रुबाइयाँ (पठित काव्यांश)
निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
प्रश्न 1.
आंगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी
हाथों पे झुलाती हैं उसे गोद भरी
रह-रह के हवा में जो लोका देती हैं।
गूँज उठती हैं खिलखिलाते बच्चे की हँसी।
प्रश्न
(क) कवि ने चाँद का टुकड़ा' किसे कहा है और क्यों?
(ख) माँ के लिए कविता में किस शब्द का प्रयोग हुआ है और क्यों?
(ग) बच्चे की हसी का कारण क्या है? उसके गूंजने से क्या तात्पर्य है?
(घ) काव्यांश के भाव को अपने शब्दों में चित्रित कीजिए।
उत्तर =
(क) कवि ने चाँद का टुकड़ा माँ की गोद में खेल रहे बच्चे को कहा है क्योंकि वह चाँद के समान ही सुंदर है।
(ख) माँ के लिए कविता में गोद भरी' शब्द का प्रयोग है क्योंकि माँ की गोद में बच्चा होने के कारण उसकी गोद भरी हुई है।
(ग) बच्चे की हँसी का कारण है माँ द्वारा बच्चे को हवा में लोका दिया जाना या उसे खुश करने के लिए हवा में उछालना। उसके गूजने का तात्पर्य है-इससे बच्चा खुश होकर हँसता है और उसकी हँसी गूंजने लगती है।
(घ) काव्यांश का भाव यह है कि माँ अपने चाँद जैसी सुंदर संतान को गोद में लिए खड़ी है। वह उसे अपने हाथों पर झुलाती हुई हवा में उछाल देती है। इससे बच्चा खिलखिलाकर हँसने लगता है।
प्रश्न 2.
नहला के छलके छलके निर्मल जल से
उलझे हुए गैसुओं में कंघी
किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को
करके जब घुटनियों में ले के हैं पिन्हाती कपड़े।
प्रश्न
(क) माँ बच्चे को किस प्रकार नहलाती हैं।
(ख) माँ बच्चे की कंघी कैसे करती हैं?
(ग) बध्धा कब अपनी माँ को प्यार से देखता हैं?
(घ) बच्चा अपनी माँ को किस प्रकार देखता है?
उत्तर
(क) माँ बच्चे को स्वच्छ जल से नहलाती है। पानी के छलकने से बच्चा प्रसन्न होता है।
(ख) माँ बच्चे के उलझे हुए बालों में कंघी करती है।
(ग) जब म बच्चे को अपने घुटनों में लेकर कपड़े पहनाती है तब वह अपनी माँ को देखता है।
(घ) बच्चा अपनी माँ को बहुत ही प्यार से देखता है।
प्रश्न 3.
दीवाली की शाम घर पुते और सजे
चीनी के खिलौने जगमगाते लावे
वो रूपवती मुखड़े पै इक नम दमक
बच्चे के घरौदे में जलाती हैं दिए।
प्रश्न
(क) दीवाली पर लोग क्या करते हैं?
(ख) इस अवसर पर माँ बच्चे के लिए क्या लाती है?
(ग) माँ के चेहरे पर कैसा भाव आता हैं?
उत्तर =
(क) दीवाली के अवसर पर लोग घरों में रंग-रोगन करते हैं तथा उसे सजाते हैं।
(ख) इस अवसर पर माँ बच्चे के लिए चीनी के बने खिलौने लाती है।
(ग) जब मों बच्चे के घर में दिया जलाती है तो उसके सुंदर मुख पर दमक होती है।
प्रश्न 4.
आँगन में ठनक रहा है जिदयाय हैं।
बालक तो हुई चाँद में ललचाया है।
दर्पण उसे दे के कह रही है माँ
देख आईने में चाँद उतर आया है।
प्रश्न
(क) कौन ठुनक रहा है और जिदयाया है।
(ग) बाल - मनोविज्ञान के किस पक्ष का वर्णन हुआ है।
(ख) बच्चा किसको देखकर ललचाया है।
(घ) माँ अपने बेटे को किस तरह मनाती हैं?
