Gunge Chapter Class 11 Question Answer | Gunge Class 11 Hindi Question And Answers | Class 11 Hindi Gunge Question Answer | गूंगे क्लास 11 प्रश्न उत्तर

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Gunge Chapter Class 11 Question Answer | Gunge Class 11 Hindi Question And Answers | Class 11 Hindi Gunge Question Answer | गूंगे क्लास 11 प्रश्न उत्तर


 प्रश्न 1. चमेली को गूँगे ने अपने बारे में क्या-क्या बताया और कैसे ? 

उत्तर - गूँगे ने अपने माता-पिता के बारे में इशारे से चमेली को बताया कि जब वह छोटा था तब माँ घूँघट काढ़ती थी। उसका बाप बड़ीबड़ी मूँछें रखता था। जब उसका बाप मर गया तो उसकी माँ उसे छोड़कर भाग गई थी। उसे जिसने पाला वे लोग उसे बहुत मारते थे। उसने अपने हाथों के इशारे से चमेली को अपनी बात समझाई।


प्रश्न 2. गूँगे की कर्कश काँय-काँय और अस्फुट ध्वनियों को सुनकर चमेली ने पहली बार क्या अनुभव किया?

उत्तर - गूँगे को देखकर चमेली ने पहली बार यह अनुभव किया कि यदि गले में काकल कुछ ठीक नहीं हो तो मनुष्य को न मालूम क्या से क्या हो जाता है। वह इतना अधिक दुखी हो जाता है कि चाहते हुए भी अपने मन की भावनाओं को व्यक्त नहीं कर सकता।


प्रश्न 3. गूँगे ने अपने स्वाभिमानी होने का परिचय किस प्रकार दिया ?

उत्तर - गूँगा संकेतों के माध्यम से बताता था कि वह मेहनत करके खाता है, किसी से भीख नहीं लेता है। उसने संकेतों से बताया है कि उसने हलवाई के यहाँ लड्डू बनाए, कड़ाही माँजी, नौकरी की, कपड़े धोए। वह सीने पर हाथ मारकर इशारा करता है कि कभी हाथ फैलाकर नहीं माँगा, भीख नहीं लेता। वह भुजाओं पर हाथ रखकर संकेत करता है कि मेहनत का खाता है और पेट बजाकर दिखाया कि इसके लिए।


प्रश्न 4. ‘मनुष्य की करुणा की भावना उसके भीतर गूँगेपन की प्रतिच्छाया है।’ कहानी के इस कथन को वर्तमान सामाजिक परिवेश के संद्भर्भ में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर - वर्तमान सामाजिक परिवेश में भौतिकतावाद की निरंतर वृद्धि हो रही है। मनुष्य दिन-प्रतिदिन अधिक आत्मकेंद्रित होता जा रहा है। उसकी समस्त भावनाएँ और संवेदनाएँ कुंद हो गई हैं। सड़क पर किसी वाहन से टकराकर गिरे हुए व्यक्ति को सहारा देते हुए भी हम डरते हैं कि कहीं पुलिस केस हुआ तो थाने के चक्कर लगाते-लगाते उम्र बीत जाएगी इसलिए जब मनुष्य किसी के प्रति अपनी दया व्यक्त नहीं कर पाता तो उसकी यह संवेदनहीनता उसे ही गूँगा बना देती है।


प्रश्न 5. ‘नाली का कीड़ा! एक छत उठाकर सिर पर रख दी फिर भी मन नहीं भरा।’चमेली का यह कथन किस संदर्भ में कहा गया है और इसके माध्यम से उसके किन मनोभावों का पता चलता है?

उत्तर - एक दिन गूँगा कही चला गया। चमेली ने उसे बहुत ढूँढ़ा पर उसका कुछ भी पता नहीं चला। चमेली के पति ने कहा कि भाग गया होगा। वह सोचती रही कि वह सचमुच भाग ही गया है पर यह नहीं समझ पा रही थी क्यों भाग गया। गूँगे के इस प्रकार भाग जाने से उसे क्रोध आ जाता है और वह यह शब्द कहती है। उसने गूँगे को सहारा दिया था। उसे खाना-पीना दिया था। उसके रहने का प्रबंध किया था। उसका उपकार न मानकर गूँगे का इस प्रकार भाग जाना उसे बहुत आहत कर देता है और वह उसे बुरा-भला कहने लगती है।


प्रश्न 6. यदि बसंता गूँगा होता तो आपकी दृष्टि में चमेली का व्यवहार उसके प्रति कैसा होता ?

