Torch Bechne Wala Class 11 Important Questions | Class 11th Hindi Torch Bechne Wala Important Question Answer | टॉर्च बेचने वाला पाठ के Important Questions

0

Torch Bechne Wala Class 11 Important Questions | Class 11th Hindi Torch Bechne Wala Important Question Answer | टॉर्च बेचने वाला पाठ के Important Questions 



 प्रश्न 1. लेखक ने टार्च बेचने वाली कंपनी का नाम ‘सूरज छाप’ ही क्यों रखा ?

उत्तर - ‘सूरज छाप’ टार्च से लेखक का अभिप्राय यह है कि जैसे सूरज दिन में प्रकाश है, जिससे लोगों को चारों ओर सभी कुछ दिखाई देता है। किसी को किसी भी वस्तु से डर नहीं लगता। वैसे ही ‘सूरज छाप’ टार्च अँधेरे में सूरज का काम करेगी। सूरज जैसी चमक, रोशनी तथा गरमी भी देगी। सूरज छाप टार्च रात के अँधेरे का सूरज है।


प्रश्न 2. पाँच साल बाद दोनों दोस्तों की मुलाकात किन परिस्थितियों में और कहाँ होती है ?

उत्तर - पाँच साल बाद दोनों दोस्तों की मुलाकात एक प्रवचन स्थल पर होती है लेकिन दोनों की स्थितियों में अंतर था। दोनों में से एक उपदेशक बन जाता है और दूसरा दोस्त उसके उपदेश सुनने के लिए वहाँ आता है।


प्रश्न 3. पहला दोस्त मंच पर किस रूप में था और वह किस अँधेरे की टार्च बेच रहा था ?

उत्तर - पहला दोस्त मंच पर सुंदर रेशमी वस्त्रों में सजा बैठा था। वह तंदुरुस्त था। उसकी सलीके से संवारी गई लंबी दाढ़ी थी और पीठ पर लहराते हुए लंबे केश थे। उसके आगे हजारों नर-नारी श्रद्धा से सिर झुकाए बैठे थे। वह आत्मा के अंधकार को दूर करने की टार्च बेच रहा था। मनुष्य के चारों ओर अंधकार फैला हुआ है। अंतर की आँखों की दृष्टि समाप्त हो गई है। इसलिए बाहरी दृष्टि आत्मा के अँधेरे को दूर नहीं कर पाती है। इस अंदर के अंधकार से आदमी की आत्मा घुटती रहती है। वह कहता था कि डरने की कोई बात नहीं है, क्योंकि अंधकार के साथ ही प्रकाश भी होता है। अभी यह प्रकाश अज्ञान के अंधकार की कालिमा में छिपा हुआ है। उसे जागृत करने के लिए उसके पास आओ। वह इस अंधकार को दूर करने का तरीका समझाएगा।


यह पेज आपको कैसा लगा ... कमेंट बॉक्स में फीडबैक जरूर दें...!!!


प्रश्न 4. भव्य पुरुष ने कहा, ‘जहीं अंधकार है वहीं प्रकाश है।’ इसका क्या तात्पर्य है ?

उत्तर - भव्य पुरुष ने कहा कि जहाँ अंधकार है वहीं प्रकाश है। इससे अभिप्राय यह है कि अंधकार के साथ-साथ प्रकाश भी होता है। अंधकार की गोद में उजाले की किरण होती है। उसे देखने के लिए धैर्य रखना पड़ता है। जैसे रात्त के बाद सुबह आती है। रात की कालिमा ही सूरज की पहली किरण को अपने भीतर समेटे रहती है। सूरज की पहली किरण को देखने के लिए रात भर इंतज़ार करना पड़ता है। मनुष्य के शरीर की आत्मा में भी अज्ञान रूपी अंधकार होता है। वह अंधकार मनुष्य को अपने चारों तरफ़ से जकड़ लेता है अर्थात मनुष्य मोह, ममता, माया में फँसा हूआ है ? वह अपने माँ-बाप, बीवी-बच्चों की सुख-सुविधाओं के लिए गलत-से-गलत काम कर जाता है। वह गलत काम मोह में पड़कर करता है। इस प्रकार मनुष्य माया के जाल में उलझता ही चला जाता है। उसे कुछ नहीं सूझता। ऐसा नहीं है कि मनुष्य की आत्मा में अंधकार-ही-अंधकार है। वहाँ किसी कोने में अच्छाई भी दबी हुई होती है, जो उसे इन बुराई से डराती रहती है लेकिन उसकी आवाज़ दबी हुई होती है, जिसे वह बुराइयों के शोर में सुन नहीं पाता है। जब मनुष्य किसी सक्जन की संगति में आ जाता है तो उसकी दबी अच्छाई सिर उठाने लगती है और बुराइयाँ शोर मचाते हुए इधर-उधर भाग जाती है। अच्छाई को उठाने के लिए किसी सिद्ध पुरुष का साथ चाहिए क्योंकि वह सिद्ध पुरुष ही उसकी अच्छाइयों को पहचानकर उन्हें बाहर निकालने में सहायता करता है। सिद्ध पुरुष उसी प्रकार मनुष्य की सहायता करते हैं जैसे प्रकृति सूरज की किरण की करती है। रात के सन्नाटे को समाप्त करने के लिए सुबह के समय पक्षी चहचहाकर रात की कालिमा को दूर भगा देते हैं और सूरज की किरण को देखकर खुशी से उनकी चहक और बढ़ जाती है, इसीलिए भव्य पुरुष ने ठीक कहा है कि जहाँ अंधकार होता है वहाँ प्रकाश अवश्य आता है।

    

आपकी स्टडी से संबंधित और क्या चाहते हो? ... कमेंट करना मत भूलना...!!!


Post a Comment

0Comments

If you have any doubts, Please let me know

Post a Comment (0)