सबसे खतरनाक (काव्य-सौंदर्य /शिल्प-सौंदर्य)

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सबसे खतरनाक 

काव्य सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्न






1.
कपट के शोर में
सही होते हुए भी दब जाना-बुरा तो हैं।
किसी जुगनू की ली में पढ़ना-बुरा तो है।
मुट्टियाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेना-बुरा तो हैं।
सबसे खतरनाक नहीं होता

प्रश्न
क) भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
ख) शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट करें।

उत्तर =
क) इस काव्यांश में कवि ने कुछ स्थितियों का वर्णन किया है जो बुरी तो हैं, परंतु सबसे खतरनाक नहीं हैं। सही बातों का कपट के कारण  दब जाना, अभाव में रहना, क्रोध को व्यक्त करना आदि बुरी स्थैितियाँ तो है, परंतु सबसे खतरनाक नहीं है।

ख) बुरा तो है पद की आवृत्ति प्रभावी है।
० 'जुगनू की लौ से साधनहीनता प्रकट होती है।
० 'कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना', जुगनू की लौ में पढ़ना', 'मुट्ठयाँ भींचकर वक्त निकाल लेना आदि नए भाषिक प्रयोग है। व्यंजना शब्द शक्ति है।
० खड़ी बोली में सशक्त अभिव्यक्ति है।
० मुक्त छंद है।
० सरल शब्दावली है।

2.
सबसे खतरनाक वह आँख होती है।
जो सब कुछ देखती हुई भी जमी बर्फ होती है।
जिसकी नजर दुनिया को मुहब्बत से चूमना भूल जाती है।
जो चीजों से उठती अधेपन की भाष पर दुलक जाती है।
जो रोजमर्रा के क्रम को पीती हुई
एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलटफेर में खो जाती है।

प्रश्न
क) भाव सौंदर्य स्पष्ट करें।
ख) शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट करें।

उत्तर
क) इस काव्यशि में दृष्टि के अनेक रूपों का उल्लेख किया गया है। कवि संवेदनशील व परिवर्तनकारी जीवन शैली का समर्थन है। 'सबसे खतरनाक कहकर कति उन वस्तुओं या भावों को समाज के लिए हानिकारक व अनुपयोगी मानता है।

ख) जमी बर्फ संवेदना शून्य ठड़े जीवन का
० 'जमी बर्फ होती', 'मुहब्बत से घूमना', 'अंधेपन की प्रतीक है। भाप' आदि नए भाषिक प्रयोग है।
० 'अंधेपन की भाप में रूपक अलंकार है।
० भाषा में व्यंजना शक्ति है।
० खड़ी बोली में राशक्त अभिव्यक्ति है।
० उर्दू शब्दों का सहा प्रयोग है।
० प्रतीकों व बिंबों का सशक्त प्रयोग है।


3.
सबसे खतरनाक वह दशा होती है।
जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए
और उसकी मुद धूप का कोई टुकड़ा
आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए

प्रश्न
क) भाव-सौदर्य बताइए।
ख) शिल्प-दर्य बताइए।

उत्तर =
क) इस अंश में, कति आत्मा की आवाज को अनसुना करने वाली चिंतन-शैली को धिक्कारता है। वह कट्टर विचारधारा का विरोधी है।

ख) 'आत्मा का सूरज में रूपक अलंकार है।
० 'जिस्म के पूरब में रूपक अलंकार है।
० सांकेतिक भाषा का प्रयोग है।
० खड़ी बोली में सशक्त अभिव्यक्ति है।
० मुक्त छंद है।
० उर्दू शब्दावली का प्रयोग है।

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