NCERT SOLUTIONS FOR CLASS-10 HINDI CHAPTER-4 EHI THAIYAN JHULANI HERANI HO RAMA | एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा (अभ्यास-प्रश्न)
एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा (अभ्यास-प्रश्न)
1 हमारी आजादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित समझे जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नहीं रहा है। इस कहानी में ऐसे लोगों के योगदान को लेखक ने किस प्रकार उभरा है?
प्रस्तुत कहानी में लेखक ने उपेक्षित समझे जाने वाले हमारे समाज के लोगों द्वारा आजादी की लड़ाई में योगदान पर प्रकाश डाला है। दुलारी एक गीत गाने वाली स्त्री है टुन्नू राष्ट्रीय आंदोलन और विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लेता है। दुलारी को अच्छी साड़ी पहनने का चाव होने के बावजूद भी फेकू सरदार द्वारा लाई गई साड़ी को विदेशी वस्तुओं का संग्रहकर उनकी होली जलाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को दे देती है। टुन्नू भी इन स्वतंत्रता सेनानियों का साथ देता है तथा इसी कारण अंग्रेज पुलिस द्वारा मारा जाता है।
2 कठोर हृदयी समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?
दुलारी एक गौनहारिन है। उसे अत्यंत कठोर हृदय स्त्री समझा जाता है। होली के अवसर पर टुन्नू द्वारा साड़ी लाने पर वह उसे डाँट देती है। तब टुन्नू उसे यह कहता है कि मन पर किसी का बस नहीं वह रूप या उम्र का कायल नहीं होता। यह सुनकर कठोर दिखने वाली दुलारी का हृदय पिघल जाता है। जब दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर मृत्यु का समाचार सुनती है तो उसकी आँखों से अश्रु धारा बहने लगती है। टुन्नू की मृत्यु पर गौनहारिन दुलारी का विचलित होना स्वाभाविक था।
3 कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन क्यों हुआ करता होगा? कुछ और परंपरागत लोक आयोजनों का उल्लेख कीजिए।
कजली लोक गायन की एक शैली है। इसे भादो मास के तीज के अवसर पर गाया जाता है। कजली दंगल में कजली गायकों के बीच प्रतियोगिता होती थी। यह आम जनता के मनोरंजन का साधन भी था। स्वतंत्रता आंदोलन के समय तो इन दंगलों के माध्यम से जनता में देशभक्ति की भावना का संचार किया जाता था। हरियाणा में 'रागनी प्रतियोगिता', 'सांग' भी लोकनाट्य प्रतियोगिता के उदाहरण हैं। 'आल्हा उत्सव' राजस्थान की लोक गायन कला है।
4 दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाली सामाजिक सांस्कृतिक दायरे से बाहर है, फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ निम्न है:
कुशल गायिका
दुलारी एक कुशल गायिका थी। हर व्यक्ति उसके सामने गीत गाने की हिम्मत नहीं रखता था। उसका स्वर मधुर एवं आकर्षक था।
कवयित्री
दुलारी एक कुशल गायिका तो थी। अपितु कवयित्री भी थी। वह तुरंत ऐसा पद तैयार कर देती थी कि सुनने वाले दंग रह जाते थे।
स्वाभिमानी
दुलारी को भले ही समाज उपेक्षा भाव से देखता था परंतु जब उसके स्वाभिमान की बात आती तो वह स्वयं साहस पूर्वक रक्षा करती थी।
5 दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहाँ और किस रूप में हुआ?
दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय तीज के अवसर पर हुआ। दुलारी खोजवाँ गाँव की ओर से प्रतिद्वंदी थी। तथा दूसरे पक्ष अथवा बजरडीहा वालों ने टुन्नू को अपना प्रतिद्वंद्वी बनाया था। इस प्रतियोगिता में टुन्नू से दुलारी का पहली बार परिचय हुआ था।
6 दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहाँ तक उचित था- "तैं सरबउला बोल जिन्नगी में कब देखले लोट?...!" दुलारी के इस आपेक्ष में आज के युवा वर्ग के लिए क्या संदेश छिपा है। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
दुलारी इस कथन के माध्यम से टुन्नू पर यह आपेक्ष लगाती है कि वह बढ़ चढ़कर बोलता है। उसके कथन में सत्यता नहीं है। इसी प्रसंग में आगे वह बगुला भगत होने का आपेक्ष भी लगाती है। वह आज के युवकों को बड़बोलापन त्यागकर गाँधी जैसा जीवन जीने के लिए कहती है। देश के लिए त्यागशील की भावना लाना अनिवार्य है।
7. भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?
