नारे से उनका क्या मतलब है? यह भारत माता कौन है जिसकी वे जय चाहते हैं? लेखक के प्रश्न से ग्रामीणों को हैरानी होती और वे एक दूसरे की तरफ या लेखक की तरफ देखने लग जाते। उनसे कोई जवाब नहीं बनता।
3. लेखक किसानों से 'भारत माता' का अर्थ पूछते थे। जवाब मिलने पर फिर कई तरह के प्रश्न पूछते थे; जैसेकौन-सी धरती? उनके गाँव की धरती या जिले की या सूबे की या सारे हिंदुस्तान की धरती? इस तरह के सवालों से ग्रामीण ऊबने लगते थे।
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
5. मैं इसकी कोशिश करता और बताता कि हिंदुस्तान वह सब कुछ है, जिसे उन्होंने समझ रखा है, लेकिन वह इससे भी बहुत ज्यादा है। हिंदुस्तान के नदी और पहाड़, जंगल और खेत, जो हमें अन्न देते हैं, ये सभी हमें अजीज हैं, लेकिन आखिरकार जिनकी गिनती है, वे हैं । हिंदुस्तान के लोग, उनके और मेरे जैसे लोग, जो इस सारे देश में फैले हुए हैं। भारत माता दरअसल यही करोड़ों लोग हैं, और 'भारत माता की जय!' से मतलब हुआ इन लोगों की जय का। मैं उनसे कहता कि तुम इस भारत माता के अंश हो, एक तरह से तुम ही भारत माता हो, और जैसे जैसे ये विचार उनके मन में बैठते, उनकी आँखों में चमक आ जाती, इस तरह, मानो उन्होंने कोई बड़ी खोज कर ली हो।
प्रश्न
1. लेखक ने हिंदुस्तान का विस्तृत रूप लोगों को किस तरह समझाया?
2. किसानों की आँखों में चमक आने का क्या कारण है?
3. ये सभी हमें अजीज हैं। आपको अपने देश में क्या क्या अजीज लगता है?
उत्तर-
1. लेखक लोगों को बताता था कि जितना कुछ वे सभी जानते हैं, वह सब हिंदुस्तान है। लेकिन इसके अलावा हिंदुस्तान बहुत विस्तृत है। जिसमें यहाँ की नदियाँ, पहाड़, झरने, जंगल, खेत सब कुछ आ जाते हैं। देश के नदी, पहाड़, खेत और हिंदुस्तान के लोग भी भारत माता हैं। ये सारे देश में फैले हुए हैं।
2. जब लेखक किसानों को 'भारत माता की जय' नारे का अर्थ बताते हैं तो उन्हें इस बात का गर्व अनुभव होता है कि वे भी भारत माता के अंग हैं। यह सोचकर उनकी आँखों में चमक आ जाती है।
3. जिस प्रकार लेखक को हिंदुस्तान से असीम लगाव था, उसी प्रकार में भी अपने देश से अगाध प्यार करता हूँ। मैं यहाँ की नदियाँ, पेड़पहाड़, झरने, सागर, अन्न, खेतों से बहुत लगाव रखता हूँ। इन सबसे बढ़कर मैं यहाँ के लोगों से प्यार करता हूँ। मुझे ये सब अत्यंतअजीज़ हैं।
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