उत्तर -
(क) बच्चा दुनक रहा है और जिदयाया हुआ है।
(ख) बच्चा चाँद को देखकर ललचाया है।
(ग) इसमें शायर ने बाल-मनोविज्ञान का सहज चित्रण किया है। बच्चे किसी भी बात या वस्तु पर जिद कर बैठते हैं तथा मचलने लगते हैं।
(घ) माँ बच्चे को दर्पण में चाँद का प्रतिबिंब दिखाकर उसे बहलाती है।
प्रश्न 5.
रक्षाबंदन की सुबह रस की पुतली
छायी है घटा गगन की हलकी हलकी
बिजली की तरह चमक रहे हैं लच्छे
भाई के है बाँधती चमकती राखी
प्रश्न
(क) रस की पुतली' कौन है? उसे यह संज्ञा क्यों दी गई हैं?
(ख) राखी के दिन कैसा मौसम है? बताइए।
(ग) 'बिजली की तरह चमक रहे हैं लच्छे।-पक्ति का आशय बताइए।
(घ) बहन किसके हाथों में कैसी राखी बाँधती है?
उत्तर -
(क) रस की पुतली' राखी बाँधने वाली बहन है। उसे यह संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि उसके मन में अपने भाई के प्रति अत्यधिक स्नेह है।।
(ख) राखी के दिन आकाश में हलके हलके काले बादल छाए हैं तथा बिजली भी चमक रही है।
(ग) इसका अर्थ यह है कि राखी में जो चमकदार लच्छे हैं, वे बिजली की तरह चमकते हैं।
(घ) बहन अपने भाई के हाथों में चमकती राखी बाँधती है।
(ख) गजल (पठित काव्यांश)
प्रश्न 1.
नौरस गुंचे पंखड़ियों की नाजुक गिरौं खोले हैं।
या उड़ जाने को रंगो-बू गुलशन में पर तोले हैं।
प्रश्न
(क) कवि ने किस ऋतु का वर्णन किया हैं?
(ख) पहली पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ग) 'नीरस 'विशेषण से क्या अभिप्राय हैं?
(घ) कलियाँ किस तैयारी में हैं?
उत्तर -
(क) कवि ने बसंत ऋतु का वर्णन किया है।
(ख) इसका अर्थ यह है कि बसंत ऋतु में कलियों में नया रस भरा होता है और वे अपनी पंखुड़ियों से कोमल बंधनों को खोल रही हैं।
(ग) इसका अर्थ है-नया रस। बसंत के मौसम में कलियों में नया रस भर जाता है।
(घ) कलियाँ फूल बनने की तैयारी में हैं। उनके खिलने से खुशबू चारों तरफ फैल जाएगी।
प्रश्न 2.
तारे आँखें झपकावे हैं जर्रा - जर्रा सोये हैं।
तुम भी सुनो हो यारो। शब में सन्नाटे कुछ बोले हैं।
प्रश्न
(क) रात के समय कैसा दूश्य हैं?
(ख) ज़र्रा ज़र्रा हैं में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(ग) शब में कौन बोलता हैं तथा कैसे?
(घ) कवि किसे संबोधित कर रहा है तथा क्यों?
उत्तर -
(क) रात के समय वातावरण शांत है। आकाश में तारे आँखें झपकाते हुए लगते हैं।
(ख) इसका अर्थ है-रात के समय सारी सृष्टि शांत हो जाती है। हर जगह सन्नाटा छा जाता है।
(ग) रात में सन्नाटा बोलता है। इस समय चुप्पी की आवाज सुनाई देती है।
(घ) कवि दोस्तों को संबोधित करता है और बताता है कि रात को खामोशी भी बोलती हुई लगती है।
प्रश्न 3.
हम हों या किस्मत हो हमारी दोनों को इक ही काम मिला
किस्मत हमको रो लेवे है हम किस्मत को रो ले हैं।
प्रश्न
(क) कवि किस-किसको समान बताता है?
(ख) 'किस्मत हमको रो ले है। अर्थ स्पष्ट करें।
(ग) कवि तथा किस्मत क्या कार्य करते हैं?
(घ) कवि ने मानव स्वभाव के बारे में किस सत्य का उल्लेख किया हैं?