उत्तर - यदि बसंता गूँगा होता तो चमेली उसके प्रति ममता और सहानुभूति का व्यवहार करती। जब गूंगे को बसंता चपत मार देता है और गूँगा रोकर चमेली को अपनी सांकेतिक भाषा में अपनी व्यथा सुनाता है तो वह इतना ही समझ पाती है कि खेलते-खेलते बसंता ने उसे मारा है परंतु बसंता के यह कहने पर कि गूँगा उसे मारना चाहता था तो चमेली ‘क्यों रे’ कहकर गूँगे की ओर देखती है तो गूँगा उसके मनोभाव समझकर उसका हाथ पकड़ लेता है। उस समय चमेली को लगा कि जैसे उसके अपने पुत्र ने उसका हाथ पकड़ लिया है। उसे लगता है कि यदि उसका अपना बेटा भी गूँगा होता तो उसे भी ऐसे ही दु:ख उठाने पड़ते। यह सोचते ही वह घबरा गई और उसके मन में गूँगे के प्रति ममता उत्पन्न हो गई।


प्रश्न 7. ‘उसकी आँखों में घानी भरा था। जैसे उनमें एक शिकायत थी, पक्षपात के प्रति तिरस्कार था।’ क्यों?

उत्तर - बसंता ने गूँगे को चपत जड़ दी थी। गूँगा उसे मारना चाहता था परंतु उसे मारने के स्थान पर कर्कश स्वर में रोने लगा। चमेली जब उससे कारण पूछने लगी तो उसके बताने पर भी समझ नहीं पाई पर बसंता के यह कहने पर कि गूँगा उसे मारने लगा था चमेली उसे डाँट देती है। बाद में उसे पछतावा होता है कि गूँगा बसंता के मुकाबले ताकतबर होते हुए भी उसे नहीं मारता। वह गूंगे को रोटी देने जाती है। उस समय गूँगे के हावभाव से समझ जाती है कि वह उसके बसंता का पक्ष लेने से नाराज़ है।


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प्रश्न 8. ‘गूँगा दया या सहानुभूति नहीं, अधिकार चाहता है’ – सिद्ध कीजिए।

उत्तर - ‘गूँग’ कहानी में गूँगा दया, ममता और सहानुभूति के पात्र के रूप में चित्रित हुआ है। सभी उसे दया का पात्र मानते हैं, लेकिन गूँगा स्वाभिमानी है। वह ऐसी भावनाओं की उपेक्षा करता है। उसने कमाकर खाना सीखा है। वह नहीं चाहता कि लोग उसे अनाथ और दया का पात्र समझकर उसकी जरुरत पूरी करें। वह अपना अधिकार चाहता है। यही कारण है कि बसंता का व्यवहार उसे अच्छा नहीं लगता। सड़क के लड़कों से भी वह नहीं दबता। उसके रूदन में उसकी विवशता है। वह चिल्लाकर और कराहकर समाज से यही कामना करता है कि उसका अधिकार उसे लौटा दिया जाए। इसलिए जब चमेली उसे घर पर नौकर रखती है तो वह खाने के अतिरिक्त संकेत से चार रुपए भी माँगता है। उसका हलवाई के यहाँ लड्डू बनाना, कड़ाही माँजना, कपड़े धोना, सीने पर हाथ मारकर संकेत करना, भुजाओं पर हाथ रखकर इशारा करना, पेट बजाकर दिखाना यही सिद्ध करता है कि वह भीख नहीं माँगता, मेहनत करके खाता है। वह दया और सहानुभूति नहीं अपने अधिकार के बल पर जीना चाहता है।


प्रश्न 9. ‘गूँगे’ कहानी पढ़कर आपके मन में कौन-से भाव उत्पन्न होते हैं और क्यों ?

उत्तर - ‘गूँग’ कहानी पढ़ने से गूँगे की लाचारी तथा उसकी व्यथा-कथा जानकर उसके प्रति करुणा और सहानुभूति उत्पन्न होती है। उसकी मेहनत करके खाने की आदत पर गर्व होता है कि गूँगा होते हुए भी वह किसी के सामने अपने हाथ नहीं फैलाता है। बिना बताए कहीं भी भाग जाने की उसकी आदत पर क्रोध आता है। बसंता से मार खाकर गूँगे के रोने और सड़क के लड़कों से मार खाकर आने पर उसके चिल्लाने को सुनकर उसके प्रति दया का भाव उत्पन्न होता है।


प्रश्न 10. गूँगे में ममता है, अनुभूति है और है मनुष्यत्व’ – कहानी के आधार पर इस वाक्य की विवेचना कीजिए।

