आओ मिलकर बचाएँ
काव्य सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्न
पूरी कविता से काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य के कुछ कॉमन पॉइंट्स:
● मुक्तक छंद का प्रयोग किया गया है।
● कविता मूल रूप से संथाली भाषा में लिखी गई है, जिसका हिंदी रूपांतरण किया गया है।
● कवयित्री ने संथाली समाज के प्रति अपनी चिंता प्रकट की है।
● सहज, सरल तथा स्वाभाविक हिंदी भाषा का प्रयोग हुआ है।
● देशज शब्दों का प्रयोग किया गया है।
● प्रसाद गुण तथा शांत रस का परिपाक है।
1.
अपनी बस्तियों को
नंगी होने से
शहर को आबो हवा से बचाएँ उसे
बचाएँ डूबने से
पूरी की पूरी बस्ती की
हड़िया में
अपने चहरे पर
संथाल परगना की माटी का रंग
भाषा में झारखंडीपन
प्रश्न
क) भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
ख) शिल्प सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर -
क) इस काव्यांश में कवयित्री स्थानीय परिवेश को बाहय प्रभाव से बचाना चाहती है। बाहरी लोगों ने इस क्षेत्र के प्राकृतिक व मानवीय संसाधनों को बुरी तरह से दोहन किया है। वह अपने संथाली लोक-स्वभाव पर गर्व करती है।
ख) प्रस्तुत काव्यांश में प्रतीकात्मकता है।
० 'माटी का रंग लाक्षणिक प्रयोग है। यह सांस्कृतिक विशेषता का परिचायक है।
० नंगी होना' के कई अर्थ है-
० मर्यादा छोड़ना।
० कपड़े कम पहनना।
० वनस्पतिहीन भूमि।
० उर्दू व लोक प्रचलित शब्दों का प्रयोग है।
० छदमुक्त कविता है।
० खड़ी बोली में सहज अभिव्यक्ति है।
2.
ठंडी होती दिनचर्या में
जीवन की गर्माहट
मन का हरापन
भोलापन दिल का
अक्खड़पन जुझारूपन भी
प्रश्न
क) भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
ख) शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर =
क) इस काव्यांश में कवयित्री ने झारखंड प्रदेश की पहचान व प्राकृतिक परिवेश के विषय में बताया है। वह लोकजीवन की सहजता को बनाए रखना चाहती है। वह पर्यावरण की स्वच्छता व निदषता को बचाने के लिए प्रयासरत है।
ख) 'भीतर की आग” मन की इच्छा व उत्साह का परिचायक है।
० भाषा सहज व सरल है।
० छोटे-छोटे वाक्यांश पूरे बिंब को समेटे हुए हैं।
० खड़ी बोली है।
० अतुकांत शैली है।
Himanshi padhan 715
ReplyDeleteLine by line explanation written bhi Post kariye
ReplyDelete