हे भूख मत मचल (पठित पद्यांश)
1. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
हे भूख' मत मचल
प्यास तड़प मत हे
हे नींद मत सता
क्रोध मचा मत उथल पुथल
है मोह' पाश अपने ढील
लोभु मत ललचा
मदमत कर मदहोश
ईष्य जला मत
ओ चराचर मत चूक अवसर
आई हूँ सदेश लेकर चन्नमल्लिकार्जुन का
प्रश्न
1. कवयित्री ने किन-किन को संबोधित किया है।
2. कवयित्री क्या प्रार्थना करती है तथा क्यों?
३. कवयित्री चराचर जगत् को क्या प्रेरणा देती है?
4. कवयित्री किसकी भक्त है? अपने आराध्य को प्राप्त करने का उसने क्या उपाय बताया है?
उत्तर -
1. कवयित्री ने भूख, प्यास, नींद, मोह, ईष्या, मद और चराचर को संबोधित किया है।
2. कवयित्री इंद्विय व भावों से प्रार्थना करती है कि वे उसे सांसारिक कष्ट न दें, क्योंकि इससे उसकी भक्ति बाधित होती है।
3, कवयित्री चराचर जगत् को प्रेरणा देती है कि वे इस अवसर को न चूकें तथा सांसारिक मोह को छोड़कर प्रभु की भक्ति करें। वह भगवान शिव का संदेश लेकर आई है।
4. कवयित्री चन्नमल्लिकार्जुन अर्थात् शिव की भक्त है। उसने आराध्य को प्राप्त करने का यह उपाय बताया है कि मनुष्य की अपनी इंद्रियों को वश में करने से आराध्य (शिव) की प्राप्ति की जा सकती है।
हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर (पठित पद्यांश)
2. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
हे मेरे जुही के फूल जैसे ईश्वर
मँगवाओ मुझसे भीख
और कुछ ऐसा करो।
कि भूल जाऊँ अपना घर पूरी तरह
झोली फैलाऊँ और न मिले भीख
कोई हाथ बढ़ाए कुछ देने को
तो वह गिर जाए नीचे
और यदि में झुकू उसे उठाने
तो कोई कुत्ता आ जाए
और उसे झपटकर छीन ले मुझसे।
प्रश्न
1. कवयित्री आराध्य से क्या प्रार्थना करती है?
2. अपने घर भूलने से क्या आशय है?
3, पहले भीख और फिर भोजन न मिलने की कामना क्यों की गई है?
4, ईश्वर को जूही के फूल की उपमा क्यों दी गई है।
उत्तर -
1. कवयित्री आराध्य से प्रार्थना करती है कि वह ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न करे जिससे संसार से उसका लगाव समाप्त हो जाए।
2. 'अपना घर भूलने से आशय है गृहस्थी के सांसारिक झंझट को भूलना, जिसे संसार को लोग सच मानने लगते हैं।
3. भीख तभी माँगी जा सकती है जब मनुष्य अपने अहभाद को नष्ट कर देता है और भोजन न मिलने पर मनुष्य वैराग्य की तरफ जाता है। इसलिए कवयित्री ने पहले भीख़ और फिर भोजन न मिलने की कामना की है।
4 ईश्वर को जूही के फूल की उपमा इरालिए दी गई है कि ईश्वर भी जूही के फूल के समान लोगों को आनंद देता है, उनका कल्याण करता है।
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