उत्तर -
(क) कवि ने स्वयं तथा भाग्य को एक समान बताया है।
(ख) इसका अर्थ यह है कि कवि की बदहाली को देखकर किस्मत उसकी अकर्मण्यता पर झल्लाती है।
(ग) कवि अपनी दयनीय दशा के लिए भाग्य को दोषी ठहराता है तथा किस्मत उसकी अकर्मण्यता को देखकर झल्लाती है। दोनों एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराते हैं।
(घ) कवि ने अपने माध्यम से मानव स्वभाव के बारे में उस सत्य का उल्लेख किया है कि किसी भी प्रकार की अभावग्रस्तता होने पर वह किस्मत को ही दोषी ठहराता है।
प्रश्न 4.
जो मुझको बदनाम करे हैं काश वे इतना सोच सकें
मेरा परदा खोले हैं या अपना परदा खोले हैं।
प्रश्न
(क) निदा करने वाले दूसरों की निदा के साथ-साथ अपनी निदा स्वय कर जाते हैं, कैसे?
(ख) निदक किन्हें कहते हैं। वे किसे बदनाम करना चाहते हैं?
(ग) कवि कुछ लोगों को सचेत क्यों करना चाहता है?
(घ) 'मेरा परदा खोले हैं-आशय स्पष्ट करें।
उत्तर -
(क) निंदक किसी की बुराइयाँ जब दूसरों के सामने प्रस्तुत करते हैं तो उससे उनकी अपनी कमियाँ स्वयं प्रकट हो जाती हैं। इस प्रकार वे अपनी निंदा स्वयं कर जाते हैं।
(ख) निंदक वे लोग होते हैं जो अकारण दूसरों की कमियों को बिना सोचे समझे दूसरों के समक्ष प्रस्तुत कर देते हैं। ऐसे लोग कवि को बदनाम करना चाहते हैं।
(ग) कवि कुछ लोगों को इसलिए सचेत करना चाहता है क्योंकि जो लोग कवि को बदनाम करना चाहते हैं, उन्हें इतना समझना चाहिए कि इस कार्य से वे अपने रहस्य भी दूसरों को बता रहे हैं।
(घ) इसका अर्थ यह है कि कवि के विरोधी उसकी कमियों को समाज के सामने प्रस्तुत करते हैं ताकि उसकी बदनामी हो जाए।
प्रश्न 5.
ये कीमत भी अदा करे हैं हम बदुरुस्ती-ए-होशो-हवास
तेरा सौदा करने वाले दीवाना भी हो ली हैं।
प्रश्न
(क) हम बदुरुस्त-ए-होशो-हवास' का अर्थ बताइए।
(ख) कवि किसे संबोधित करता है?
(ग) सौदा करने से क्या अभिप्राय है?
(घ) कवि किसकी कीमत अदा करने की बात कहता है?
उत्तर -
(क) इसका अर्थ है-हम पूरे होशोहवास से। दूसरे शब्दों में हम पूरे विवेक से।
(ख) कवि प्रियतमा को संबोधित करता है।
(ग) इसका अर्थ है-किसी चीज को खरीदना। यहाँ यह प्रेम की कीमत अदा करने से संबंधित है।
(घ) कवि प्रेम की कीमत अदा करने की बात कहता है।
प्रश्न 6.
तेरे गम का पासे-अदब हैं कुछ दुनिया का खयाल भी हैं।
सबसे छिपा के दर्द के मारे चुपके चुपके रो ले हैं।
प्रश्न
(क) तेरे गम का पास-अदब हैं - भाव स्पष्ट कीजिए।
(ख) कवि को किसका ख्याल हैं, क्यों?
(ग) कवि चुपके-चुपके क्यों रोता है?
(घ) कवि की मनोदशा कैसी है?
उत्तर -
(क) इसका अर्थ यह है कि कवि के मन में अपने प्रिय की विरह-वेदना के प्रति पूर्ण सम्मान है।
(ख) कवि को सांसारिकता का ख्याल है क्योंकि वह सामाजिक प्राणी है और अपने प्रेम को बदनाम नहीं होने देना चाहता।
(ग) कवि अपने प्रेम को दुनिया के लिए मजाक या उपहास का विषय नहीं बनाना चाहता। इसी कारण वह चुपके-चुपके रो लेता है।
(घ) कवि प्रेम के विरह से पीड़ित है। उसे संसार की प्रवृत्ति से भी भय है। वह अपने वियोग को चुपचाप सहन करता है ताकि बदनाम न हो।
प्रश्न 7.
