Husain ki Kahani Apni Jubani Class 11important Question Answer | 11th Class Husain ki Kahani Apni Jubani Important Question Answer | हुसैन की कहानी अपनी जुबानी के Important Questions

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Husain ki Kahani Apni Jubani Class 11important Question Answer | 11th Class Husain ki Kahani Apni Jubani Important Question Answer | हुसैन की कहानी अपनी जुबानी के Important Questions




 प्रश्न 1. मकबूल के अब्बा ने उसे बड़ौदा के बोडिंग स्कूल भेजने का निर्णय क्यों लिया ?

उत्तर - मकबूल के दादा जी का देहांत हो गया था। उसे अपने दादा जी से बहुत प्यार था। दादा जी के देहांत के बाद वह पूरा दिन दादा जी के कमरे में बंद रहता था। घर में किसी से बात नहीं करता था। गुमसुम-सा रहने लगा था। रात को दादा जी के बिस्तर पर उनकी भूरी अचकन ओढ़कर सोता था। उस समय उसे देखकर ऐसा लगता था, जैसे दादा की बगल में सोया हो। उसकी ऐसी स्थिति देखकर, उसके अब्या ने उसे इस वातावरण से दूर करने के लिए बड़ौदा के बोडिंग स्कूल में डाल दिया।


प्रश्न 2. पाठ में बड़ौदा के किस मूर्ति का वर्णन किया गया है ?

उत्तर - बड़ैदा शहर महाराजा सियाजीराव गायकवाड़ का शहर था। इस शहर का राजा मराठा था और प्रजा गुजराती थी। शहर में दाखिल होने पर ‘ हिज हाइनेस’ की पाँच धातुओं से बनी मूर्ति दिखाई देती थी। वह मूर्ति शानदार घोड़े पर सवार ‘दौलते बरतानिया’ के मेडल लटकाए हुए थी।’


प्रश्न 3. मकबूल ने अपने उस्तादों के साथ किस प्रकार फोटो खिंचवाए ?

उत्तर - स्कूल में वार्षिक समारोह मनाया जा रहा था। उस समारोह में खास मेहमानों और उस्तादों का गुरुप फोटोग्राफ खींचा जा रहा था। मकबूल उनके साथ फोटो खिंचवाना चाहता था। इसके लिए वह अवसर दूँढ़ रहा था। फोटोग्राफर ने ट्राइपॉड पर रखे कैमरे पर काला कपड़ा ढका और उसके अंदर जा घुसा। उसने अपने कैमरे का फोकस जमाया। जैसे ही उसने ‘रेडी’ कहा, मकबूल दौड़कर ग्रुप के कोने में खड़ा हो गया। इस प्रकार उसने उस्तादों की बिना इजाज़त के अपनी कई फोटो उस्तादों के साथ खिंचवाई।


प्रश्न 4. स्कूल के समारोह में मकबूल ने किस विषय पर भाषण दिया ?

उत्तर - स्कूल के समारोह के लिए मौलवी अकबर ने मकबूल को इलम (ज्ञान) पर दस मिनट का भाषण तैयार करवाया। उसमें एक फ़ारसी का शेर था-‘कस्बे कमाल कुन कि अज्ञीजे जहाँ शवी’। कस बेकमाल नियारजद अज़ीजे मन। दुनिया का चहेता वही बन सकता है जिसके पास कोई हुनर का कमाल हो। वही लोगों के दिलों को भी जीत सकता है। जिसके पास हुनर नहीं वह कभी भी लोगों के दिलों को जीत नहीं सकता।


प्रश्न 5. मकबूल के पिता ने अपने छोटे भाई को कौन-कौन से काम खुलवा कर दिए ?

उत्तर - मकबूल के पिता को नौकरी करना एक सज़ा की तरह लगती थी। उनकी बिजनेस में दिलचस्पी थी। इसीलिए उन्होंने अपने भाई मुरादअली की पहलवानी छुड़वाकर उसे जनरल स्टोर खुलवाकर दिया। जनरल स्टोर न चला तो फिर कपड़े की दुकान खुलवाकर दी, वह भी नहीं चली, तो तोपखाना रोड पर आलीशान रेस्तराँ खुलवाकर दिया। उन्होंने इन सभी कामों पर मकबूल को भी बिजनेस के गुण सीखने के लिए बैठाया।


प्रश्न 6. मकबूल ने पहली ऑयल पेंटिंग कैसे बनाई ?

उत्तर - मकबूल दुकान के सामने से गुजरने वाले सभी लोगों पर स्केच बनाया करता था। एक दिन दुकान के सामने से फिल्मी इस्तिहार का ताँगा गुज़ा। उसमें कोल्हापुर के शांताराम की फिल्म ‘सिंहगढ़’ के पोस्टर थे। यह पोस्टर रंगीन पतंग के कागज पर छपे होते थे। पोस्टर पर मराठा योद्धा की फोटो थी, जिसके एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में ढाल थी। उस पोस्टर के चित्र देखकर मकबूल का मन किया कि उसकी ऑयल पेंटिंग बनाई जाए। उसने कभी ऑयल कलर का प्रयोग नहीं किया था। वह अब्बा से ऑयल कलर के लिए पैसे नहीं माँग सकता था, क्योंकि अब्बा का सपना उसे बिज्जनेसमैन बनाना था। मकबूल ने ऑयल कलर ट्यूब खरीदने के लिए अपने स्कूल की दो किताबें बेच दीं। ऑयल कलर ट्यूब से दुकान पर बैठकर ऑँयल पेंटिंग बनाई। उसके अब्बा ने उसकी पेंटिंग देखी तो डाँटने के स्थान पर उसे गले लगा लिया।