उत्तर - गूँगा बोल नहीं सकता, सुन नहीं सकता परंतु अनुभव कर सकता है। वह एक मनुष्य की संतान है, इसलिए वह समस्त मानवीय गुणों से युक्त है। उसमें ममता का भाव हैं। चमेली से डाँट-फटकार सुनकर वह उसका हाथ पकड़कर उसके प्रति पुत्र का-सा भाव तथा अपना निर्दोष होना प्रकट करता है। जब कभी उसका कसूर होता है तो वह चमेली की डाँट-फटकार के आगे अपना सिर झुकाकर अपराध स्वीकार कर लेता है। जब गूँगे पर हाथ उठाने के कारण चमेली की आँखों में आँसू आ जाते हैं तो गूँगा भी रो देता है। बसंता से मार खाकर वह उसे मारना चाहता है पर सहसा यह अनुभव कर रुक जाता हैं कि मालिक के बेटे पर हाथ उठाना उचित नहीं। उसमें मनुष्यता है। वह दूसरों के सुख-दुख को अनुभव करता है।


प्रश्न 11. कहानी का शीर्षक ‘गूँगे’ है, जबकि कहानी में एक ही गूँगा पात्र है। इसके माध्यम से लेखक ने समाज की किस प्रवृत्ति की ओर संकेत किया है ?

उत्तर - प्रस्तुत कहानी का शीर्षक ‘गूँगे’ है, ‘गूँगा’ नहीं। इसका कारण यह है कि लेखक केवल एक ही गूँगे का चरित्रांकन नहीं बल्कि उसके माध्यम से अन्य लोगों में निहित गूँगेपन की ओर भी संकेत करता है। कहानी के प्रतिपाद्य को व्यापक बनाने के लिए ही लेखक ने कहानी का शीर्षक ‘ ‘ूँगे’ रखा है। ‘गूँगे’ शब्द में व्यंग्यात्मकता और लाक्षणिकता का गुण भी विद्यमान है। कहानी का प्रमुख पात्र गूँगा तो गूँगा है पर अन्य पात्र भी गूँगे ही सिद्ध होते हैं। वे कहीं भी अत्याचार को चुनौती नहीं देते। जिस प्रकार गूँगा मूक होने के कारण अपनी बात कहने में असमर्थ है, उसी प्रकार कहानी के अन्य पात्र भी अपनी थात कहने में असमर्थ हैं। अतः इस दृष्टि से कहानी का शीर्षक ‘गूँग’ उपयुक्त है। लेखक ने इस कहानी के माध्यम से यह भी स्पष्ट किया है कि समाज के जो लोग संवेदनहीन हैं, वे भी गूँगे-बहरे हैं क्योंकि वे अपने सामाजिक दायित्वों के प्रति सचेत नहीं हैं।


प्रश्न 12. निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए।

(क) “करुणा ने सबको …………………………… जी जान लड़ रहा हो।”

(ख) “वह लौटकर चूल्हे पर …………………………… आदमी गुलाम हो जाता है।”

(ग) “और फिर कौन …………………………… जिंद्रिं बिताए।”

(घ) “और ये गूँगे …………………………… क्योंकि वे असमर्थ हैं।”

उत्तर - सप्रसंग व्याख्या के लिए इस पाठ का ‘सप्रसंग वाला’ व्याख्या भाग देखिए।


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प्रश्न 13. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।

(क) कैसी यातना है कि वह अपने हूदय को उगल देना चाहता है, किंतु उगल नहीं पाता।

(ख) जैसे मंदिर की मूर्ति कोई उत्तर नहीं देती, वैसे ही उसने भी कुछ नहीं कहा।

उत्तर - (क) गूँगा अपने मन की भावनाओं को शब्दों के माध्यम से व्यक्त करना चाहता है परंतु कर नहीं पाता। यही पीड़ा उसे सताती रहती है।

(ख) मंदिर की मूर्ति पत्थर की होने के कारण कोई उत्तर नहीं देती। गूँगा अपने गूँगे और बहरे होने के कारण कोई उत्तर नहीं दे सका।


प्रश्न 14. निम्नलिखित पंक्तियों को अपने शब्दों में समझाइए-

(क) इशारे गजब के करता है।

(ख) सड़ से एक चिमटा उसकी पीठ पर जड़ दिया,

(ग) पत्ते चाटने की आदत पड़ गई है।

उत्तर - (क) गूँगा न सुन सकता है और न ही बोल सकता है परंतु संकेतों में अपनी बात अच्छी प्रकार से समझा देता है।

(ख) चमेली गुसे में भरकर चिमटा गूँगे की पीठ पर मार देती है।

(ग) जिसे इधर-उधर मुँह मारने की आदत पड़ जाए वह एक जगह नहीं टिक सकता।


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