दुलारी और टुन्नू ने अपने अपने तरीके से स्वाधीनता संग्राम में अपना योगदान दिया। दुलारी ने वस्त्रों की होली जलाने के लिए अपनी महँगी सारी दे दी। टुन्नू उस जुलूस में अपनी भागीदारी दिखा रहा था।
8. दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी। यह प्रेम दुलारी को देश प्रेम तक कैसे पहुँचाता है?
कहानी से पता चलता है कि टुन्नू और दुलारी के बीच आत्मिक प्रेम था। दुलारी के गायन और उसकी काव्यकला से टुन्नू प्रभावित था। दुलारी के मन में भी किसी एकांत कोने में टुन्नू ने अपना स्थान बना लिया था। टुन्नू द्वारा विदेशी वस्त्रों के स्थान पर खादी वस्त्र पहनना और देश के लिए मर मिटना दुलारी को भी देश प्रेम के बहाव में बहा ले जाता है। दुलारी स्वयं भी खादी की साड़ी पहनकर उसी स्थान पर जाने के लिए तत्पर हो जाती है जहाँ टुन्नू का कत्ल किया गया था। कहने का भाव यह है कि उनका महानत्याग ही दुलारी को देश प्रेम के मार्ग पर ले जाता है।
9. जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रों के ढेर में अधिकांश वस्त्र फटे पुराने थे परंतु दुलारी द्वारा विदेशी मिलों में बनी कोरी साड़ियाँ का फेंका जाना उसकी मानसिकता को दर्शाता है?
विदेशी वस्त्रों को चलाने वाले आंदोलनकारियों द्वारा फैलाई गई चादर पर लोग फटे पुराने वस्त्र ही फेंक रही थे। अच्छे वस्त्र उनमें बहुत कम थे किंतु दुलारी ने फेकू सरदार द्वारा लाई गई विदेशी साड़ी को आग के हवाले करने के लिए दे दी। इससे पता चलता है कि उसके मन में देश प्रेम की सच्ची भावना थी।
10. "मन पर किसी का बस नहीं; वह रूप या उम्र का कायल नहीं होता।" टुन्नू के इस कथन में उसका दुलारी के प्रति किशोर जनित प्रेम व्यक्त हुआ है परंतु उसके विवेक ने उसके प्रेम को किस दिशा की ओर मोड़ा?
निश्चय ही टुन्नू का यह कथन सच है कि "मन पर किसी का बस नहीं होता। वह रूप या उम्र का कायल नहीं होता।" वैसे भी टुन्नू का दुलारी के प्रति आत्मिक प्रेम था। उसने उसे देश प्रेम के मार्ग की ओर मोड़ दिया, जो स्वार्थहीन प्रेम का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। टुन्नू देश के लिए अपना बलिदान कर देता है जिससे दुलारे के मन में देश के प्रति सद्भावना जागती है। वह गांधी आश्रम में बनी साड़ी धारण करती है। कहने का भाव यह है कि दोनों का प्रेम देश प्रेम में बदल जाता है।
11. एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!' का प्रतीकार्थ समझाइए।
यह पंक्ति लोकगीत की प्रथम पंक्ति है। इसका शाब्दिक अर्थ है कि इसी स्थान पर मेरी नाक की लोंग खो गई है। इसका प्रतीक अत्यंत गंभीर है। नाक में पहने जाने वाला झुलनी नामक आभूषण सुहाग का प्रतीक है। दुलारी एक गौनहारिन है। वह आत्मिक स्तर पर टुन्नू से प्रेम करती थी। और उसी के नाम की झुलनी पहन रखी थी। जिस स्थान पर वह गीत गा रही थी उसी स्थान पर टुन्नू की हत्या की गई थी। इस पंक्ति का भाव यह हुआ कि इसी स्थान पर उसका पति खो गया है।
Good
ReplyDeleteVery nice
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