प्रश्न 7. लेख में लेखक ने किन-किन पेंटरों का नाम लिया ? जिन्होंने पेंटिंग की दुनिया में अपना प्रभाव दिखाया।

उत्तर - लेखक ने लेख में बेंद्रे, राजा रविवर्मा और गजेंद्रनाथ टैगोर का वर्णन किया है। इन लोगों ने हिंदुस्तान के शुरू के मॉडर्न आर्ट में प्रयोग किए थे। बेंद्रे का प्रयोग मोंडन आर्ट का हिंदुस्तान में पहला क्रांतिकारी कदम था। बेंद्रे की पेंटिंग में जवानी का गुलाबीपन कुछ समय तक लोगों के जेहन में तरोताजा रहा। राजा रविवर्मा ने पेंटिंग में पश्चिमी सेकेंड हैंड रियलिज्म का प्रयोग किया। गगनेंद्रनाथ टैगोर ने क्यूबिस्टिक तजुर्बे से पेंिंग से शुरुआत की, लेकिन ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाए। बेंद्रे के जादू ने अपना प्रभाव लोगों पर ज्यादा छोड़ा था।


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प्रश्न 8. मकबूल अब लड़का नहीं रहा, क्योंकि उसके दादा चल बसे।

(क) दादा के चल बसने से मकबूल लड़का क्यों नहीं रहा?

(ख) आपके अपने दादा जी के साथ कैसे संबंध हैं?

उत्तर - (क) दादा जी की मृत्यु के बाद् मकबूल ने बच्चों जैसी शरारतें करना छोड़ दिया था। वह गुमसुम-सा रहने लगा था तथा हर समय दादा जी के कमरे में बैठा रहता था। वह सोता भी दादा जी के पलंग पर था और साथ में उनकी भूरी अचकन ओढ़ लेता था। उसकी बालपन की हरकतों के न होने से वह अब लड़का नहीं रह गया था।

(ख) मेरे अपने दादा जी के साथ अत्यंत मधुर संबंध हैं। वे मुझे अनेक अच्छी और नीतिगत बातें बताते हैं। उनके साथ सुखह की सैर पर भी जाता हूँ। में अपनी प्रत्येक समस्या का समाधान उनसे प्राप्त कर लेता हूँ। वे मेरे सबसे अच्छे मित्र भी हैं। उनका साथ मुझे बहुत अच्छा लगता है।


प्रश्न 9. दो अक्तूबर, स्कूल गांधीजी की सालगिरह मना रहा है। क्लास शुरू होने से पहले मकबूल गांधीजी का पोट्रेट बलैकबोर्ड पर बना चुका है।

(क) इस कथन से मकबूल की किस विशेषता का पता चलता है?

(ख) आपको किस कला में रुचि है और क्यों?

उत्तर - (क) इस कथन से ज्ञात होता है कि चित्रकला में मकबूल को बहुत रुचि थी। इसलिए वह चित्रकला में दस में से दस नंबर प्राप्त करता था। उसके बनाए गांधीजी के इस पोट्रेट की उसके अध्यापक ने भी प्रशंसा की थी।

(ख) मुझे संगीतकला में बहुत रुचि है। बचपन से ही मैं भजनों, गानों को बहुत ध्यान से सुनता था। बड़े होने पर मैंने गिटार बजाना सीखा। जब भी मेरा मन व्याकुल होता है तब मैं गिटार बजाता हैँ और अपनी प्रिय धुनें निकालकर अत्यंत शांति का अनुभव करता हूँ। संगीत मुझे अपार आनंद प्रदान करता है।


प्रश्न 10. मकबूल के अब्बा की रोशनखयाली न जाने कैसे पचास साल की दूरी नज्रअंदाज़ कर गई।

(क) मकबूल के अख्या की रोशनखयाली क्या थी?

(ख) कला के प्रति तब और अब के लोंगों के क्या विचार हैं?

उत्तर - (क) मकबूल के पिता ने मकबूल की चित्रकला के प्रति रुचि देखते हुए उस समय की कला के प्रति दकियानूसी विचारधारा का विरोध करते हुए मकबूल को जिंद्गी को संगों से भरने के लिए कह दिया। उन्हें विश्वास था कि आनेवाले समय में मकबूल एक सुप्रसिद्ध चित्रकार बन जाएगा।

(ख) पहले समय में लोग कला को व्यर्थ और विलास की वस्तु मानकर कलाकारों का तिरस्कार ही करते थे तथा उन्हें विशेष महत्व नहीं देते थे, परंतु अब कला के प्रति लोगों की सोच में परिवर्तन आया है और वे कला तथा कलाकार को सम्मान देते हुए उन्हें विशेष महत्व देते हैं। कला को एक श्रेष्ठ व्यवसाय भी माना जाने लगा है। 

        

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