NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 8 हे भूख! मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर | हे भूख मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर (अभ्यास प्रश्न)

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NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 8 हे भूख! मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर | हे भूख मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर (अभ्यास प्रश्न)


हे भूख मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर (अभ्यास प्रश्न)







प्रश्न 1. लक्ष्य प्राप्ति में इन्द्रियाँ बाधक होती हैं- इसके संदर्भ में अपने तर्क दीजिए।

उपरोक्त कथन सही है कि लक्ष्य प्राप्ति में इन्द्रियाँ बाधक होती है इन्द्रियाँ हमें जकड़ लेती है। जैसे काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि। ये सब इन्द्रियाँ उत्पन्न करती है। हमारे शरीर में पाँच कर्मेंद्रियों और पाँच ज्ञानेंद्रियाँ एवं ग्यारहवाँ मन होता है। यदि हमें किसी लक्ष्य को प्राप्त करना है तो इन इंद्रियों को वश में करना अनिवार्य है। अन्यथा जब हमें यह अपनी और आकर्षित करती है तब हर आदमी अपने लक्ष्य को भूल जाता है।

प्रश्न 2. ओ चराचर! मत चूक अवसर-  इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

अक्क महादेवी जी ने अपने वचन में साधक को इंद्रियों को वश में करने पर बल देते हुए भगवान के प्रति समर्पण की भावना को दूर करने का संदेश दिया है। 'ओ चराचर! मत चूक अवसर' से अभिप्राय है कि जड़ व चेतन पदार्थों तुम मेरे अनुकंपा का अवसर हाथ से मत जाने दो अर्थात इंद्रियों को वश में करने में मेरी मदद करो। वह कहती है कि इंद्रियाँ अपने-अपने स्वभाव के अनुसार प्राप्ति के लिए बाध्य करेंगी परंतु उसे इन नश्वर सुखों के बदले ईश्वर के प्रति आकर्षित होने का अवसर नहीं चूकना चाहिए।

प्रश्न 3. ईश्वर के लिए किस दृष्टांत का प्रयोग किया गया है? ईश्वर और उसके साम्य का आधार बताइए।

यहाँ अक्क महादेवी ने ईश्वर को जूही का फूल कहा है। ईश्वर ऐसे फूल की भाँति है जो खिलकर अपनी महक हर जगह बिखेरता है तथा सभी को आनंदित करता है। ठीक उसी प्रकार प्रभु भी हर जगह विद्यमान है तथा हर व्यक्ति को अपना आभास करवाता है। इसके होने का आभास सभी को भीतर तक होता है। यदि साधक भी इन्द्रियाँ निग्रह करके अपनी मानवीय दुर्बलताओं पर विजय पा ले तो वह भी ईश्वर के समान बन सकता है।

प्रश्न 4. अपना घर से क्या तात्पर्य है?  इसे भूलने की बात क्यों कही गई है?

अपना घर से तात्पर्य है- अंहकार अर्थात मैं का अनुभव। कवयित्री अपना घर भूलने की बात इसलिए कहती है क्योंकि वह अपना अहंकार चाहती है। यह केवल तभी संभव है जब सांसारिक वस्तुओं से नाता तोड़ा जाए क्योंकि जगत और जगदीश दोनों एक जगह नहीं रह सकते। जगदीश प्राप्त करने के लिए जगत त्यागना आवश्यक है।

प्रश्न 5. दूसरे वचन में ईश्वर से क्या कामना की गई है और क्यों?

अक्क महादेवी ने अपने दूसरे वचन में ईश्वर से शुभकामना व्यक्त की है कि उसमें व्याप्त अहंकार को नष्ट करने में सहयोग दे। वह अहंकार मर्दन के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है कि संसार में कोई उसे भीख न दें यदि कोई उसे भीख देने के लिए हाथ बढ़ाए तो उसके हाथों से भीख में मिली वस्तु नीचे गिर जाए। यदि फिर भी लोभवश वह उस वस्तु को पाने के लिए झुके तो उस वस्तु को कुत्ता झपट कर ले जाए। कवयित्री ने अपने अहंकार मर्दन के लिए ईश्वर से सहयोग की कामना व्यक्त की है।



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