घर की याद (काव्य-सौंदर्य /शिल्प-सौंदर्य)

0

घर की याद 


काव्य सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्न







पूरी कविता से काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य के कुछ कॉमन पॉइंट्स: 


● कवि ने साहित्य खड़ी बोली का सहज एवं स्वाभाविक प्रयोग किया है।
● यह पद मुक्तक छंद में रचित है।
● ओज गुण का प्रभावशाली वर्णन है।
● करूण रस विद्यमान है।
● कविता में लयबद्धता बनी हुई है।




1.
पिता जी जिनको बुढ़ापा,
एक क्षण भी नहीं व्यापा,
जो अभी भी दौड़ जाएँ
जो अभी भी खिलखिलाएँ
मौत के आगे न हिचकें,
शर के आगे न बिचकें,
बोल में बादल गरजता,
काम में झझ लरजता,

प्रश्न
क) भाव सौंदर्य स्पष्ट करें।
ख) शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालें।

उत्तर -
क) इस काव्यांश में कवि ने अपने पिता की विशेषताएँ बताई हैं। वे सहज स्वभाव के हैं तथा शरीर से स्वस्थ हैं। वे जिंदादिल हैं। उनकी आवाज में गंभीरता है तथा काम में तीव्रता है।

ख) बोल, हिचकना, बिचकना, लरजना स्थानीय शब्दों के साथ मौत, शेर आदि विदेशी शब्दों का प्रयोग किया गया है।
० चित्रात्मकता है।
० वीर रस की अभिव्यक्ति है।
० अभी भी की आवृति में अनुप्रास है।
'बोल में बादल गरजता' तथा काम में झझा लरजता' में उपमा अलंकार है।
० खड़ी बोली में सहज अभिव्यक्ति है।
० भाषा में प्रवाह है।
० प्रसाद गुण है।


Post a Comment

0Comments

If you have any doubts, Please let me know

Post a Comment (0)