फितरत का कायम हैं तवाजुन आलमे हुस्नो इश्क में भी
उसको उतना ही पाते हैं खुद को जितना खो ले हैं।
प्रश्न
(क) कवि किस संतुलन की बात करता है?
(ख) आलमे-हुस्नो-इश्क का अर्थ बताइए।
(ग) प्रिय को कैसे पाया जा सकता है।
(घ) “खुद को खोने का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
(क) कवि प्रेम और सौंदर्य के लिए खोने और पाने में संतुलन की बात करता है।
(ख) इसका अर्थ है-प्रेम और सौंदर्य की दुनिया।
(ग) प्रिय को पाने का एकमात्र उपाय है-खुद को प्रेमी के प्रति समर्पित कर देना।
(घ) इराका अर्थ है-अहं भाव को छोड़कर प्रेमी के प्रति समर्पित होना।
प्रश्न 8.
आबो-ताब अशआर न पूछो तुम भी आँखें रक्खो हो
ये जगमग बैतों की दमक है या हम मोती रोले हैं।
प्रश्न
(क) कवि किसकी चमक की बात कर रहा हैं?
(ख) आँखें रक्खो हो का भाव स्पष्ट कीजिए।
(ग) जगमग बैंतों की चमक' का आशय बताइए।
(घ) 'या हम सोती रोले हैं का अर्थ बताइए।
उत्तर -
(क) कवि अपनी शायरी की चमक की बात कर रहा है।
(ख) इसका अर्थ है- विवेक से हर बात को समझना, मर्म को जानना।
(ग) इसका अर्थ है-शेरो-शायरी का आलंकारिक सौंदर्य।
(घ) कवि कहता है कि मेरी कविता में विरह की वेदना व्यक्त हुई है।
प्रश्न 9.
ऐसे में तू याद आए है अंजुमने मय में रिंदों को
रात गए गर्दै पै फ़रिश्ते बाबे गुनह जग खोले हैं।
प्रश्न
(क) प्रथम पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
(ख) 'तू' कौन हैं? उसके बारे में कवि क्या कहता हैं?
(ग) रात में फ़रिश्ते क्या करते हैं?
(घ) 'अंजुमने-मय में रिंदों को' से कवि क्या बताता हैं?
उत्तर -
(क) प्रथम पंक्ति का भाव यह है कि शायर अपनी प्रिया, प्रेमिका को बहुत ही सिद्दत से याद करता है। यह याद ठीक वैसी है जैसे शराबखाने में शराब को शराब याद आती है।
(ख) तू कवि की प्रेमिका है। वह उसे विरह के समय याद आती है।
(ग) रात के समय देवदूत आकाश में सारे संसार के पापों का अध्याय खोलते हैं।
(घ) इसमें कवि शराबखाने में शराबियों की दशा का वर्णन करता है। यहाँ उसे शराब की बहुत याद आती है।
प्रश्न 10.
सदके फिराक एजाज-सुखन के कैसे उड़ा ली ये आवाज
इन गलों के पदों में तो मीर' की गजलें बोले हैं।
प्रश्न
(क) फिराक किस पर कुर्बान हैं?
(ख) फिराक की शायरी किससे प्रभावित है।
(ग) कवि के प्रशंसकों ने क्या प्रतिक्रिया जताई।
(घ) 'मीर की गजलें बोले हैं का भाव समझाइए
उत्तर -
(क) फिराक अपनी शायरी पर कुर्बान हैं।
(ख) फिराक की शायरी प्रसिद्ध शायर मीर से प्रभावित है।
(ग) कवि के प्रशंसकों ने कहा कि उसने कविता की यह सुंदरता कहाँ से उड़ा ली।
(घ) 'मीर की गजलें बोले हैं का भाव यह है कि कवि फिराक गोरखपुरी की गजलों और सुप्रसिद्ध शायर 'मीर' की गजलों में पर्याप्त समानता है।
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