कविता के बहाने, बात सीधी थी पर (काव्य-सौंदर्य / शिल्प-सौंदर्य)

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कविता के बहाने

काव्य सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्न






पूरी कविता से काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य के कुछ कॉमन पॉइंट्स: 


● इस पद में अनुप्रास अलंकार की छटा दर्शनीय है।
● सहज, सरल तथा बोधगम्य हिंदी भाषा का प्रयोग हुआ है।
● शब्द-चयन उचित एवं भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
● मुक्तक छंद का सफल प्रयोग हुआ है।




निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए

1.
कविता एक उड़ान हैं चिडिया के बहाने
कविता के पंख लगा उड़ने के माने
बाहर भीतर
इस घर, उस पर
कविता के पंख लगा उड़ने के माने
विडेया क्या जाने?

प्रश्न
(क) काव्यांश के कश्य के सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(ख) इन पंक्तियों की भाषागत विशेषताओं की चर्चा कीजिए।
(ग) कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने पति के भावगत सौंदर्य पर अपने विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर =
(क) कवि ने चिड़िया की उड़ान से कविता की तुलना की है जो बहुत सुंदर बन पड़ी है। उसने कविता की उड़ान को बंधनमुक्त माना है। चिड़िया कविता की उड़ान के विषय में कुछ नहीं जान सकती।

(ख) - इस अंश में साहित्यिक खड़ी बोली का प्रयोग है, जिसमें मिश्रित शब्दावली का प्रयोग है।
- 'चिड़िया क्या जाने में प्रश्न अलंकार है।।
- कविता का मानवीकरण किया गया है।
- 'इस घर, उस घर, कविता की में अनुप्रास अलंकार है।

(ग) इस पंक्ति में कवि ने चिड़िया के माध्यम से कविता की यात्रा दिखाई है, किंतु चिड़िया कविता की उड़ान के आगे हीन है। कविता की उड़ान असीमित है, जबकि चिड़िया की उड़ान सीमित, कविता कल्पना है, चिड़िया यथार्थ।


2.
कविता एक खिलना हैं फूलों के बहाने
कविता का खिलना भुला फूल क्या जाने
बाहर भीतर
इस घर, उस पर
बिना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने
कविता एक खेल है बच्चों के बहाने
बाहर भीतर
यह घर, वह घर
सब घर एक कर देने के माने
बच्चा ही जाने।

प्रश्न
(क) कविता रचने और फूल के खिलने में क्या समानता है?
(ख) कवि ने कैसे समझाया हैं कि कविता के प्रसव की कार्द्ध तीमा तहां होती?
(ग) बिन मुरझाए महकना और 'सब घर एक कर देने का आशय स्पष्ट कीजिए

उत्तर -
(क) कविता फूल की तरह खिलती व विकसित होती है। फूल विकसित होने पर अपनी खुशबू चारों तरफ बिखेरता है, उसी प्रकार कविता अपने विचारों व रस से पाठकों के मनोभावों को खिलाती है।

(ख) कवि ने कविता को बच्चों के खेल के समान माना है। कविता का प्रभाव व्यापक है। बच्चे कहीं भी, कभी भी किसी भी तरीके से खेलने लगते हैं। इसी तरह कवि भी शब्दों के माध्यम से किसी भी भाव दशा में कहीं भी कविता रचता है। कविता शाश्वत है।

(ग) बिन मुरझाए महकने के माने का अर्थ यह है कि कविता फूल की तरह खिलती है, परंतु मुरझाती नहीं है। यह हर समय ताजी रहती है तथा अपनी महक से सबको प्रसन्न करती है। 'सब घर एक कर देना से तात्पर्य यह है कि कविता में बच्चों के खेल की तरह बंधन नहीं होता। यह किसी से भेदभाव नहीं करती।


(ख) बात सीथी थी पर.....



पूरी कविता से काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य के कुछ कॉमन पॉइंट्स: 


● सरल, सहज तथा बोधगम्य हिंदी भाषा का प्रयोग हुआ है।
● शब्द योजना सर्वथा उचित एवं सटीक है।
● मुक्तक छंद का प्रयोग है।
● आत्मकथात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।





निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए

जोर जबरदती से
बात की चूड़ी मर गई
और वह भाषा में बेकार घूमने लगी।
हारकर मैंने उसे कील की तरह
उसी जगह ठोंक दिया।
ऊपर से ठीकठाक
पर अंदर से
न तो उसमें कसाव था
ना ताकत
बात ने, जो एक शरारती बच्चे की तरह
मुझसे खेल रही थी,
मुझे पसीना पोंछते देखकर पूछा-
*क्या तुमने भाता की
सहूलियत से बरतना कभी नहीं तीखा?"

प्रश्न
(क) रचनाकार के सामने कथ्य और माध्यम की क्या समस्या थी?
(ख) भाव स्पष्ट कीजिए जोर जबरदस्ती से बात की चूड़ी मर गई।
(ग) कोई रचना ढील पेंच की तरह कब और कैसे प्रभावहीन हो जाती हैं?

उत्तर -
(क) रचनाकार का कथ्य सरल व प्रभावी था। वह अपनी बात को प्रभावी ढंग से कहना चाहता था, परंतु वह वक़ शैली के चक्कर में उलझ गया तथा शब्दों के जाल में उलझकर रह गया।

(ख) कवि कहता है कि जब हम बात को सरल ढंग से न कहकर आलंकारिक, जटिल या वक़ शैली में कहना चाहते हैं तो उस कथन का प्रभाव नष्ट हो जाता है।

(ग) कोई भी रचना ढीले पेंच की तरह तब प्रभावहीन हो जाती है जब गलत व जटिल शब्दों का प्रयोग वक्र शैली में प्रस्तुत की जाती है। जटिलता के चक्कर में कथन सही रूप नहीं ले पाता।


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  1. 'कविता के बहाने' कविता के आधार पर कुंवर नारायण की शिल्पगत विशेषताएं बताइए।

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